ब्रिटिश खुफिया प्रमुख ने दी चेतावनी, कहा- 'तालिबानी हुकूमत से बढ़ सकता है आतंकियों का दुस्साहस'

ब्रिटेन की घरेलू खुफिया सेवा मिलिट्री इंटेलीजेंस सेक्शन-5 (एमआइ5) के महानिदेशक केन मैक्कलम ने शुक्रवार को चेतावनी दी.

Update: 2021-09-10 16:34 GMT

लंदन, ब्रिटेन की घरेलू खुफिया सेवा मिलिट्री इंटेलीजेंस सेक्शन-5 (एमआइ5) के महानिदेशक केन मैक्कलम ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत ने संभवत: आतंकियों में उत्साह भर दिया है और 9/11 की तर्ज पर आतंकी हमलों का खतरा बरकरार है। अमेरिका पर 9/11 हमले की बरसी की पूर्वसंध्या पर मैक्कलम ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि अब सतर्क रहने की ज्यादा जरूरत है क्योंकि अफगानिस्तान में ताजा घटनाक्रमों के मद्देनजर चरमपंथियों का मनोबल काफी बढ़ गया होगा।

उन्होंने बताया कि पिछले चार साल में ब्रिटिश पुलिस और खुफिया सेवा ने देश के खिलाफ आतंकी हमलों की आखिरी चरण की 31 साजिशों को विफल किया। बड़ी चिंता की बात यह है कि अब आतंकियों के फिर से संगठित होने और ज्यादा विकसित व जटिल साजिशों को अंजाम देने का खतरा है। मैक्कलम ने कहा, 'रातों-रात यहां और अन्य देशों में मौजूद चरमपंथियों मनोबल बढ़ सकता है या मनोवैज्ञानिक रूप से मजबूत हो सकते हैं। इसलिए हमें प्रेरित आतंकवाद के साथ-साथ फिर अलकायदा जैसी साजिशों के प्रति सतर्क रहना होगा।' उन्होंने बताया कि इस्लामिक स्टेट (आइएस) कुछ ऐसा करने में सफल रहा है जो अलकायदा भी नहीं कर पाया और वह यह कि आइएस ने बहुत से लोगों को छोटी-छोटी आतंकी वारदातें करने की कोशिश करने के लिए प्रेरित किया है। उन्होंने कहा कि इतिहास के इस दौर में आतंकवाद का खतरा हमारे जीवन का हिस्सा है और आने वाले कुछ समय तक हमारे साथ बना रहेगा।
सिंगापुर के गृह मंत्री को अंदेशा, पहले जैसी हरकतें फिर करेगा तालिबान
सिंगापुर के कानून एवं गृह मंत्री के. षणमुगम ने शुक्रवार को अंदेशा जताया कि तालिबान पहले जैसी हरकतें फिर करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि तालिबानी हुकूमत में अफगानिस्तान क्षेत्र के संभावित आतंकियों के लिए फिर सुरक्षित पनाहगाह बन सकता है और क्षेत्र में आतंकवाद बढ़ सकता है। भारतीय मूल के मंत्री ने कहा, यह डर इसलिए है क्योंकि पूर्व में तालिबान के शासन ने सिंगापुर समेत दक्षिण-पूर्व एशिया के संभावित आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराई थी।
सुरक्षा एजेंसिया और गंभीर लोग चिंतित
उन्होंने कहा, 'अगर आप पूछेंगे कि आतंकियों की जरूरत क्या है या उन्हें क्या मदद चाहिए तो वह है सुरक्षित पनाहगाह। जहां वे प्रशिक्षण ले सकें, जहां उनके मस्तिष्क को और कट्टर बनाया जा सके। पूर्व में आइएस और अलकायदा के साथ क्या हुआ, उन्हें सुरक्षित पनाहगाह मिली। अफगानिस्तान ने सिंगापुर समेत दक्षिण-पूर्व एशिया के लोगों को प्रशिक्षण के लिए सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराई, उन्हें हथियार मुहैया कराए और लड़ाई के प्रशिक्षण की वजह से ये लोग ज्यादा कट्टर और बहुत ज्यादा खतरनाक बन गए। क्या यह सब अब फिर होगा? बहुत से लोगों को इसी बात का डर है। मुझे भी डर है कि यह सब फिर होगा। मुझे लगता है कि सुरक्षा एजेंसिया और गंभीर लोग इसके बारे में चिंतित हैं।'
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