अनोखे और कारगर साबित हुए महेंद्र सिंह धोनी के 5 ये फैसले, सबको किया हैरान
भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी अपने खेल और कप्तानी के दम पर भारतीय टीम को एक अलग ही मुकाम पर ले गए हैं। वे दुनिया के पहले ऐसे कप्तान हैं, जिन्होंने अपनी कप्तानी में टीम को वनडे वर्ल्ड कप, टी-20 वर्ल्ड कप और चैम्पियंस ट्रॉफी का खिताब जिताया है। उन्होंने जब भी मैदान पर कदम रखा, हमेशा अपने खेल और व्यवहार से विपक्षी टीम से सम्मान पाया है। उन्होंने कई मौकों पर साबित करके दिखाया है कि किस तरह उनके अचानक से लिए गए फैसले अनोखे और कारगर हैं। इन फैसलों ने न केवल सबको हैरान किया, बल्कि बड़े मौकों पर टीम को जीत भी दिलाई है। उनके 40वें जन्मदिन से एक दिन पहले आइए नजर डालते हैं धोनी के ऐसे ही 5 फैसलों पर-
2007 में पहली बार हुए आईसीसी टी-20 वर्ल्ड कप के फाइनल में दिग्गज ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का एक ओवर बचा हुआ था, लेकिन धोनी ने जोगिंदर शर्मा को आखिरी ओवर सौंप दिया। उस समय पाक टीम के कप्तान मिसबाह उल हक 35 गेंदों पर 37 रन बनाकर खेल रहे थे। धोनी ने यहां चांस लिया, क्योंकि हरभजन के 17वें ओवर में मिसबाह तीन छक्के लगा चुके थे। जोगिंदर ने ओवर की शुरुआत वाइड से शुरुआत की। बाद में मिसबाह ने एक पैडल शॉट लगाया और श्रीसंत के हाथों कैच हो गए। भारत ने जोहानिसबर्ग में पहला टी-20 वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रच डाला। 2008 में ऑस्ट्रेलिया में धोनी ने ऑस्ट्रेलिया-श्रीलंका के साथ ट्राई सीरीज में सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ जैसे सीनियर खिलाड़ियों को ड्रॉप कर दिया था। गांगुली और द्रविड़ की जोड़ी 50 ओवर के खेल में तकरीबन 23,000 रन बना चुकी थी। ऐसे में इस सफल और सीनियर जोड़ी को वनडे से बाहर करने के धोनी के इस फैसले से हर कोई हैरान था। जब बीसीसीआई सचिव निरंजन शाह से इसकी वजह पूछी गई तो उनका जवाब था कि हमारा फील्डिंग पर जोर था। इसलिए हम युवा खिलाड़ी चाहते थे। भारत ने यहां ऑस्ट्रेलिया में पहली बार ट्राई सीरीज जीतकर इतिहास रचा था।
2011 के फाइनल में श्रीलंका के खिलाफ भारत 275 रनों का पीछा कर रहा था। वीरेंद्र सहवाग, सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली आउट हो चुके थे। अभी टीम को जीत के लिए 161 रनों की और जरूरत थी। यहां सबको उम्मीद थी कि फॉर्म में चल रहे युवराज सिंह बल्लेबाजी के लिए भेजे जाएंगे, लेकिन मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में धोनी पांचवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आ गए। धोनी ने नाबाद 91 रन बनाकर टीम को दूसरा वर्ल्ड कप जितवाया। गौतम गंभीर ने इस मैच में 97 रन की शानदार पारी खेली थी।
भारत में क्रिकेट को धर्म माना जाता रहा है और खिलाड़ियों की पूजा होती रही है। ऐसे में धोनी ने आकर इस संस्कृति में बदलाव किया था। 2008 में बेहतर फील्डरों के लिए उन्होंने खिलाड़ियों को रोटेट करना शुरू किया। कॉमनवेल्थ बैंक सीरीज 2012 में धोनी ने सचिन तेंदुलकर, गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग को लगातार रोटेट किया। शानदार रिकॉर्ड होने के बावजूद ये तीनों खिलाड़ी एक साथ टीम में नहीं खेले। धोनी इन्हें लगातार रोटेट करते रहे। इस बात के लिए हालांकि धोनी को आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी थीं।
साल 2013 महेंद्र सिंह धोनी के लिए काफी खास था। इस साल ही उन्होंने वनडे वर्ल्ड कप, वर्ल्ड कप टी-20 और चैंपियंस ट्रॉफी जीतने का रिकॉर्ड बनाया था। वे दुनिया के पहले ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने आईसीसी की तीनों ट्रॉफी जीती थीं। यही वह साल था, जब उन्होंने इनकंसिस्टेंट खिलाड़ियों की टीम में पक्की जगह बनाने के लिए कुछ प्रयोग किए। रोहित शर्मा 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप में टीम में शामिल थे, लेकिन वह लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। 2011 में धोनी पहले ऐसे कप्तान थे, जिन्होंने रोहित शर्मा को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर ओपन करने का अवसर दिया। रोहित ने तीन पारियों में केवल 29 रन बनाए। 2013 में रोहित को एक बार फिर पारी की शुरुआत करने का अवसर दिया गया। मोहाली में रोहित ने 83 रन की पारी खेली। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मिडिल ऑर्डर से निकलकर वे दुनिया के सबसे विस्फोटक बल्लेबाज बन गए। रोहित आईपीएल इतिहास के सबसे सफल कप्तान भी हैं।