इन देशो में होता है महिलाओं का खतना, दर्दनाक और खौफनाक है ये परम्परा

अफ्रीकी देशों में ये परंपरा आम है. यमन, इराक, मालद्वीप और इंडोनेशिया में महिला खतना सबसे ज्यादा चलन में है. लेकिन यह प्रथा एशिया, मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका के कई विकसित देशों में आज भी जारी है

Update: 2021-08-03 02:48 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। परंपरा या अत्याचार? अफ्रीकी देशों में ये परंपरा आम है. यमन, इराक, मालद्वीप और इंडोनेशिया में महिला खतना सबसे ज्यादा चलन में है. लेकिन यह प्रथा एशिया, मध्य पूर्व, लैटिन अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और उत्तरी अमेरिका के कई विकसित देशों में आज भी जारी है. साल 2020 में यूनिसेफ ने आंकड़े जारी किए जिनके मुताबिक दुनियाभर में करीब 20 करोड़ बच्चियों और महिलाओं के जननांगों को नुकसान पहुंचाया गया है.

यहां हर महिला का होता है खतना
जिन देशों में लगभग सभी महिलाओं को खतना कराना पड़ता है, उनमें सोमालिया, जिबूती और गिनी शामिल हैं. ये तीनों ही देश अफ्रीकी महाद्वीप में हैं.
क्या होता है महिलाओं का खतना?
महिलाओं के जननांगों को जानबूझकर काटने की परंपरा को आम बोलचाल की भाषा में महिलाओं का खतना कहा जाता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार ऐसी कोई भी प्रक्रिया जो बिना मेडिकल कारणों के महिला गुप्तांग को नुकसान पहुंचाती है, वह इस श्रेणी में आती है.
खतने की उम्र
लड़कियों का खतना शिशु अवस्था से लेकर 15 साल तक की उम्र के बीच होता है. आम तौर पर परिवार की महिलाएं ही इस काम को अंजाम देती हैं. यह प्रक्रिया लड़कियों और महिलाओं में ने केवल शारीरिक बल्कि मानसिक नुकसान भी पहुंचाती है.
खतने के खतरे
खतना के कारण महिलाओं को रक्तस्राव, बुखार, संक्रमण और मानसिक आघात जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जबकि कुछ मामलों में तो उनकी मृत्यु भी हो जाती है.
इन देशों में खतना बैन
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में इस प्रथा पर कानूनन रोक है, बावजूद इसके यह प्रथा जारी है. जिसके पीछे की सबसे बड़ी वजह सामाजिक दबाव है.


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