दिल्ली: अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की पृष्ठभूमि में कहा है कि यह युद्ध का नहीं बल्कि संवाद और कूटनीति का युग है और रक्तपात और मानवीय पीड़ा को रोकने के लिए जो कुछ भी हो सकता है सभी को करना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अमेरिका दौरा बेहद सफल रहा। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर करार हुए और आतंकवाद तथा कट्टरता से मिलकर लड़ने का जो संकल्प लिया गया उससे पूरी दुनिया को लाभ होगा। राजकीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका में जिस तरह भव्य स्वागत किया गया, विश्व के लिए अहम मुद्दों पर भारत की राय व भारत की भूमिका को महत्व दिया गया और अमेरिका के विकास में भारतीय अमेरिकियों के योगदान को सराहा गया तथा बेहतर स्वास्थ्य के लिए भारत की प्राचीन योग पद्धति के महत्व को पूरी दुनिया की ओर से स्वीकारा गया उसने भारत को विश्व गुरु के स्थान पर पहुँचाने का काम किया है। अमेरिका यात्रा के दौरान मोदी-मोदी की गूँज दरअसल भारत के यशोगान की गूँज थी। पूरी दुनिया को यह समझ आ गया है कि भारत ही अब नेतृत्व करेगा और संकटकाल हो या सामान्य दिन, भारत पूरे विश्व को एक परिवार के रूप में मानता है और सबको साथ लेकर चलने की चाहत और क्षमता भी रखता है। अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई कीर्तिमान स्थापित किये। इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह रहा कि वह अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को दूसरी बार संबोधित करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बन गये।
अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की पृष्ठभूमि में कहा है कि यह युद्ध का नहीं बल्कि संवाद और कूटनीति का युग है और रक्तपात और मानवीय पीड़ा को रोकने के लिए जो कुछ भी हो सकता है सभी को करना चाहिए। अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने आतंकवाद का भी उल्लेख किया और कहा कि यह आज भी पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है। ‘मोदी-मोदी’ के नारों और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच मोदी ने कहा कि पिछले कुछ सालों में एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम मेधा) में काफी तरक्की हुई है लेकिन साथ साथ ही एक अन्य एआई यानि भारत-अमेरिका के रिश्तों में भी महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सहयोग का दायरा अंतहीन है, हमारे तालमेल की क्षमता असीमित है और हमारे संबंधों में केमिस्ट्री सरल है।’’ करीब एक घंटे के अपने संबोधन में मोदी ने कहा कि अमेरिका का लोकतंत्र सबसे पुराना है और भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लिहाजा दोनों देशों की साझेदारी लोकतंत्र के भविष्य के लिए अच्छी है। उन्होंने कहा, ‘‘दुनिया के लिए बेहतर भविष्य और भविष्य के लिए बेहतर दुनिया के लिए यह अच्छी है।’’
रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यह युद्ध का युग नहीं है, बल्कि यह संवाद और कूटनीति का युग है और हम सभी को रक्तपात और मानवीय पीड़ा को रोकने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, वह करना चाहिए। वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सम्मान, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित है।’’ उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता दोनों देशों की साझेदारी की केंद्रीय चिंताओं में से एक बन गई है और दोनों एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के दृष्टिकोण को साझा करते हैं। आतंकवाद के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका के 9/11 हमले के दो दशक से अधिक समय बाद और मुंबई में 26/11 के एक दशक से अधिक समय बाद भी आतंकवाद और कट्टरपंथ पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और इससे निपटने में कोई अगर-मगर नहीं हो सकता। हमें आतंक को प्रायोजित और निर्यात करने वाली ऐसी सभी ताकतों पर काबू पाना होगा।’’ प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करने और बेहतर संसाधनों और प्रतिनिधित्व के साथ बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार का आह्वान करते हुए कहा कि यह शासन के सभी वैश्विक संस्थानों, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र पर लागू होता है। उन्होंने कहा, ‘‘जब दुनिया बदल गई है, तो हमारे संस्थानों को भी बदलना चाहिए।’’
