जानें कितने देशों को चीन ने दिया है कर्ज...जिससे ये और भी बन रहा ताकतवर

एक ओर चीन ग्लोबल ट्रेड में तेजी से आगे बढ़ा है, तो दूसरी ओर अपारदर्शिता के कारण कई घालमेल हैं.

Update: 2020-10-18 12:58 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक ओर चीन ग्लोबल ट्रेड में तेजी से आगे बढ़ा है, तो दूसरी ओर अपारदर्शिता के कारण कई घालमेल हैं. जैसे किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था के पास इस बात की जानकारी नहीं कि दुनियाभर में चीन ने कितना कर्ज दिया हुआ है. कई गरीब देशों में राजनैतिक स्तर पर ही लेनदेन हो जाता है, जिसका कोई जिक्र नहीं मिलता. इसे गुप्त कर्ज कहते हैं. जानिए, इस तरह से दुनिया के कितने देश चीन के उधार में डूबे हुए हैं.

यहां मिलता है जिक्र

हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू की एक रिपोर्ट इस बारे में सिलसिलेवार बताती है. शोध में पाया गया कि चीन ने बीते एक दशक में बहुत से विकासशील देशों को जो कर्ज दिया है, उसका सार्वजनिक कागजों में जिक्र नहीं. अगर उस कर्ज की बात करें, जो पब्लिक हैं, तो ये रकम जानकर भी आपके होश उड़ जाएंगे.

ट्रिलियन में है डायरेक्ट लोन

चीन ने दुनिया के 150 देशों को 1.5 ट्रिलियन डॉलर का लोन दे रखा है. ये डायरेक्ट लोन है. इसके अलावा व्यापार के लिए अलग सहायता दे रहा है. इस रकम को भारतीय मूल्य से आकें तो ये 11,01,64,50,00,00,000 भारतीय मुद्रा है. इस रकम के साथ ही अब चीन दुनिया का सबसे ज्यादा कर्ज दे चुका देश है. यहां तक कि वर्ल्ड बैंक, आईएमएफ जैसे संस्थाएं और सरकारों ने मिलकर उतना कर्ज नहीं दिया, जितना चीन ने अकेले दे रखा है.

चीन बचा रहता है रडार से

लोन पर नजर रखने वाली संस्थाएं जैसे मूडीज या फिर स्टैंडर्ड एंड पुअर्स निजी लोन देने वालों पर फोकस करती हैं. चीन सरकारी संस्थाओं के जरिए लोन देता है इसलिए लोन पर नजर रखने वाली संस्थाओं के रडार से बचा रहता है. इसके अलावा चीन पेरिस क्लब का भी सदस्य नहीं है, जो लोन में पारदर्शिता रखे. बता दें कि पेरिस क्लब कर्ज देने वाले राष्ट्रों का एक समूह है, जिसके पास प्रामाणिक डाटा होते हैं.

गुप्त कर्ज और भी ज्यादा है

अमेरिकी खुफिया एजेंसी की जानकारियों के आधार पर हार्वर्ड के जमा आंकड़े बताते हैं कि किस विकासशील देश ने चीन से कितनी रकम उधार ले रखी है. इसमें खुले में दिए कर्ज (विकास के नाम पर इंफ्रा में कर्ज) और गुप्त कर्ज दोनों शामिल हैं. इसके मुताबिक दुनियाभर के देशों के पास चीन का 5 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा का उधार है.


क्यों देता है इतना उधार

वैसे चीन यूं ही भारी-भरकम उधार नहीं देता, बल्कि इसके पीछे उसकी एक बड़ी रणनीति मानी जाती है. दरअसल गरीब देश इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर पैसे लेते हैं लेकिन समय पर उधार नहीं चुका पाते. ऐसे में चीन उनके यहां किसी बंदरगाह को लीज पर ले लेता है. या फिर उनकी आंतरिक राजनीति में दखल देने लगता है ताकि उसका फायदा हो सके.

चीन की नीति जानी-पहचानी

चीन के कर्ज देने और गुलाम बनाने की नीति अर्थव्यवस्था में काफी जानी-पहचानी है. इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के नाम पर पहले कर्ज देना और फिर उस देश को एक तरह से कब्जा लेना, इसे डैट-ट्रैप डिप्लोमेसी (Debt-trap diplomacy) कहते हैं. ये शब्द चीन के लिए ही बना. दूसरी ओर चीन का कहना है कि कर्ज लेकर गरीब देश विकास कर सकें- ये उसका इरादा होता है. पहले से ही चीन ये पॉलिसी अपनाता रहा है. इसके तहत पहले वो छोटे लेकिन कम्युनिस्ट देशों को कर्ज दिया करता था. बाद में ये पूरी दुनिया में फैल गया.

अफ्रीका में चीन की घुसपैठ पक्की

मिसाल के तौर पर चीन ने अफ्रीकी देशों में बड़ा निवेश किया हुआ है. इसकी वजह ये है अफ्रीका के ज्यादातर देश गरीब हैं और विकास की कोशिश में हैं. ब्लूमबर्ग-क्विंट वेबसाइट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकन देश जिबुती पर चीन का सबसे ज्यादा कर्ज है. इस पर अपनी जीडीपी का 80% से ज्यादा विदेशी कर्ज है, जिसमें भी 77% से ज्यादा कर्ज चीन का है. अब चीन वहां की राजनीति में सेंध लगा चुका है.

एशिया में भी चीन ने लगाई सेंध

अफ्रीका ही क्यों, एशियाई देश नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका भी चीन के उधार के मारे हैं. श्रीलंका ने हंबनटोटा में डेढ़ बिलियन डॉलर के बंदरगाह को बनाने के लिए चीन की मदद ली. श्रीलंका को लगा कि इससे व्यापार में फायदा होगा और वो धीरे-धीरे कर्ज चुका देगा. प्रोजेक्ट के लिए 2007 से 2014 के बीच श्रीलंकाई सरकार ने चीन से 1.26 अरब डॉलर का कर्ज लिया. बाद में इतना बड़ा कर्ज नहीं चुका पाने के कारण उसे अपने ही बंदरगाह को चीन को लीज पर देना पड़ा. अब पूरे 99 सालों के लिए ये बंदरगाह चीन का है.

पाकिस्तान के साथ चीन का खेल

पड़ोसी देश पाकिस्तान भी चीन का कर्जदार है. बता दें कि वहां चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर या सीपीईसी तैयार हो रहा है. इसके लिए भी चीन 80 प्रतिशत से ज्यादा रकम दे रहा है. यहां तक कि काम के लिए कामगार और उपकरण जैसी व्यवस्थाएं भी चीन ने कीं. इस तरह से वो पाक में भी अपने को मजबूत बना रहा है. अंतररराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार साल 2022 तक पाकिस्तान को चीन को 6.7 अरब डॉलर चुकाने हैं. जाहिर है पहले से ही गरीबी की मार झेल रहा पाक ये कर नहीं सकेगा. ऐसे में देर-सवेर वो चीन के बोझ तले दब जाएगा

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