मंगल में इन 5 खास जगह पर घूम सकते हैं Future tourist
मंगल ग्रह पर भी नई-नई खोज को लेकर कई खबर आती हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मंगल ग्रह पर भी नई-नई खोज को लेकर कई खबर आती हैं. जहां बताया जाता है कि मंगल पर काफी सारी चीज़ें हैं. जैसे विशाल ज्वालामुखी, गहरी घाटी, और गड्ढे भी हैं जहां पानी हो भी सकता है और नहीं भी, मंगल ग्रह पर जब पहली बार कॉलोनियों बनेंगी तो वहां घूमने के लिए काफी सारी अद्भुत जगहें होंगी. इन जगहों को समतल करने की जरूरत पड़ेगी. ताकी मंगल पर इन कुछ दिलचस्प जगहों पर जाया जा सकें. आइए यहां जानें मंगल ग्रह के इन टूरिस्ट डेस्टिनेशन के बारे में…
ओलंपस मॉन्स
ओलंपस मॉन्स सौर मंडल का सबसे एक्ट्रीम ज्वालामुखी है. नासा के अनुसार , जो थारसी ज्वालामुखी क्षेत्र में, एरिज़ोना राज्य के समान आकार में है. इसकी की ऊंचाई 16 मील (25 किलोमीटर) है जो पृथ्वी के माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से लगभग तीन गुना अधिक है, जो कि लगभग 5.5 मील (8.9 किलोमीटर) ऊंची है.
ओलंपस मॉन्स एक विशाल ढाल ज्वालामुखी है , जिसका निर्माण लावा के धीरे-धीरे नीचे ढल जाने के बाद हुआ था. इसका मतलब है कि भविष्य में खोजकर्ताओं के लिए चढ़ाई करना आसान है, क्योंकि इसकी औसत ढलान केवल 5 प्रतिशत है. इसके शिखर पर एक शानदार गड्ढा है जो 53 मील (85 किमी) चौड़ा है, जो मैग्मा चैंबर्स द्वारा निर्मित है.
थारिस ज्वालामुखी
जब आप ओलंपस मॉन्स के आस-पास चढ़ाई कर रहे हैं, तो थारिस क्षेत्र में कुछ अन्य ज्वालामुखियों को भी देख सकते हैं. नासा के अनुसार , थारिस क्षेत्र में 12 विशाल ज्वालामुखी है, जो लगभग 2500 मील (4000 किमी) में फैली है. ओलंपस मॉन्स की तरह, ये ज्वालामुखी पृथ्वी की तुलना में काफी विशाल हैं. मंगल पर कमजोर गुरुत्वाकर्षण खिंचाव है जो ज्वालामुखियों को बढ़ने देता है. ये ज्वालामुखी शायद दो अरब साल, या मंगल ग्रह के इतिहास के आधे में फट सकते हैं.
वल्लेस मेरिनेरिस
मंगल ग्रह पर न केवल सौर मंडल के सबसे बड़े ज्वालामुखी है, बल्कि यहां सबसे बड़ी घाटी भी है. नासा के अनुसार , वैलेस मेरिनेरिस लगभग 1850 मील (3000 किमी) लंबा है. यह ग्रैंड कैनियन से लगभग चार गुना लंबा है, जिसकी लंबाई लगभग 500 मील (800 किमी) है. शोधकर्ताओं को ये नहीं मालूम की वैलेर्स मेरिनरिस कैसे बना, लेकिन इसके बनने के बारे में कई सिद्धांत हैं. कई वैज्ञानिकों का कहना है कि
है कि जब थारिस क्षेत्र बना होगा तब इसने वालर्स मेरिनारिस के बनने में योगदान दिया होगा. जहां ज्वालामुखी क्षेत्र से गुजर रहे लावा ने क्रस्ट को ऊपर की ओर धकेल दिया, जिससे अन्य क्षेत्रों में क्रस्ट ब्रोक हो गया. समय के साथ, ये फ्रैक्चर वल्लेस मेरिनेरिस में बढ़ गए.
उत्तर और दक्षिण ध्रुव
मंगल के ध्रुवों पर दो बर्फीले क्षेत्र हैं, जिनमें थोड़ी अलग कंपोज़िशन्स हैं. उत्तरी ध्रुव (चित्रित) का अध्ययन 2008 में फीनिक्स लैंडर द्वारा किया गया था , जबकि दक्षिणी ध्रुव का ओब्सेर्वेशन कक्षा में पहले से परिक्रमा कर रही सैटेलाइट से होता है. सर्दियों के दौरान, नासा के अनुसार , उत्तरी और दक्षिणी दोनों ध्रुवों के पास का तापमान इतना भयावह है कि कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल से बाहर बर्फ में, सतह पर संघनित हो जाती है.
यह प्रक्रिया गर्मियों में उलट जाती है, जब कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में वापस आ जाता है. कार्बन डाइऑक्साइड पूरी तरह से उत्तरी गोलार्ध में गायब हो जाता है, जो पानी की बर्फ की चोटी को पीछे छोड़ देता है. लेकिन कुछ कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ दक्षिणी वातावरण में रह जाती है. इस बर्फ मूवमेंट का मंगल ग्रह के मौसम पर काफी प्रभाव पड़ता है.
गेल क्रेटर और माउंट शार्प
2012 में क्यूरियोसिटी रोवर की लैंडिंग से प्रसिद्ध , गेल क्रेटर पानी के सबूत होने का संकेत देता है. इस रोवर की लैंडिंग के बाद हफ्तेभर में पानी होने के सबूत मिले. जो 3.5 बिलियन वर्ष पुरानी चट्टानों के अंदर पाए गए थे. शोधकर्ताओं को मंगल पर मीथेन होने के भी प्रमाण मिले जो मंगल पर जीवन होने के संकेत देता है.