विदेशों में पिछले जन्म की परतें खोल अजीबोगरीब तरीके से इलाज कर रहे डॉक्टर, जान कर रह जाएंगे दंग
इस बात पर लंबे समय से विश्वास किया जाता है कि एक इंसान पहले भी कई जिंदगियां जी चुका होता है.
Past Life Regression Therapy: इस बात पर लंबे समय से विश्वास किया जाता है कि एक इंसान पहले भी कई जिंदगियां जी चुका होता है. यानी एक जिंदगी में मौत के बाद वो दूसरा जन्म लेता है. यही वो विश्वास है, जिसके बल पर पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी (past life regression therapy) के प्रति दुनियाभर में रुचि बढ़ रही है. क्या कभी आपको किसी इंसान से पहली बार मिलकर ऐसा महसूस होता है कि आप पहले भी उससे मिल चुके हैं? क्या आपको पहली बार किसी जगह पर जाकर ऐसा लगता है कि आप पहले भी वहां गए हैं?
या फिर आपको बार-बार एक ही सपना दिखता है और आप आधी रात को अचानक उठ जाते हों? क्या आप इस सवाल का जवाब दे सकते हैं कि एक चार साल का बच्चा भी कैसे वेदिक गणित की जानकारी रखता है? ये वही सवाल हैं, जिनका जवाब इलाज के इस तरीके से पता लगाया जा सकता है. एक लंबे वक्त से इसी थेरेपी के जरिए फिजियोथेरेपिस्ट और हिप्नोथेरेपिस्ट इलाज कर रहे हैं.
पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी करने वालों में अमेरिकी फिजियोथेरेपिस्ट और हिप्नोथेरेपिस्ट डॉक्टर ब्रेन वीस का नाम काफी मशहूर है, जो इस विषय पर करीब पांच किताब लिख चुके हैं. वह अमेरिका सहित कई यूरोपीय देशों में जाने जाते हैं. उन्होंने अपनी इन किताबों (past life regression therapy books) में थेरेपी को कराने वाले लोगों की कहानियां भी साझा की हैं. जिनमें यूरोपीय देशों के लोगों सहित भारतीय (past life regression therapy in India) भी शामिल हैं. वहीं अब ये थेरेपी भारत में भी तेजी से प्रचलित हो रही है.
क्या होती है पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी?
यह दो थ्योरी (past life regression therapy meaning) पर आधारित होती है. इसमें पहली थ्योरी है, रीइंकार्नेशन यानी पुनर्जन्म. जिसमें कहा जाता है कि जब तक इंसान अपनी आत्मा का पूर्ण विकास नहीं कर लेता, तब तक वह जन्म लेता रहता है. अपनी हर एक जिंदगी में वो अलग-अलग अनुभव लेता है और विभिन्न चीजें सीखता है. जो भविष्य में एक नए जन्म तक उनके साथ जाती हैं. दूसरी थ्योरी है, लॉ ऑफ कर्मा (Law of Karma). जिसका मतलब है जो आप बोते हैं, वही काटते हैं. यानी अगर किसी के साथ आपने बुरा किया है, तो अगले जन्म में आपको इस ऋण को चुकाना होगा और उस इंसान के लिए कुछ बेहतर करना होगा.
इससे कैसे इलाज होता है?
पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी के जरिए वास्तवित जीवन में होने वाली कई परेशानियों को हल करने का दावा किया जाता है. जैसे अगर किसी को ऊंचाई से, अंधेरे से, पानी से, हवाई जहाज में बैठने से या गाड़ी चलाने से डर लगता है, तो इसके पीछे छिपे उन कारणों का पता लगाया जाता है, जो पिछले जन्म से जुड़े होते हैं. इसके लिए हिप्नोसिस किया जाता है, जिसे आम भाषा में सम्मोहन कहते हैं. सम्मोहन के बाद थेरेपिस्ट एक रिकॉर्डर ऑन कर देता है और फिर अपने क्लाइंट से ऐसे सवाल पूछता है, जिनके जवाब उसकी आज की समस्याओं को हल कर सकते हैं.
इस दौरान ये शख्स अपने पिछले जन्म को स्क्रीन पर चल रही एक फिल्म की तरह देखता है. ये भी दावा किया जाता है कि कई बार पिछले जन्म की कहानी फिल्म के तौर पर ना देख इंसान खुद उसे शारीरिक रूप में महसूस करता है. यानी जो उसके साथ सदियों दशकों पहले हो चुका होता है, उसे सम्मोहन के दौरान ऐसा लगता है कि उसके साथ आज भी ऐसा हो रहा है. जिससे कई बार लोग भावुक भी हो जाते हैं.
किन बीमारियों को ठीक करने का है दावा?
इस थेरेपी (past life regression therapy benefits) के जरिए व्यवहार में अंतर आता है, यानी जिन चीजों से डर लग रहा है, वो डर खत्म हो जाता है. अगर किसी इंसान से कोई जुड़ाव महसूस होता है, तो उसके पीछे का कारण पता चल जाता है. किसी इंसान से झगड़ा होता है और उसके साथ तनाव बना रहता है तो उसकी वजह भी पता चल जाती है.
