पाकिस्तान के कब्रिस्तानों में शवों को दफनाने के लिए मारामारी, कराची में पैसे देकर कब्र के ऊपर कब्र बनवा रहे लोग

पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में कब्रिस्तानों में मृतकों को दफनाने की जगह नहीं बची है।

Update: 2022-04-15 01:01 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में कब्रिस्तानों में मृतकों को दफनाने की जगह नहीं बची है। नतीजतन पहले से दफनाए गये मृतकों के कब्रों को तोड़कर उसमें दूसरे शवों को दफनाया जा रहा है। 1.6 करोड़ की आबादी वाले इस तटीय शहर में पुराने मकबरे टूटे हुए देखे जा सकते हैं। कब्रिस्तान में जगह के संकट के बीच कब्र माफियाओं भी हावी हो गए हैं।

क्रबिस्तान में जगह का संकट इतना गंभीर हो गया है कि लोग अपने परिजनों के शवों को दफनाने के लिए कब्र माफियाओं को मोटी रकम देने को मजबूर हैं। कराची में लगभग 250 कब्रिस्तान हैं, लेकिन कमोबेश हर जगह यही स्थिति है।
कराची के 39 कब्रिस्तानों का प्रबंधन करने वाले कराची मेट्रोपॉलिटन कॉरपोरेशन (केएमसी) के प्रवक्ता अली हसन साजिद ने कहा, वास्तविक समस्या यह है कि बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है। शहर में बुनियादी ढांचा वही है जो पाकिस्तान की स्थापना के समय मौजूद था। कुछ घटा -बढा नहीं,जबकि शहर की जनसंख्या हर साल बढ रही है। जगह का संकट का ही नतीजा है कि कब्र खोदने वाले माफियाओं का कारोबार बढ़ रहा है।
सुपुर्द-ए- खाक के लिए वसूली
कब्र माफिया खलील अहमद बताते हैं कि कराची के किसी भी कब्रिस्तान में शव दफनाने की जगह नहीं है। इसलिए पुरानी कब्रें तोड़ी जा रही हैं। कराची में सरकारी दफन शुल्क 7,900 रुपये है, लेकिन दो स्थानीय लोगों ने पिछले साल अपने परिजन के शवों को दफनाने के लिए 55,000 और 175,000 रूपये तक का भुगतान किया था। यह शुल्क यहां काम करने वाले 40 मजदूरों के बीच बांटी जाती है। अहमद अपने कार्य को एक आवश्यक सेवा के रूप में देखते हैं।
मौके का फायदा उठा रहे कब्र माफिया
पाकिस्तान में कब्र माफिया को दूध माफिया, चीनी माफिया और भू-माफिया की तरह लोग अवसरों का लाभ उठाने वाले भ्रष्टाचारी के रूप में देखते हैं। उन पर आरोप लगता है कि वे देश की बढती जनसंख्या से उपजी विषम परिस्थिति का लाभ उठा रहे हैं। कराची की आबादी बढ़ने के साथ ही कब्र माफियाओं का कारोबार फल-फूल रहा है। कराची के अलावा इनका गिरोह रावलपिंडी, पेशावर और लाहौर में भी तेजी से बढ रहा है।
आखिरी निशानी बचाना चुनौती
कब्र माफियाओं के सक्रिय होने के बाद परिजनों की अंतिम याद बचना लोगों के लिए चुनौती बन गई है। कुछ लोग तो नियमित तौर पर अपने पूर्वजों के कब्रों की निगरानी करते मिल जाते है। वहीं ,जो लोग कुछ समय बाद पू्र्वजों के आखिरी निशानी को देखने आते हैं तो कब्र के ऊपर किसी और के पूर्वज के नाम का पत्थर दिखाई देता है। शहर के कोरंगी कब्रिस्तान में पिता की कब्र पर इबादत करने पहुंचे मुहम्मद मुनीर बताते हैं कि पिता की आखिरी निशानी गायब है।
बढ़ रही है शहरी जनसंख्या
पाकिस्तान जनसंख्या के हिसाब से विश्व में पांचवे स्थान पर है। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार ,2020 में देश की जनसंख्या 22.08 करोड़ थी। यानी देश की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या के 2.83% के बराबर है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे लोगों का ग्रामीण इलाकों से शहरों की ओर पलायन भी हो रहा हैं। 2020 के आंकड़ों के अनुसार, देश की 35.1% आबादी शहरी है।
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