मोदी ने कहा कि अमेरिका ने दुनिया भर के लोगों को गले लगाया है और उन्हें अमेरिकी सपने में समान भागीदार बनाया है। उन्होंने कहा कि यहां लाखों लोग हैं जिनकी जड़ें भारत में हैं और उनमें से कुछ यहां इस कक्ष में गर्व से बैठते हैं। उन्होंने इस क्रम में उपराष्ट्रपति कमला हैरिस का भी उल्लेख किया। भारतीय लोकतंत्र और उसकी विविधता का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि गुलामी के लंबे कालखंड के बाद भारत अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्षों की उल्लेखनीय यात्रा का जश्न मना रहा है और यह न केवल लोकतंत्र का उत्सव है बल्कि इसकी विविधता का भी उत्सव है। उन्होंने कहा, ‘‘यह न केवल हमारे प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद की बल्कि हमारी एकता और अखंडता के साथ ही सामाजिक सशक्तिकरण की भी भावना है। इसलिए आज दुनिया में हर कोई भारत के विकास, लोकतंत्र और विविधता को समझना चाहता है।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करना हमेशा सम्मान की बात होती है लेकिन उनके लिए यह असाधारण सौभाग्य की बात है कि उन्हें यह अवसर दो बार मिला।
संयुक्त सत्र को संबोधित करने से पहले प्रधानमंत्री मोदी और अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने व्हाइट हाउस में द्विपक्षीय वार्ता की और दोनों देशों के समग्र रिश्तों की समीक्षा की तथा इसे और घनिष्ठ करने के रास्तों पर चर्चा की। वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों एवं समग्र वैश्चिक सामरिक गठजोड़ में एक नया अध्याय जुड़ा है। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि भारत के साथ यह साझेदारी दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी में से एक है जो इतिहास में किसी भी समय अधिक मजबूत, करीबी और अधिक गतिशील है। हम आपको यह भी बता दें कि वार्ता से पहले प्रधानमंत्री मोदी का व्हाइट हाउस में भव्य स्वागत किया गया, जहां अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन ने उनकी अगवानी की।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लोकतंत्र हमारी रगों में है और जाति, पंथ एवं धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं है। मोदी ने कहा कि हमारी सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के सिद्धांत पर चलती है और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में कोई भेदभाव नहीं है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ बैठक के बाद संयुक्त प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘लोग कहते हैं नहीं, बल्कि भारत एक लोकतंत्र है और जैसा कि राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है, भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है।’’
मोदी ने कहा, ‘‘लोकतंत्र हमारे रगों में है। लोकतंत्र को हम जीते है। हमारे पूर्वजों ने संविधान के रूप में शब्दों में ढ़ाला है। जब हम लोकतंत्र को जीते हैं तब भेदभाव की बात ही नहीं आती । हमारी सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के सिद्धांत पर चलती है। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में कोई भेदभाव नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाएं सभी के लिए है और इसमें जाति, पंथ, धर्म आदि को लेकर किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब आप लोकतंत्र की बात करते हैं, लोकतंत्र में रहते हैं तब इसमे भेदभाव का कोई स्थान ही नहीं है।
