अमेरिका ने ताइवान को इन्विटेशन भेज कर बढ़ाई चीन की टेंशन! वर्चुअल समिट के लिए 100 से ज्यादा देशों के प्रमुखों को न्योता

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक वर्चुअल समिट में भारत समेत कई देशों का आमंत्रित किया है. यह समिट लोकतंत्र के मुद्दे पर होगा.

Update: 2021-11-24 03:38 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने एक वर्चुअल समिट में भारत समेत कई देशों का आमंत्रित किया है. यह समिट लोकतंत्र के मुद्दे (virtual summit on democracy) पर होगा. हालांकि इस वर्चुअल समिट में बाइडन ने चीन को (America-China Relation) आमंत्रित नहीं किया है. वहीं ताइवान को न्योता भेजा गया. इस सूची में नाटो सदस्य तुर्की का भी नाम नहीं है. यह समिट 9-10 दिसंबर को होगा. मंगलवार को अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर पोस्ट की गई एक सूची के अनुसार, प्रमुख पश्चिमी सहयोगियों, इराक, भारत और पाकिस्तान सहित 110 देशों को इस बैठक में आमंत्रित किया गया है. चीन इस बैठक में आमंत्रित नहीं है. हालांकि ताइवान को आमंत्रित करने से चीन और अमेरिका के रिश्तों में और तल्खी आ सकती है. इस लिस्ट में तुर्की का भी नाम नहीं है.

मध्य पूर्व के देशों मेंइज़राइल और इराक को आमंत्रित किया गया है. वहीं अमेरिका के पारंपरिक अरब सहयोगियों – मिस्र, सऊदी अरब, जॉर्डन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात को न्योता नहीं दिया गया है. बाइडन ने ब्राजील को भी बैठक में शामिल होने का न्योता दिया है. बता दें ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सेनारो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रबल समर्थकों में से एक थे.
पोलैंड, कांगो, दक्षिण अफ्रीका, नाइजर भी किए गए आमंत्रित
यूरोप में पोलैंड को उसके मानवाधिकार रिकॉर्ड पर यूरोपीय संघ के साथ लगातार तनाव के बावजूद शिखर सम्मेलन में बुलाया गया. वहीं कट्टरपंथी राष्ट्रवादी प्रधान मंत्री विक्टर ओरबान के नेतृत्व में हंगरी को न्योता नहीं दिया गया. अफ्रीका में, कांगो, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया और नाइजर इस लिस्ट में शामिल हैं. विदेश विभाग की वेबसाइट पर पोस्ट की गई लिस्ट के अनुसार अंतिम सूची में रूस का भी नाम नहीं है कि जबकि दक्षिण एशिया क्षेत्र में अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका को न्योता नहीं दिया गया है.
इस साल अगस्त में शिखर सम्मेलन की घोषणा करते हुए, व्हाइट हाउस ने कहा था कि बैठक 'तीन प्रमुख विषयों पर प्रतिबद्धताओं और पहलों को बढ़ावा देगी जिसमें सत्तावाद के खिलाफ बचाव, भ्रष्टाचार से लड़ना और मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देना' शामिल है.
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