भुखमरी से हालात के बीच अफगानिस्तान में बैंकिंग व्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर, UN ने रिपोर्ट में चेताया
भुखमरी जैसे हालात झेल रहे अफगानिस्तानियों के लिए समस्याएं दिनोंदिन और बढ़ती जाएंगी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भुखमरी जैसे हालात झेल रहे अफगानिस्तानियों के लिए समस्याएं दिनोंदिन और बढ़ती जाएंगी। संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में बैंकिंग और फाइनेंशियल सिस्टम ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच गए हैं।
यूएन डिवेलपमेंट की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है, 'अफगानिस्तान की वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली चरमरा गई है।' रिपोर्ट में यह भी चेताया गया है कि अगर अफगानिस्तान की सीमित उत्पादन क्षमता में सुधार लाना है और बैंकिंग प्रणाली को ध्वस्त होने से बचाना है तो बैंक संबंधित समस्याओं का शीघ्र समाधान किया जाना चाहिए।
तालिबान के कब्जे के कुछ ही समय बाद अमेरिका ने विदेशों में मौजूद अफगानिस्तानी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया था, जिसकी वजह से देश की वित्तीय व्यवस्था को जबरदस्त धक्का लगा।
मौजूदा समय में देश के सेंट्रल बैंक में जरूरत के मुताबिक धनराशि जमा नहीं हो रही है, जिसके कारण तालिबान ने आम जनता के लिए हर हफ्ते 200 डॉलर निकालने की सीमा तय कर दी है। हालांकि, न्यूज एजेंसी स्पूतनिक के मुताबिक, इस सीमा को बढ़ाकर हाल ही में 400 डॉलर कर दिया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान की बैंकिंग प्रणाली में कुल जमा धनराशि बीते साल दिसंबर में 2.8 अरब डॉलर से घटकर इस साल सितंबर में सिर्फ 2 अरब डॉलर रह गई। मौजूदा गति और धन निकासी प्रतिबंधों के बावजूद यह जमा राशि 2021 के अंत तक घटकर 1.7 अरब डॉलर रह जाने की आशंका है, जिसके बाद अफगानिस्तान की बैंकिंग प्रणाली ढहने की कगार पर होगी।
यूएनडीपी के रेजिडेंट प्रतिनिधि अब्दल्लाह अल दरदारी कहते हैं, 'बैंकिंग क्षेत्र के बिना अफगानिस्तान के लिए कोई मानवीय समाधान नहीं है। क्या हम वाकई अफगानियों को पूरी तरह अलग-थलग होता हुआ देखना चाहते हैं?' अफगानिस्तान की बैंकिंग व्यवस्था को ध्वस्त होने से बचाने के लिए यूएनडीपी ने निर्णायक कदम उठाए जाने की मांग की है।