गूंजी तालियों की गड़गड़ाहट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूएस कैपिटल (अमेरिकी संसद भवन) के विशाल ‘प्रतिनिधि सभा चैंबर’ में अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। लगभग एक घंटे लंबे संबोधन के दौरान अमेरिकी सांसदों ने कई बार अपनी सीट से उठकर तालियां बजाईं। वहीं, भारतीय मूल के अमेरिकी सांसदों ने ‘मोदी, मोदी’ के नारे लगाए। मोदी बृहस्पतिवार को अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को दो बार संबोधित करने वाले पहले भारतीय नेता बन गए। उन्होंने पहली बार 2016 में अमेरिकी कांग्रेस के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था। प्रतिनिधि सभा के चैंबर में प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत हुआ और जब वह अपना संबोधन देने के लिए मंच की तरफ बढ़े, तब सांसदों ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका अभिनंदन किया। इस दौरान, चैंबर की अतिथि दीर्घा में बैठे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्यों ने ‘मोदी, मोदी’ के नारे लगाए। अपना संबोधन शुरू करने से पहले मोदी ने दीर्घा में मौजूद प्रवासी भारतीयों की ओर हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया। मोदी के संबोधन पर अमेरिकी सांसदों ने लगभग 15 बार खड़े होकर तालियां बजाईं। संबोधन के दौरान प्रवासी भारतीयों ने कई मौकों पर ‘मोदी, मोदी’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए। भारतीय-अमेरिकी समुदाय के कुछ सदस्य पारंपरिक भारतीय पोशाक पहने हुए थे।
अपने संबोधन के दौरान मोदी ने कहा, ‘‘अमेरिका में लाखों लोग हैं, जिनकी जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं। उनमें से कुछ लोग गर्व के साथ इस कक्ष में बैठते हैं। और एक तो यहां मेरे पीछे हैं, जिन्होंने इतिहास रचा है।’’ मोदी उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनी जाने वाली पहली अश्वेत, दक्षिण एशियाई महिला कमला हैरिस का जिक्र कर रहे थे। कमला की मां श्यामला गोपालन चेन्नई से ताल्लुक रखती थीं। वह स्तन कैंसर पर अनुसंधान के लिए जानी जाती थीं। जैसे ही मोदी ने यह टिप्पणी की, प्रतिनिधि सभा की पूर्व अध्यक्ष नैंसी पेलोसी मुस्कुराईं और अपने सामने दीर्घा में बैठे भारतीय मूल के सांसद रो खन्ना व राजा कृष्णमूर्ति की तरफ देखते हुए तालियां बजाईं और उनका आभार व्यक्त किया। मोदी के संबोधन के अंत में भी सांसदों और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सदस्यों ने अपनी सीट पर खड़े होकर तालियां बजाईं। जैसे ही मोदी कक्ष से बाहर निकलने लगे, कई सांसद उनके आसपास जमा हो गए, उनसे हाथ मिलाया, उन्हें बधाई दी और उनके भाषण की विशेष प्रतियों पर उनके हस्ताक्षर लिए, जो उपस्थित लोगों को वितरित की गई थीं।
असीमित संभावनाएं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच गठजोड़ की असीमित संभावनाएं हैं और दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में दोनों देश वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए योगदान दे सकते हैं। मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों एवं समग्र वैश्विक सामरिक गठजोड़ में एक नया अध्याय जुड़ा है। वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि भारत के साथ यह साझेदारी दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारी में से एक है जो इतिहास में किसी भी समय अधिक मजबूत, करीबी और अधिक गतिशील है। बाइडन के साथ संयुक्त प्रेस संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज का दिन भारत और अमेरिका के संबंधों के इतिहास में एक विशेष महत्व रखता है। आज की हमारी चर्चा और महत्वपूर्ण निर्णयों से हमारी समग्र वैश्चिक सामरिक गठजोड़ में एक नया अध्याय जुड़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत और अमेरिका के बीच गठजोड़ की असीमित संभावनाएं हैं। हमारे संबंधों का सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ लोगों के बीच सम्पर्क है। 40 लाख से अधिक भातरतीय मूल के लोगों ने अमेरिका के विकास में योगदान दिया है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्र है और ये वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा, ''मुझे विश्वास है कि इन मूल्यों के आधार पर हम दुनिया की आकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं।’’ भारत के अर्टेमिस संधि में शामिल होने का फैसले की घोषणा के बारे में मोदी ने कहा कि हमने अंतरिक्ष सहयोग में नया कदम आगे बढ़ाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने राष्ट्रपति बाइडन के साथ कई क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुयी।
