सरल भाषा में जानिए ग्रे लिस्‍ट और ब्‍लैक लिस्‍ट क्‍या है, आखिर क्‍यों चिंतित है इससे पाकिस्‍तान? एक्‍सपर्ट व्‍यू

पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए फरवरी का महीना काफी चुनौतियों भरा है।

Update: 2022-02-18 05:37 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए फरवरी का महीना काफी चुनौतियों भरा है। इमरान के समक्ष एक ओर अव‍िश्‍वास प्रस्‍ताव का संकट है, तो दूसरी तरफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की तलवार लटक रही है। इस महीने विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्‍ताव लाने पर अड़ा है। इससे इमरान सरकार को खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है। उधर, इस महीने फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाली एफएटीएफ की प्‍लेनरी और वर्किंग की बैठक से पहले पाकिस्‍तान के ब्‍लैक लिस्‍ट में खिसकने की संभावना बढ़ गई है। बता दें कि पाकिस्‍तान पहले से ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट में शामिल है। आइए जानते हैं कि ग्रे लिस्‍ट के बाद पाकिस्‍तान के ब्‍लैक लिस्‍ट की संभावना क्‍यों बढ़ गई। इसके पीछे क्‍या है बड़े कारण। एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए पाकिस्‍तान के पास क्‍या है विकल्‍प।

1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि इमरान सरकार पाकिस्‍तान में सक्रियआतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही है। इमरान सरकार ने पाकिस्‍तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे संगठनों के सामने घुटने टेक दिए हैं। पाकिस्तान सरकार के हाल के फैसलों से एफएटीएफ के आदेशों का उल्लंघन होने की संभावनाएं हैं। प्रो पंत का कहना है कि पाकिस्‍तान टेरर फाइनेंसिंग और एंटी मनी लांड्रिंग को लेकर पाकिस्‍तान को खुद सबूत देने होंगे। पिछले वर्ष अक्‍टूबर में एफएटीएफ ने बिल्‍कुल साफ किया था कि पाकिस्‍तान सरकार खुद साबित करे कि उसने क्‍या कार्रवाई की है।
2- इसके पूर्व एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को 34-सूत्रीय कार्य योजना सौंपी थी। इसमें से पाकिस्‍तान सरकार ने अब तक 30 पर ही कार्रवाई की है। बाकी के चार अहम बिंदुओं को उसने ठंडे बस्‍ते में डाल दिया है। पाकिस्‍तान में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने में उसके ढुलमुल रवैये के कारण यह स्थिति उत्‍पन्‍न हुई है। मालूम हो कि एफएटीएफ ने गत वर्ष जून में पाकिस्तान को ग्रे लिस्‍ट में रखा था। एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके सरगनाओं पर मुकदमा चलाने के भी निर्देश दिए थे। इसके साथ ही एफएटीएफ ने पाकिस्तान को एक कार्य योजना दी थी और इस पर सख्‍ती से अमल करने को कहा था।
3- प्रो पंत का कहना है कि ग्रे लिस्ट उन देशों को रखा जाता है, जिन पर टेरर फाइनेंसिंग और मनी लांड्रिंग में शामिल होने या इनकी अनदेखी का शक होता है। इन देशों को कार्रवाई करने की सशर्त मोहलत दी जाती है। एफएटीएफ इसकी मानिटरिंग करता है। कुल मिलाकर आप इसे 'वार्निंग विद मानिटरिंग' कह सकते हैं। ग्रे लिस्ट वाले देशों को किसी भी इंटरनेशनल मानेटरी एजेंसी या देश से कर्ज लेने के पहले बेहद सख्त शर्तों को पूरा करना पड़ता है। ज्यादातर संस्थाएं कर्ज देने में आनाकानी करती हैं। इसके अलावा व्‍यापार में भी दिक्कत होती है।
4- अगर किसी मुल्‍क के खिलाफ जब सबूतों से यह प्रमाणित हो जाता है कि उक्‍त देश से टेरर फाइनेंसिंग और मनी लांड्रिंग हो रही है। इसके बाद एफएटीएफ उक्‍त मुल्‍क को एलर्ट जारी करता है। उक्‍त देश द्वारा आतंकी संगठनों पर उचित कार्रवाई नहीं किए जाने के बाद पहले ग्रे लिस्‍ट में शामिल किया जाता है इसके बाद लगातार उल्‍लंघन की स्थिति में उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है। ब्‍लैक लिस्‍ट में शामिल देशों को आइएमएफ, वर्ल्ड बैंक या कोई भी फाइनेंशियल एजेंसी आर्थिक मदद नहीं देती। इसके अलावा मल्टी नेशनल कंपनियां भी उस देश से अपना कारोबार समेट लेती हैं। रेटिंग एजेंसीज निगेटिव लिस्ट में डाल देती हैं। ब्‍लैक लिस्‍ट में शामिल देशों की अर्थव्यवस्था तबाही के कगार पर पहुंच जाती है।
ग्रे लिस्‍ट और पाकिस्‍तान
पाकिस्‍तान 2008 में पहली बार ग्रे लिस्‍ट हुआ। 2009 में यह ग्रे लिस्‍ट से बाहर हुआ था। 2012 पाकिस्‍तान ग्रे लिस्‍ट में शामिल हुआ। 2016 में इससे निकल पाया। वर्ष 2018 में फ‍िर ग्रे लिस्‍ट में आया। वर्ष 2021 अब तक इसी लिस्‍ट में शामिल हुए। जी-7 देशों की पहल पर 1989 में स्‍थापना हुई । पेरिस में हेडक्‍वार्टर साल में तीन बैठक होती है। इस 39 सदस्‍य। भारत 2010 में इसका मेंबर है। 1990 में पहली बार सिफारिशें लागू हुई। 1996 से 2012 तक चार अपडेट हुए।
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