महासागरों को क्यों है पुनर्जीवन की जरूरत

पृथ्वी की सतह पर ऊष्मा के चक्र का संतुलन कायम रखने में महासागरों का बड़ा योगदान रहता है. सामान्यतः धरती से जो भी मानवजनित और अन्य ऊष्मा उत्सर्जित होती है

Update: 2022-06-09 03:37 GMT

पृथ्वी (Earth)की सतह पर ऊष्मा के चक्र का संतुलन कायम रखने में महासागरों का बड़ा योगदान रहता है. सामान्यतः धरती से जो भी मानवजनित और अन्य ऊष्मा उत्सर्जित होती है, वह वायुमंडल में चली जाती है जिससे वायुमंडल ज्यादा गर्म होने लगता है. लेकिन महासागर इसमें काफी ऊष्मा अपने अंदर समेट लेता है जिससे वायुमंडल और धरती पर ऊष्मा का दबाव कम हो जाता है. इसके अलावा भी महासागर पृथ्वी के पर्यावरण (Environmnet) की कई अहम प्रक्रियाएं और पारिस्थितिकी तंत्रों को संतुलित रखने में भूमिका निभाता है. लेकिन आज महासागरों को भी पूरी पृथ्वी की तरह जलवायु परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग जैसे कई खतरों से निपटने की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र हर साल 8 जून को विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day 2022) मनाकर ऐसे मुद्दों के लिए समर्पित रखता है.

हर साल 8 जून को

पिछले 14 सालों से संयुक्त राष्ट्र 8 जून को सालाना कार्यक्रम आयोजित करता है जिसे "डिविजन ऑफ ओशीन अफयेर्स एंड द लॉ ऑफ द सी" संचालित करता है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इन कार्यक्रमों से से महासागरों के महत्व को माने और उनसे संधारणीय तरह अंतरक्रिया कैसे की जाए यह समझने का एक अवसर मिलता है.

महासागरों से गहरा नाता

संयुक्त राष्ट्र विश्व महासागर दिवस की वेबसाइट के मुताबिक महासागर ना केवल हमसे जुड़े रहते हैं वे हमें कायम रखते हुए हमारा समर्थन भी करते हैं. फिर भी उनकी खुद की सेहत नाजुक स्थिति में पहुंच गई है. हम सभी की सेहत उन पर निर्भर करती है. पिछले कुछ सालों ने दिखाया है कि हमें मिलजुल कर महासागरों के लिए नया संतुलन बनाने के लिए काम करना होगा जिससे वे पुनर्जीवित हो सकें.

पुनर्जीवन के लिए सामूहिक प्रयास

विश्व महासागर दिवस पर इस बार की थीम भी इसी मुद्दे पर आधारित है. "रीवाइटलाइजेशन: कलेक्टिव एक्शन फॉर द ओशीन" यानि "पुनर्जीवन: महासागरों के लिए सामूहिक कदम"थीम में महासागरों को फिर से उसी तरह से जीवंत करने की लिए प्रयास करने को कहा जा रहा है जिसके लिए वे जाने जाते हैं लेकिन पिछले कुछ समय से अपनी क्षमताएं खो रहे हैं.

कितने निर्भर हैं महासागरों पर हम

वैसे सामान्य तौर पर नहीं लगता है, लेकिन हमारा पूरा जीवन महासागरों पर बहुत ज्यादा निर्भर है. दुनिया भर में 70 प्रतिशत लोगों का भोजन महासागर से आता है. पृथ्वी की 70 प्रतिशत सतह पानी से ढकी है. यह पृथ्वी का 50 प्रतिशत ऑक्सीजन का उत्पादन करता है. यह पृथ्वी की अधिकांश जैवविविधता का घर है. और यह अरबों इंसानों के लिए प्रोटीन का भी स्रोत है.

संकट में महासागर

महासागर हमारी अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी बहुत अहम हैं. लेकिन आज महासागर खुद बड़े संकट में हैं. 90 प्रतिशत मछलियों की जनसंख्या खत्म हो चुकी है. आधी से ज्यादा कोरल रीफ नष्ट हो चुके हैं जिनकी वापसी अब संभव ही न हीं है. हमें ही सुनिश्चित करना होगा कि महासागरों के ये अब खजाने खत्म नहीं हों.

ओशीन वार्मिंग भी

इसके अलावा कई प्रक्रियाएं भी महासागरों में संकट में है. इनमें सबसे प्रमुख है महासागरों में गर्मी बढ़ना. जिस तरह से ग्लोबल वार्मिंग वायुमंडल और जलवायु को संकट में डाल रहे हैं. ओशीन वार्मिंग भी एक बड़ी समस्या है. महासागर भारी मात्रा में वायुमंडल में उत्सर्जित हो रही ग्रीन हाउस गैसों के कारण बढ़ रही ऊष्मा को अवशोषित करते हैं.



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