जानिए क्यों फिर टला नासा का आर्टिमिस-1 का प्रक्षेपण
इस साल दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियों की तरह नासा के भी बहुत से अहम प्रोजेक्ट पर बड़े काम होने हैं
इस साल दुनिया की तमाम स्पेस एजेंसियों की तरह नासा (NASA) के भी बहुत से अहम प्रोजेक्ट पर बड़े काम होने हैं. इसमें नासा के आर्टिमिस अभियान (Artemis Mission) का पहला चरम सभी की निगाहों में है. नासा की महत्वाकांक्षी आर्टिमिस अभियान के द्वारा 2024 के आसपास चंद्रमा पर दो व्यक्तियों को भेजने (Two people to the Moon) की योजना है. इसके लिए उसके नए यान और नए एसएलएस रॉकेट को परीक्षण के तौर पर चंद्रमा पर मार्च के महीने में प्रक्षेपित किया जाना था लेकिन अब इसी एक अहम प्रक्रिया को एक महीने के लिए टाल दिया गया है. नासा ने इसकी नई निश्चित तारीख का ऐलान करने से भी अभी इनकार कर दिया है.
फ्लोरीडा तक रवानगी टली
नासा ने बुधवार को बताया कि उसका नया एलएसएल रॉकेट की फ्लोरीडा लॉन्च पैड के लिए रवानगी को एक महीने के लिए टाल दिया गया है. फ्लोरीडा में ही प्रक्षेपण से पहले इस रॉकेट का अंतिम परीक्षण होना था. नासा ने इस प्रक्षेपण को पिछले साल के अंत में ही इस चरण का प्रक्षेपण सुनिश्चित किया था, जिसमें चंद्रमा पर यान भेज कर उसे वापस लाना था.
नई तारीख अभी नहीं
नासा ने प्रक्षेपण की नई तारीख का ऐलान नहीं किया है. लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि अब यह अप्रैल से पहले प्रक्षेपित नहीं हो सकेगा. नासा के अधिकारियों ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कार्यक्रम में कोई बहुत बड़ी या खास परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा है, लेकिन इतने बड़े और जटिल रॉकेट सिस्टम के पहले प्रपेक्षण में कुछ ज्यादा तकनीकी समस्याओं का सुलझाने के कारण ऐसा हुआ है.
कोविड-19 की वजह से
नासा अधिकारियों इस बात को माना है कि इस अभियान के काम को धीमा करने में कोविड-19 के ओमक्रॉन संक्रमण की संख्या बढ़ने के कारण कार्यबल और आपूर्ति में व्यवधान की भूमिका थी. इस अभियान में नासा के हैवी लिफ्ट स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट के साथ ओरियान क्रू कैप्सूल की पहली उड़ान होनी है. इसमें प्रक्षेपण में एसएलएल क्रू रहित ओरियान यान को चंद्रमा तक ले जाएगा.
क्या है आर्टिमिस अभियान का मकसद
नासा का आर्टिमिस कार्यक्रम चंद्रमा पर लंबे समय के लिए इंसान की उपस्थिति दर्ज कराने के उददेश्य से बनाया गया. इसमें चंद्रमा पर अगला पुरुष और पहली महिला को चंद्रमा पर भेजा जाएगा, लेकिन इसके साथ ही चंद्रमा पर लंबे समय के लिए वहां रहने की व्यवस्था के लिए भी प्रयास और प्रयोग होंगे. इसके लिए चंद्रमा पर एक बेस बनाया जाएगा और मंगल से लौटने वाले यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था के लिए होगा.
2025 तक का था लक्ष्य
इससे पहले अमेरिका के नासा के अपोलो अभियानों में 1969 से 1972 तक छह यात्रियों को चंद्रमा की सतह परभेजा था. इसके अलावा कोई भी चंद्रमा पर नहीं जा सका है. नासा ने पिछले साल नवबंर में ऐलान किया था कि वह चंद्रमा पर पहली क्रू उड़ान साल 2025 तक पूरी कर लगा.
मार्च में होगी रवानगी
लेकिन उससे पहले नासा को क्रू रहित एसएलएस और ओरियोन की उड़ान से शुरुआत करनी होगी. इतने बड़े रॉकेट और यान को फरवरी के मध्य में फ्लोरीडा भेजा जाना था जहां से उसे उड़ान भरनी है. नई टाइमलाइन के अनुसार एसएलएस-ओरियोन अब विशाल क्रॉलर के जरिए मार्च के मध्य में फ्लोरीडा रवाना किया जा सकेगा.
फ्लोरीडा पहुंचने बाद तकनीकी विशेषज्ञ रॉकेट के लॉन्च व्हीकल को वेट ड्रेस रिह्सल के लिए तैयार करने में दो सप्ताह का समय लगाएंगे. इसके बाद ही रॉकेट वापस असेंबली इमारत में लाया जाएगा और अंतिम परीक्षण के बाद प्रक्षेपण की तारीख तय की जाएगी. अधिकारियों का मानना है कि यह प्रक्षेपण मई से भी आगे खिसक सकता है.