उन्होंने कहा कि भारत-अमेरिका का व्यापार और निवेश साझेदारी, दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है तथा आज अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा कारोबारी सहयोगी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम दोनों सहमत हैं कि हमारी सामरिक प्रौद्योगिकी गठजोड़ को सार्थक करने में गवर्नेंस, कारोबार और अकादमिक संस्थानों का साथ आना बहुत महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच करीबी रक्षा सहयोग हमारे आपसी विश्वास और साझा रणनीति प्राथमिकताओं का प्रतीक है। मोदी ने कहा कि पुराने समय के क्रेता-विक्रेता संबंध को पीछे छोड़कर आज हम प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण, सह-विकास और सह-उत्पादन की तरफ बढ़ चुके हैं। अमेरिका के साथ भारत के प्रगाढ़ होते रिश्तों का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि व्हाइट हाउस में इतनी बड़ी संख्या में भारतीय लोगों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि भारतीय अमेरिकी हमारे संबंधों की असली ताकत हैं। मोदी ने कहा कि इन संबंधों को और गहरा करने के लिए हम अमेरिका द्वारा बेंगलुरू और अहमदाबाद में वाणिज्य दूतावास खोलने के निर्णय का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और अमेरिका कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हम सहमत हैं कि सीमापार आतंकवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कार्रवाई आवश्यक है।’’ मोदी ने कहा, ‘‘हिन्द प्रशांत क्षेत्र में शांति और सुरक्षा यह हमारी साझा प्राथमिकता है। हम एकमत हैं कि इस क्षेत्र का विकास और सफलता पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है।’’ उन्होंने कहा कि कारोबार और निवेश में अमेरिका-भारत गठजोड़ न केवल दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी अहम है। एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि लोग कहते है नहीं, बल्कि भारत एक लोकतंत्र है और जैसा कि राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है, भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है।
संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति होगी
रक्षा सहयोग बढ़ाने और महत्वपूर्ण सूचना साझा करने की प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन अमेरिकी कमानों में तीन संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति पर सहमत हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ ने बाइडन और मोदी के बीच शिखर वार्ता के बाद बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिका और भारत ने उन तरीकों को अपनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाया है जिनसे दोनों देश अपने रक्षा सहयोग को बढ़ा सकते हैं। व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों देशों ने पहली बार अमेरिकी कमानों में तीन भारतीय संपर्क अधिकारियों को रखने का समझौता किया है जो ‘‘हमारी साझेदारी को गहरा करेगा और महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने में मदद करेगा।’’ उसने कहा कि अमेरिका और भारत ने आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा और पारस्परिक रक्षा खरीद व्यवस्था के लिए भी बातचीत शुरू की है, जो आपूर्ति श्रृंखला में अप्रत्याशित बाधा आने की स्थिति में रक्षा सामान की आपूर्ति को सक्षम बनाएगी। उन्होंने एक रक्षा औद्योगिक खाके को अंतिम रूप दिया, जो रक्षा उद्योगों को नीतिगत दिशा प्रदान करता करेगा और उन्नत रक्षा प्रणालियों के सह-उत्पादन के साथ-साथ सहयोगात्मक अनुसंधान और परीक्षण को सक्षम बनाएगा जिससे सैन्य शक्ति का भविष्य निर्धारित होगा।
वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, राष्ट्रपति बाइडन और प्रधानमंत्री मोदी ने सेनाओं के बीच मजबूत संबंधों, साजो सामान के मामले में परस्पर सहयोग और मूलभूत समझौतों के कार्यान्वयन को सुव्यवस्थित करने के प्रयासों की सराहना की। संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों नेताओं ने उल्लेख किया कि सूचना साझा करने और एक-दूसरे के सैन्य संगठनों में संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति से संयुक्त सेवा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के अपने संकल्प को भी दोहराया।’’ बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने अंतरिक्ष और कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित नए रक्षा क्षेत्रों में संवाद शुरू करने का स्वागत किया, जो क्षमता निर्माण, ज्ञान और विशेषज्ञता को बढ़ाएगा।
