दुनियाभर में वायु प्रदूषण की एक बड़ी समस्‍या, कितना खतरनाक होता है धूम कोहरा ?

अत्‍यधिक समय तक वायु में रहने से दृश्‍यता को घटा देते हैं। यह सांसों में पहुंचकर शरीर के भीतर कई तरह के रोग उत्‍पन्‍न करते हैं।

Update: 2021-11-18 09:19 GMT

दुनियाभर में वायु प्रदूषण की समस्‍या अब मानव जाति के एक बड़ी समस्‍या बन चुकी है। अगर वक्‍त रहते स्थितियों पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो फ‍िर यह पूरी मानव सभ्‍यता के साथ धरती के अस्तित्‍व के लिए भी संकट उत्‍पन्‍न कर सकता है। वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है। क्‍या आप जानते हैं कि ये दुनिया की आबोहवा क्‍यों प्रदूषित हो रही है। इसके बड़े कारण और कारक कौन हैं। इसके लिए आखिर हम यानी मानव कितने जिम्‍मेदार हैं। क्‍या हमारे थोड़े से प्रयास और सजगता से धरती और मानव सभ्‍यता को बचाया जा सकता है। आज हम आपको एकदम सरल शब्‍दों में वायु प्रदूषण के बारे में बताते हैं। इसके साथ यह बताएंगे कि यह किन कारणों से होता है। इसके लिए कौन से कारक हैं। क्‍या इसे नियंत्रित किया जा सकता है। पर्यावरणविद विजय बघेल से बातचीत पर आधारित।

आखिर वायु प्रदूषण कैसे होता है ?
1- पहले यह जान लें कि मानव जाति के लिए स्‍वच्‍छ वायु बेहद जरूरी है। हम कुछ समय तक भोजन के ब‍िना जीवित रह सकते हैं, लेकिन वायु के बिना हम कुछ क्षण भी जीव‍ित नहीं रह सकते। इससे हमारे जीवन में वायु के महत्‍व को समझा जा सकता है। जब हवा प्रदूषित हो जाती है तो इसे वायु प्रदूषण कहते हैं। सवाल यह है कि वायु प्रदूषण कैसे फैलता है। देख‍िए, इसके लिए प्रकृति और मानव दोनों वायु प्रदूषण के लिए जिम्‍मेदार है, लेकिन मानव की विकास प्रक्रिया ने वायु प्रदूषण की गति को तेज किया है।
2- इसे सामन्‍य भाषा में समझिए जब वायुमंडल में धुएं की मात्रा में इजाफा होता है तो वायु प्रदूषण की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है। वायुमंडल में जब इसकी मात्रा एक सीमा से ज्‍यादा बढ़ जाती है, तो स्थिति विकट हो जाती है। प्रकृति में होने वाली घटनाओं जैसे ज्‍वालामुखी का फटना, वनों में आग लगने से उठने वाला धुआं भी वायु प्रदूषण के लिए जिम्‍मेदार है। प्राकृतिक घटनाएं कभी कभार होती हैं इसलिए यह बहुत चिंता का विषय नहीं है। लेकिन मानव के क्रियकलाप से वायुमंडल में प्रदूषण की स्थिति विस्‍फोटक हो गई है। इन वायु प्रदूषकों में फैक्‍टरी से निकलने वाला धुआं, विद्युत संयंत्र, स्‍वचालित वाहन निर्वातक, ईंधन के रूप में प्रयोग में लाई जा रही लकड़ी तथा उपलों के जलने से निकलने वाला धुओं वायुमंडल को प्रदूषित कर रहे हैं।
3- देश और दुनिया में वाहनों की संख्‍या में तेजी से इजाफा हो रहा है। वाहन अधिक मात्रा में कार्बन मोनोआक्‍साइड, कार्बन डाइआक्‍साइड और नाइट्रोजन आक्‍साइड तथा धुआं उत्‍पन्‍न करते हैं। पेट्रोल तथा डीजल जैसे ईंधनों के दहन से कार्बन मोनोआक्‍साइड पैदा होती है। यह एक विषैली गैस है। यह मानव के रक्‍त में आक्‍सीजन वाहक क्षमता को घटा देती है।
4- डीजल तथा पेट्रोल के दहन से चलने वाले स्‍वचालित वाहनों द्वारा अत्‍यन्‍त छोटे कण भी उत्‍पन्‍न होते हैं। अत्‍यधिक समय तक वायु में रहने से दृश्‍यता को घटा देते हैं। यह सांसों में पहुंचकर शरीर के भीतर कई तरह के रोग उत्‍पन्‍न करते हैं।


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