इसके साथ ही इससे शरीर की कई बीमारियों को ठीक करने का दावा भी किया जाता है. जैसे कमर, हाथ, पैर का दर्द, डिप्रेशन (past life regression therapy for depression) और अस्थमा. अगर किसी अपने की अचानक मौत हो जाए तो उसके गम से बाहर निकलने के लिए भी इस थेरेपी का इस्तेमाल होता है.
क्यों जरूरी मानी जाती है ये थेरेपी?
थेरेपी के जरिए इलाज करने वाले डॉक्टर ऐसा मानते हैं कि इंसान के भीतर छिपा कोई डर या उसका व्यवहार कई बार एक बोझ की तरह पिछले कई जन्म से उसके साथ बना रहता है और उसका आज प्रभावित करता है. ऐसे में इस तरह की अड़चनों को दूर करना जरूरी है.
इससे कई भावनात्मक और शरीरिक परेशानियों को दूर किया जा सकता है. किसी के साथ कौन सा कर्मा जुड़ा है, कोई क्यों हमें परेशान कर रहा है या किसी से कोई रिश्ता न होने पर भी वो क्यों हमारी ओर खिंचा आ रहा है या फिर हम किसी को ना जानते हुए भी कैसे उसे अपना महसूस करते हैं, इन सभी सवालों का जवाब भी इस थेरेपी में मिलता है.
किताबों में कैसे-कैसे दावे?
इस विषय पर अब तक दर्जनों किताबें लिखी जा चुकी हैं, जिनके अधिकतर लेखक अमेरिका से जुड़े हैं. यही किताबें अब भारत में काफी पढ़ी जा रही हैं और यहां के लोग भी इसपर विश्वास करने लगे हैं. किताबों में थेरेपी से कई परेशानियों को दूर करने के दावे हैं. जैसे, एक महिला को पानी से काफी डर लगता था, जब उसके पीछे की वजह जाननी चाही तो पता चला कि वह पिछले जन्म में एक सैनिक थी, जिसे पानी में डुबाकर मारा गया था. इसके अलावा एक शख्स जिसके हाथ पर अजीब सा निशान है और उसमें दर्द होता है, तो पता चला कि उसके हाथ पर चाकू से वार किया गया था.
एक अन्य उदाहरण एक महिला को कमर में होने वाले दर्द का है. उसे थेरेपी में पता चला कि कमर में चोट लगने के कारण उसकी पिछले जन्म में मौत हो गई थी, जिसके कारण उसे आज भी उसी जगह पर दर्द होता था. लेकिन थेरेपी के बाद ये दर्द खत्म हो गया. इसके अलावा कई डरावने सपनों के पीछे छिपे कारणों को जानने के बाद लोगों को ऐसे सपनों से निजात मिलने के दावे भी किताब में किए गए हैं.
लेन स्टीवेंसन नाम के साइकाइट्रिस्ट ने 'वेयर रिइंकार्नेशन एंड बायोलॉजी इंटरसेक्ट' नामक किताब में अपने कई मरीजों का जिक्र किया है. उन्होंने इसमें बताने की कोशिश की है कि कई लोगों के शरीर पर पिछले जन्म के निशान मौजूद होते हैं. किताब में दिए उदाहरण के अनुसार, एक विकृत हाथ वाला बच्चा पिछले जन्म में एक ऐसा इंसान था, जिसका हाथ काट दिया गया था. स्टीवेंसन ने बताया है कि कैसे पिछला जन्म किसी को शारीरिक तौर पर प्रभावित कर सकता है.
क्या विश्वास करते हैं लोग?
इस थेरेपी पर कई लोग विश्वास करते हैं और कई लोग नहीं करते. लेकिन इसपर लिखी किताबें और लोगों के अनुभव काफी कुछ बयां करते हैं, जिनमें से कई तो विश्वास (past life regression therapy experience) से परे हैं. डॉक्टर ब्रेन वीस की किताब के अनुसार, उन्होंने अपने एक क्लाइंट का इलाज पास्ट लाइफ रिग्रेशन थेरेपी के जरिए किया था. उस इंसान ने जो साल और जगह देखी वो बातें रिकॉर्डर मशीन में रिकॉर्ड हो चुकी थीं (does past life regression therapy work).
फिर इन जगहों और उस साल होने वाली घटनाओं की खोज की गईं और वो सब सच साबित हुईं. इसी तरह के उदाहरण कई भारतीय हिप्नोथेरेपिस्ट भी देते हैं. हालांकि एक तबका ऐसा भी है, जो इन सब चीजों पर विश्वास नहीं करता. ऐसे में हम केवल किताबों में लिखे दावे और लोगों के बताए अनुभवों की जानकारी ही दे सकते हैं. लेकिन इस थेरेपी में कितनी सच्चाई छिपी है, ये इंसान का खुद का अनुभव ही बता सकता है. इस थेरेपी को सिखाने वाले कई इंस्टीट्यूट (past life regression therapy course) भी शुरू किए गए हैं. जहां से लोग थेरेपी करना सीख रहे हैं.