संबंधों को मजबूत किया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारतीय-अमेरिकियों ने भारत और अमेरिका के संबंधों का मजबूत करने और उस देश के समग्र विकास में अहम भूमिका निभाई है, जिसमें वे रह रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन द्वारा व्हाइट हाउस (अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास एवं कार्यालय) परिसर में आयोजित राजकीय रात्रिभोज में अपने ‘‘बेहतरीन’’ मेजबानों की सफलता एवं खुशी की कामना की। उन्होंने भारत और अमेरिका की चिरस्थायी मित्रता के साथ-साथ लोगों के अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि एवं स्वतंत्रता और समानता एवं भाईचारे की कामना की। उन्होंने कहा, ‘‘हर गुजरते दिन के साथ, भारतीय एवं अमेरिकी एक दूसरे को बेहतर तरीके से जान रहे हैं। हम एक दूसरे के नाम का उच्चारण ठीक से कर सकते हैं। हम एक दूसरे के बात करने के लहजे को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं। भारत में बच्चे ‘हेलोवीन’ पर ‘स्पाइडर मैन’ बनते हैं और अमेरिका में युवा ‘नाटु-नाटु’ की धुन पर नाच रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि अमेरिका को बेसबॉल पसंद है, लेकिन क्रिकेट भी यहां लोकप्रिय हो रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘अमेरिकी टीम इस साल के अंत में भारत में होने वाले क्रिकेट विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने की पूरी कोशिश कर रही है। मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और उनकी सफलता की कामना करता हूं।’’ उन्होंने बाइडन से कहा कि उन्होंने आज रात असाधारण प्रतिभाशाली और उल्लेखनीय लोगों को आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इसके लिए आपकी सराहना करनी चाहिए। ये लोग भारत-अमेरिका संबंधों, हमारी ऊर्जा, हमारी गतिशीलता और हमारे राष्ट्र का प्रतीक हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारतीय-अमेरिकियों ने अमेरिका में एक लंबा सफर तय किया है। उन्हें भारत के मूल्यों, लोकतांत्रिक परंपराओं और संस्कृति पर गर्व है तथा उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों एवं विचारधाराओं वाले अमेरिका में एक सम्मानजनक स्थान पाया है। भारतीय-अमेरिकियों ने अमेरिका के समावेशी समाज और अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’ इस रात्रिभोज में 400 से अधिक अतिथियों को आमंत्रित किया गया था, जिनमें मुकेश अंबानी, आनंद महिंद्रा, गूगल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला और एप्पल के सीईओ टिम कुक समेत प्रौद्योगिकी जगत के कई दिग्गज एवं अरबपति उद्योगपति शामिल थे।
भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने की योजना
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बैठक के बाद कहा कि भारत और अमेरिका वर्ष 2024 तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने के लिए गठजोड़ कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद बाइडन ने कहा कि भारत और अमेरिका एक साथ विकास के लिए करीब-करीब हर मानवीय प्रयासों में गठजोड़ कर रहे हैं। बाइडन ने कहा, ‘‘कैंसर, मधुमेह जैसे बीमारियों के परीक्षण एवं उपचार के नये रास्ते तैयार करने में गठजोड़ से लेकर मानव युक्त अंतरिक्ष उड़ान और 2024 तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने आदि में गठजोड़ कर रहे हैं।’’ वहीं, भारत के अर्टेमिस संधि में शामिल होने का फैसले की घोषणा के बारे में मोदी ने कहा कि हमने अंतरिक्ष सहयोग में नया कदम आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच गठजोड़ की असीमित संभावनाएं हैं। उल्लेखनीय है कि 1967 के बाह्य अंतरिक्ष संधि पर आधारित अर्टेमिस संधि असैन्य अंतरिक्ष अन्वेषण को दिशानिर्देशित करने के लिए तैयार किये गये गैर-बाध्यकारी सिद्धांतों का एक ‘सेट’ है। यह 2025 तक चंद्रमा पर मानव को फिर से भेजने का अमेरिका नीत प्रयास है, जिसका लक्ष्य मंगल और अन्य ग्रहों तक अंतरिक्ष का अन्वेषण करना है। वहीं, भारत पहला मानव युक्त अंतरिक्ष यान ‘गगनयान’ भेजने की योजना बना रहा है जो वर्ष 2024 के अंत या 2025 के प्रारंभ में हो सकता है। इससे पहले, व्हाइट हाउस के अधिकारी ने कहा था