काला इतिहास! Apollo 1 की उस कहानी से आज भी डरता है अमेरिका, जब जिंदा जल गए अंतरिक्षयात्री

अंतरिक्ष के मामले में 1960 का दशक आज भी काफी याद किया जाता है. ये वो समय था, जब अमेरिका और सोवियत संघ एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे थे.

Update: 2022-01-28 05:19 GMT

 फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अंतरिक्ष के मामले में 1960 का दशक आज भी काफी याद किया जाता है. ये वो समय था, जब अमेरिका और सोवियत संघ (Soviet Union) एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे थे. अमेरिका ने अपने अंतरिक्षयात्रियों को चंद्रमा की सतह पर सबसे पहले उतारने के लिए अपोलो प्रोग्राम (Apollo Programme) शुरू किया. अपोलो 1 (Apollo 1) AS-204 के नाम से भी जाना जाता है. इसे 21 फरवरी, 1967 को अपोलो कमांड और सर्विस मॉड्यूल का एक टेस्ट करना था, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में किया जाता. लेकिन मिशन कभी पूरा नहीं हो सका.

हादसा करीब एक महीने पहले 27 जनवरी को हुआ. इस दिन अमेरिका के फ्लोरिडा में स्थित केप केनेडी एयर फोर्स स्टेशन के कैबिन में आग लग गई. जिसमें तीन क्रू मेंबर की जिंदा जलकर मौत हो गई. कमांड पायलट गस ग्रिसम, सीनियर पायलट एड व्हाइट और पायलट रॉजर बी. कफी सभी की जान चली गई (Apollo 1 Astronauts Names). इनके आखिरी शब्द थे 'हम जल रहे हैं'. ये तीनों अंतरिक्षयात्री एक स्पेसक्राफ्ट में बैठकर प्रैक्टिस कर रहे थे, ताकि लॉन्च के बाद अंतरिक्ष में मिशन को अंजाम दिया जा सके. सभी दोपहर के करीब 1 बजे अंतरिक्षयान में आए लेकिन साढ़े पांच घंटे बाद ये रुटीन टेस्ट एक काला इतिहास बनकर रह गया.
ऑक्सीजन फ्लो ज्यादा हो गया
शाम के 6:30 बजे के बाद मिशन कंट्रोल के इंजीनियरों ने कैबिन के भीतर अधिक ऑक्सीजन फ्लो और प्रेशर बनते देखा. जिसके बाद वहां आग लग गई. कुछ ही देर में अंतरिक्षयान के भीतर लगी आग बाहर तक आ गई और उसे चारों ओर से घेर लिया (Apollo 1 Explosion). लेकिन अंतरिक्षयात्री अंदर ही फंसे रह गए. ऐसा माना जाता है कि अंतरिक्ष यात्रियों ने चीखते हुए कहा था, 'हमारे आसपास भयानक आग लग गई है, बाहर निकलना है. हम जल रहे हैं.' आग तो कुछ समय बाद बुझ गई लेकिन उसका परिणाम इतना भयंकर था कि अमेरिका में इस कहानी को सुनने वाले आज भी कांप उठते हैं.
दरवाजा नहीं खोल सके इंजीनियर
इंजीनियर्स अंतरिक्षयान का दरवाजा खोलना चाहते थे, लेकिन नहीं खोल सके. मिशन कंट्रोलर लाइव वीडियो में सब देखते रहे लेकिन असहाय होकर. इमरजेंसी क्रू को अंतरिक्षयान के दरवाजे खोलने में पांच मिनट का वक्त लगा. लेकिन अंदर हद से ज्यादा गर्मी और धुआं था (Apollo 1 Disaster Date). तीन अंतरिक्षयात्रियों की मौत हो चुकी है. घटना के बाद उसकी जांच के आदेश दिए गए. समीक्षा बोर्ड को पता चला कि यूरीन कलेक्शन सिस्टम से पाइपिंग के ऊपर निकले तार की वजह से हादसा हुआ. आग नीचे से लगनी शुरू हुई और बचने के लिए अंतरिक्षयात्रियों को वक्त नहीं मिला.
जहरीली हवा की वजह से हुई मौत
केबिन में ऑक्सीजन की वजह से सारा सामान तहस नहस हो गया था. तार के पास मौजूद ज्वलनशील सामग्री में तुरंत आग लग गई थी. अंतरिक्षयान को धुएं से भरने में महज दस सेकेंड का वक्त लगा (Apollo 1 Cause of Death). जांच में ये भी पता चला कि सभी अंतरिक्षयात्रियों की ऑक्सीजन नली अलग हो गई थी, जिसके चलते वहां फैली जहरीली हवा ने उनके शरीर में प्रवेश कर लिया. इसी वजह से एक मिनट से भी कम वक्त में सबकी मौत हो गई. आधिकारिक तौर पर उनकी मौत का कारण धुएं में सांस लेने में आई रुकावट को बताया गया था.
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