वकील की हत्या के मामले में इमरान खान को संरक्षण के साथ जमानत

Update: 2023-06-10 11:24 GMT
इस्लामाबाद । पाकिस्तान के एक उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को उनके खिलाफ दर्ज एक वरिष्ठ वकील की हत्या के मामले में गिरफ्तारी से संरक्षण के साथ जमानत दे दी और आठ अन्य मामलों में उनकी जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा। उच्चतम न्यायालय के वकील अब्दुल रज्जाक शर की हत्या के मामले में खान पर आरोप हैं। वकील की अज्ञात बंदूकधारियों ने छह जून को क्वेटा में गोली मारकर हत्या कर दी थी। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष खान ने इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल की थी जहां मुख्य न्यायाधीश आमिर फारूक और न्यायमूर्ति मियांगुल हसन औरंगजेब की खंडपीठ ने मामले में सुनवाई की। शर के बेटे का आरोप है कि उनके पिता की हत्या इमरान खान के इशारे पर की गई क्योंकि वकील ने बलूचिस्तान उच्च न्यायालय में खान के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया था। प्रारंभिक दलीलों के बाद पीठ ने दो सप्ताह के संरक्षण के साथ खान को जमानत दे दी। खान की पार्टी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर डाले गए एक वीडियो में उनकी काली एसयूवी गाड़ी को उनके निजी सुरक्षा कर्मियों के घेरे में अदालत परिसर में प्रवेश करते हुए देखा जा सकता है। इससे पहले इमरान खान लाहौर से इस्लामाबाद पहुंचे और गत नौ मई को अपनी गिरफ्तारी के बाद हुए हिंसक प्रदर्शनों से जुड़े एक दर्जन से अधिक मामलों और तोशाखाना भ्रष्टाचार मामले में अपनी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पेश हुए। खान ने शर की हत्या के मामले में जमानत के लिए भी इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी।
मुख्य न्यायाधीश फारूक ने आठ याचिकाओं पर अलग से सुनवाई की जिनमें से छह याचिकाएं नौ मई की हिंसा से जुड़ी हैं। शेष दो याचिकाओं में से एक, हत्या के प्रयास से संबंधित है। दूसरी याचिका सरकारी संस्थानों के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आरोप से जुड़ी है। न्यायमूर्ति फारूक ने बाद में आठ मामलों में खान की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा। इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में पेशी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री विभिन्न मामलों में सुनवाई के लिए फेडरल ज्यूडिशियल कॉम्प्लैक्स पहुंचे। वह तोशाखाना के तोहफों की बिक्री में कथित धोखाधड़ी के मामले में छह जून को दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में गिरफ्तारी-पूर्व जमानत की अपनी याचिका के साथ जिला अदालत में पेश हो सकते हैं। वह धारा 144 का उल्लंघन करने और एक महिला न्यायाधीश को धमकी देने से जुड़े 10 मामलों में एक आतंकवाद रोधी अदालत में भी पेश हो सकते हैं।
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