कि नासा और इसरो इस वर्ष मानव युक्त अंतरिक्ष उड़ान के लिए सामरिक ढांचा विकसित कर रहे हैं। सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में अमेरिकी कंपनियां भारत में सेमीकंडक्टर व्यवस्था के निर्माण के लिए गठजोड़ कर रहे हैं। अमेरिकी चिप कंपनी माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने बयान में कहा कि माइक्रोन गुजरात में सेमीकंडक्टर परीक्षण एवं असेंबली संयंत्र लगाएगी और इसके माध्यम से कुल 2.75 अरब डॉलर का निवेश होगा। माइक्रोन ने कहा कि दो चरणों में विकसित किए जाने वाले इस संयंत्र पर वह अपनी तरफ से 82.5 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी। बाकी राशि का निवेश केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा किया जाएगा। वहीं, अमेरिकी एप्लायड मैटिरियल्स ने भारत में वाणिज्यिकरण और नवाचार के लिए नये सेमीकंडक्टर केंद्र की स्थापना करने की घोषणा की। अधिकारी ने कहा कि दोनों देशों ने उन्न कम्प्यूटिंग, कृत्रिम बुद्धिमता और क्वांटम सूचना विज्ञान में सहयोग पर बढ़ाने की बात कही। दोनों ने कृत्रिम बुद्धिमता उन्नत वायरलेस एवं क्वांटम प्रौद्योगिकी पर नयी अनुपालन व्यवस्था पर भी हस्ताक्षर किये। उन्नत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दोनों देश 5जी और 6जी प्रौद्योगिकी पर काम कर रहे हैं।
भारतीय-अमेरिकियों की सफलता
अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति जो बाइडन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस सहित अपने प्रशासन में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों के योगदान का उल्लेख किया। बाइडन ने कहा कि भारतीय मूल के इन लोगों की सफलता की कहानियां अमेरिका और भारत के बीच असीमित संभावनाओं को परिभाषित करती हैं। बाइडन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा के दौरान व्हाइट हाउस में उनका स्वागत करने के दौरान यह टिप्पणी की। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि परिवार और बड़ों के प्रति कर्तव्य, सभी लोगों के साथ सम्मान और सम्मान के साथ व्यवहार करना, आत्म-अनुशासन, कड़ी मेहनत, विश्वास और समुदाय के प्रति सेवा, साहस, सहनशीलता और सभी के लिए सार्वभौमिक अवसर उपलब्ध कराना जैसे मूल्यों पर आधारित विशेष बंधन से दोनों देशों के बीच एक विशेष संबंध बना है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोगों में देखता हूं, जो अमेरिकी जीवन के हर हिस्से को प्रतिबिंबित करता है और हमारे देशों के बीच एक सेतु बना हुआ है जो प्रत्येक पीढ़ी के साथ और अधिक मजबूत होता जा रहा है।’’ बाइडन ने कहा, ''हम इसे अमेरिकी कांग्रेस में सेवारत भारतीय अमेरिकियों की रिकॉर्ड संख्या के साथ देखते हैं। हम इसे यहां व्हाइट हाउस में देखते हैं, जहां भारतीय समुदाय के गर्वित अमेरिकी हर दिन हमारे देश की सेवा करते हैं, जिसमें अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस भी शामिल हैं।’’
गौरतलब है कि बाइडन प्रशासन ने भारतीय मूल के रिकॉर्ड 150 से अधिक लोग हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ''कहानियां जो अमेरिका और भारत के बीच संबंधों और असीमित संभावनाओं को परिभाषित करती हैं। दो महान राष्ट्र, दो महान मित्र, दो महान शक्तियां जो 21वीं सदी की दिशा तय कर सकती हैं।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिकों की प्रशंसा करते हुए कहा कि व्हाइट हाउस में उनका भव्य स्वागत भारत के 1.4 अरब लोगों और अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के 40 लाख से अधिक लोगों के लिए बेहद सम्मान और गर्व की बात है। मोदी ने स्वागत के लिए राष्ट्रपति बाइडन और प्रथम महिला जिल बाइडन का हार्दिक आभार व्यक्त किया और कहा कि वह तीन दशक पहले एक आम आदमी के रूप में अमेरिका की यात्रा पर आए थे। उन्होंने कहा, ‘‘उस वक्त मैंने व्हाइट हाउस को बाहर से देखा था।’’ मोदी ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कई बार अमेरिका का दौरा किया, लेकिन आज पहली बार व्हाइट हाउस के दरवाजे इतनी बड़ी संख्या में भारतीय अमेरिकी समुदाय के लिए खोले गए हैं। मोदी ने कहा, ''भारतीय समुदाय के लोग अपनी प्रतिभा, मेहनत और समर्पण से अमेरिका में भारत का गौरव बढ़ा रहे हैं। आप हमारे दोनों देशों के रिश्ते की असली ताकत हैं।’’