विवादित क्षेत्र से अपने जहाज नहीं हटा रहा चीन, अब फिलीपींस ने भेजे लड़ाकू विमान
फिलीपींस और चीन के बीच विवाद लगातार गहराता जा रहा है.
फिलीपींस और चीन (China Philippines Conflict) के बीच विवाद लगातार गहराता जा रहा है. भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बाद अब चीन इस छोटे से देश से पंगा ले रहा है. चीन ने दक्षिण चीन सागर के एक विवादित क्षेत्र में अपने 200 से अधिक जहाज तैनात किए हैं (China and Philippines Issue), जिसके बाद फिलीपींस ने लड़ाकू विमान भेजे हैं, जो इन सैकड़ों जहाजों के ऊपर उड़ान भरेंगे. ये बात फिलीपींस के रक्षा मंत्री ने कही है. उन्होंने इस स्थान को खाली करने की अपनी मांग को दोहराया है.
फिलीपींस चीनी जहाजों की मौजूदगी को चीन की धमकी के तौर पर देख रहा है. जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस घटना को लेकर चिंता बढ़ गई है. मनीला का ऐसा मानना है कि इनमें चीन की समुद्री सेना के लोग भी सवार हैं. ये जहाज फिलीपींस के 200 मील के विशेष आर्थिक क्षेत्र व्हिट्सन रीफ में हैं (China Claims Philippines as Their Territory). रक्षा सचिव डेल्फिन लोरेंजाना ने शनिवार को एक बयान में कहा, इसी वजह से फिलपींस की सेना स्थिति की निगरानी के लिए यहां रोजाना अपने विमान भेजती है.
नौसेना की मौजूदगी बढ़ेगी
उन्होंने दक्षिण चीन सागर के इस क्षेत्र में 'संप्रभुता के लिए पेट्रोलिंग' और अपने मछुआरों की रक्षा के लिए नौसेना की मौजूदगी बढ़ाने की बात कही है. लोरेंजाना ने कहा, 'हमारी संप्रभुता और संप्रभु अधिकारों की रक्षा के लिए वायु सेना तैयार है.' फिलीपींस में चीनी दूतावास ने मामले में अभी तक कुछ नहीं कहा है (China Philippines Dispute). इससे पहले चीन ने कहा था कि व्हिट्सन रीफ में मौजूद ये जहाज मछली पकड़े वाली नाव हैं, जिन्होंने समुद्री तूफान से बचने के लिए यहां शरण ली है. चीन की ओर से ये भी कहा गया था कि इनमें कोई मिलिशिया मौजूद नहीं हैं.
कई देश करते हैं क्षेत्र पर दावा
वहीं फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते (Rodrigo Duterte) ने चीनी राजदूत हुआंग शिलियांग से कहा है कि साल 2016 में फिलीपींस ने एक लैंडमार्क आर्बिट्रेशन केस जीता था, जिससे उसके संप्रभु अधिकार स्पष्ट हो गए थे (China Philippines Island Dispute). दक्षिण चीन सागर (China Philippines South China Sea) के क्षेत्रों में दावा करते हुए ब्रुनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान, चीन और वियतनाम की प्रतिस्पर्धा चल रही है. इस रास्ते से कम से कम 3.4 ट्रिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार होता है.