अमेरिकी और रूसी स्पेस एजेंसियों ने कौन सी डील साइन की

अमेरिका की अगुआई में पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इस वजह से अमेरिका और रूस के बीच तनाव भी काफी बढ़ा हुआ है. ऐसे में क्या दोनों देशों से यह उम्मीद की जा सकती है

Update: 2022-07-17 03:48 GMT

अमेरिका (USA) की अगुआई में पश्चिमी देशों ने रूस (Russia) पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं. इस वजह से अमेरिका और रूस के बीच तनाव भी काफी बढ़ा हुआ है. ऐसे में क्या दोनों देशों से यह उम्मीद की जा सकती है कि दोनों किसी भी तरह का समझौता या डील करेंगे. लेकिन यह हुआ है. दोनों देशों की स्पेस एजेंसी नासा (NASA) और रोसकोसमोस ने लंबे समय के लिए एक समझौता किया है कि वे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए एकीकृत उड़ान भरेंगे. इस समझौते से रूसी अंतरिक्ष यात्री अमेरिकी उड़ानों से और अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री रूसी उड़ान से अदला बदली के तौर पर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जा सकेंगे.

रूस अमेरिका दोनों के हितों के लिए

इस समझौते को लेकर रोसकोसमोस ने अपने बयान में कहा कि यह समझौता रूस और अमेरिका के हितों के लिए हुआ और यह इंटरनेशनल स्पेस स्पेस स्टेशन के ढांचे के अंतर्गत सहयोग के विकास को प्रोत्साहित करेगा. यह बाह्यअंतरिक्ष के शांतिपूर्ण अन्वेषण के उद्देश्यों की पूरा करने में मदद करेगा.

लंबे समय से चल रही थी कोशिश

नासा और रोसकोसमोस दो दशकों से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के प्रमुख सहयोगी हैं और कई सालों से एकीकृत सदस्यों वाली उड़ानों के रूटीन को फिर से शुरू करने की कोशिश कर रहे थे. अब यह समझौता दोनों ही देशों के बीच यूक्रेन संकट के कारण सहयोग की आखिरी कड़ी बन गया है.

रूस यूक्रेन संघर्ष

दोनों देशों के बीच रूस यूक्रेन संघर्ष तनाव का बड़ा कारण बना हुआ है. रूस का मानना है कि नाटो की विस्तारवादी नीति के चलते अगर यूक्रेन अगर नाटो का सदस्य बनता है तो उसके संप्रभुता को बड़ा खतरा होगा. इसीलिए बार बार चेतावनी देने के बाद भी जब यूक्रेन ने नाटो से जुड़ने का फैसला नहीं छोड़ा, रूस ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई की और पिछले साढ़े चार महीने से यह सैन्य संघर्ष जारी है.

रूस अमेरिका के बीच तनातनी

इस युद्ध के छिड़ने के बाद अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. रूस ने भी बार बार अमेरिका को खास तौर से चेतावनी दी है कि वह इस युद्ध में प्रत्यक्ष रूप शामिल हुआ तो इसके नतीजों के लिए वही जिम्मेदार होगा. अमेरिका भी विश्वयुद्ध छिड़ने की आशंका का हवाला देते हुए सीधी कार्रवाई से बचता आ रहा है.

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पहले भी होता रहा था ऐसा सहयोग

दोनों देशों ने इससे पहले भी अमेरिकी शटल और रूसी सुयोज यान के सीटें साझा की थी, लेकिन उस समय दोनों देशों के बीच संबंध उतने तनावपूर्ण नहीं थे. साल 2011 में शटल के रिटायर होने के बाद अमेरिका अपने अंतरिक्षयात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजने के लिए पूरी तरह से रूस के सुयोज यान पर निर्भर था.

2020 में बदले हालात

यह सिलसिला 2020 को खत्म हुआ जब स्पेस एक्स नाम की निजी कंपनी के क्रू ड्रैगन कैप्स्यूल के जरिए नासा की मानव अंतरिक्ष उड़ानों का क्षमता लौटी और फ्लोरीडा से नियमित आईएसएस उड़ानें शुरू हुईं. लेकिन अब दोनों स्पेस एजेंसी ने एक दूसरे का सहयोग करने का फैसला किया है. इस समझौते की औपचारिकता होने से पहले ही रूसी महिला अंतरिक्ष यात्रि किकिना स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन से उड़ान के लिए प्रशिक्षण ले रही थीं.

नासा का कहना है कि स्पेस स्टेशन की प्रयोगशालाओं को चलाने के लिए कम से कम एक रूसी और एक अमेरिकी सदस्य की स्टेशन पर मौजूदगी बहुत जरूरी है. एकीकृत उड़ान से यह सुनिश्चित होगा कि स्टेशन के लिए जरूरी रखरखाव और स्पेसवॉक के लिए बोर्ड पर प्रशिक्षित क्रू सदस्यों का होना जरूरी है. एक और बात यह भी हुई है कि इस समझौते से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रोसकोसमोस प्रमुख दिमित्री रोगोजिन को हटा कर उनकी जगह पूर्व प्रधानमंत्री और उप रक्षामंत्री यूरी बोरिसोव को नियुक्त कर दिया.


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