श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति सिरिसेना का बड़ा बयान आया सामने, कहीं ये बातें

श्रीलंका आर्थिक और राजनीतिक बदहाली के बुरे दौर से गुजर रहा है।

Update: 2022-05-02 02:13 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रीलंका आर्थिक और राजनीतिक बदहाली के बुरे दौर से गुजर रहा है। देश के लोग राजनीतिक उठापठक और आर्थिक मुश्किलों के बीच झूल रहे हैं। वहीं इस बीच श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति और श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) के अध्यक्ष मैत्रीपाला सिरिसेना का बड़ा बयान सामने आया। उन्होंने पोलोन्नारुवा में अपनी पार्टी द्वारा आयोजित मई दिवस रैली को संबोधित करते हुए, रविवार को देश नए चुनावों का आह्वान किया।

देश के स्थानीय मीडिया कोलंबो पेज पर बताया गया कि एसएलएफपी के अध्यक्ष मैत्रीपाला सिरिसेना ने कहा है कि राजनेताओं को ऐसे समय में लोगों का पक्ष लेना चाहिए जब देश एक बड़ी त्रासदी का सामना कर रहा है, सिरिसेना ने आगे कहा कि वह इस उद्देश्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस पर सड़कों पर उतरे।
एसएलएफपी के अध्यक्ष ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे पर साधा निशाना
उन्होंने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनकी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैं भी सड़कों पर उतरा क्योंकि यह सरकार तब भी नहीं जाती जब देश के सबसे अमीर से लेकर बेगुनाह पीड़ित किसान और सरकारी कर्मचारी सरकार से घर जाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे। मैं देश में नई सरकार बनाना चाहता हूं। और हम यह करेंगे।' यहां तक पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि जब देश में हजारों की संख्या में लोग संकट में हैं तो वह घर पर नहीं रह सकते।
एसएलएफपी के अध्यक्ष मैत्रीपाला सिरिसेना ने अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस पर कहा, 'पोलोन्नारुवा में किसान जिन्होंने मोरागहकांडा जलाशय से देश को कृषि में आत्मनिर्भर बनाने का सपना देखा था, वे अब दैनिक आधार पर भी खेती करने में असमर्थ हैं। आज मैं मजदूर वर्ग की मई दिवस रैली में भाग लेता हूं, जिसने किसानों की आवाज उठाई और समुदाय व देश के शासक वर्ग के लिए अपनी समस्याओं और चुनौतियों को व्यक्त किया।'
पूर्व राष्ट्रपति ने किया आगाह
पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी आगाह किया कि यदि वर्तमान नेता बने रहे, तो ऐसी स्थिति होगी जहां लोग घर पर मर जाएंगे, यह कहते हुए उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति की टूटती हुए कमर का जिक्र किया।‌ पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि देश में दो या तीन लाख लोग पहले से ही भूख से मर रहे थे और उन्हें पूरे देश के लोगों के फोन आ रहे थे, जो भोजन और ईंधन मांग रहा है।
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