साहेल से आतंकवादी रोधी बल से हटने का माली का फैसला 'दुर्भाग्यपूर्ण', UN ने कही ये बात
आतंकवादी हमलों, अंतर-साम्प्रदायिक हिंसा, बढ़ती खाद्य असुरक्षा और लोकतांत्रिक पतन को लेकर चिंतित है.
अफ्रीका के लिए संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष राजनीतिक अधिकारी ने साहेल क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी बल से हटने के माली के फैसले को 'दुर्भाग्यपूर्ण और खेदजनक' बताया है. वह भी खासतौर पर ऐसे वक्त में जब आतंकवादी गतिविधि और असुरक्षा बढ़ गई है.
फैसला साहेल को ले जाएगा पीछे
सहायक महासचिव मार्था पोबी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि माली की सत्तारूढ़ जुंटा का बल से अलग होने का इस सप्ताह लिया गया फैसला साहेल के लिए एक कदम पीछे जाने वाला है.
2014 में बनाया था G-5 साहेल
माली और पड़ोसी पश्चिमी अफ्रीकी देशों नाइजर, मॉरिटानिया, बुर्किना फासो और चाड ने 2014 में 'जी5 साहेल' बल बनाया था, ताकि साहेल में आतंकवाद से निपटा जा सके, लेकिन शुरुआत से ही इसे वित्तीय और राजनीतिक समस्याओं का सामना करना पड़ा और 2017 तक वह सैनिकों की तैनाती नहीं कर पाया.
माली के फैसले का पड़ेगा असर
पोबी ने कहा कि जी5 और उसके संयुक्त बल को छोड़ने के माली के फैसले का संगठन और क्षेत्र में समीकरणों पर क्या असर पड़ेगा, यह देखना होगा. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस और अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष 'साहेल में सुरक्षा तथा शासन की पहल' का संयुक्त सामरिक आकलन करने पर राजी हो गए हैं.
साहेल के लिए चिंतित अमेरिका
इस बीच, अमेरिका के उप-राजदूत रिचर्ड मिल्स ने कहा कि उनका देश साहेल में बढ़ते हिंसक चरमपंथ, आतंकवादी हमलों, अंतर-साम्प्रदायिक हिंसा, बढ़ती खाद्य असुरक्षा और लोकतांत्रिक पतन को लेकर चिंतित है.