धवन बने भारतीय टीम के कप्तान तो इस पूर्व दिग्गज को आई कुंबले की याद, कहा- ऐसा तब भी हुआ था

भारत के पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर को लगता है कि धवन को वो मिला है जिसके वो हकदार थे

Update: 2021-06-13 09:04 GMT

भारतीय टीम (Indian Cricket Team) जुलाई में दो जगह होगी. टेस्ट टीम इंग्लैंड में पांच मैचों की सीरीज की तैयारी कर रही होगी तो वहीं एक टीम श्रीलंका में सीमित ओवरों की सीरीजें खेल रही होगी. टेस्ट टीम की कप्तानी विराट कोहली के हाथों में होगी तो वहीं श्रीलंका में बाएं हाथ के बल्लेबाज शिखर धवन टीम की कप्तानी करेंगे. धवन लंबे समय से भारत के लिए खेल रहे हैं और टीम के सबसे अनुभवी बल्लेबाजों में गिने जाते हैं और इसलिए भारत के पूर्व बल्लेबाज संजय मांजरेकर को लगता है कि धवन को वो मिला है जिसके वो हकदार थे.

दुनिया के बेहतरीन कॉमेंटेटर मांजरेकर ने धवन की तुलना भारत के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले से की है जिन्हें अपने डेब्यू के 17 साल बाद टीम का कप्तान बनाया गया था. मांजरेकर ने कहा है कि वक्त के साथ धवन के प्रदर्शन में सुधार हुआ है और कोई और खिलाड़ी उनसे ज्यादा इस पद का हकदार नहीं था.
आखिरकार मिल गया रिवार्ड
मांजरेकर ने ईएसपीएनक्रिकइंफो से बात करते हुए कहा, "भारत के महान लेग स्पिनर अनिल कुंबले को काफी देर से कप्तानी मिली थी और मुझे याद है कि मैं उस समय कैसा महसूस कर रहा हूं. मुझे लगा था कि लंबे समय से भारत की सेवा करने वाले खिलाड़ी को आखिरकार वो मिल गया जिसका वो हकदार है. मुझे यही एहसास शिखर धवन के समय हो रहा है उन्हें भारत की कप्तानी करने का मौका मिल गया. उनके अलावा कोई और इसका ज्यादा हकदार नहीं था, वह लंबे समय से भारत के लिए खेल रहे हैं. और सफेद गेंद से उनका प्रदर्शन उम्र के साथ बेहतर हुआ है, खासकर टी20 में. यह बेहतरीन चयन है और मैं शिखर धवन के लिए बहुत खुश हूं."
चेतन सकारिया को सराहा
मांजरेकर ने श्रीलंका दौरे के लिए चुने गए बाएं हाथ के युवा तेज गेंदबाज चेतन सकारिया की भी तारीफ की है. उन्होंने कहा, "वह शानदार गेंदबाज हैं और मुझे नहीं लगता कि चयनकर्ताओं ने उन्हें लेकर कोई चांस लिया है. कई बार आप खिलाड़ियों को फास्ट ट्रेक करते हैं और उन्हें लेकर जुआ खेलते हैं, लेकिन सकारिया ने बेहद छोटे करियर में ही अपनी प्रतिभा दिखाई है. उन्होंने अभी तक जितने भी आईपीएल मैच खेले हैं उनमें से एक में भी उनके अंदर को कमजोरी नहीं दिखी है. आईपीएल में हमने उन्हें नई गेंद से, मध्य के ओवरों में और डेथ ओवरों में भी गेंदबाजी करते हुए देखा है. बहुत कम गेंदबाज होते हैं जिनके पास यह सब होता है. इसलिए सकारिया का चयन जुआ नहीं है.


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