चंद्रमा पर क्या कभी कोई मैग्नेटिक फील्ड थी बड़ा रहस्य, 50 साल पुरानी गुत्थी सुलझी

आज पृथ्वी (Earth) के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (Moon) की कोई मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field) नहीं हैं

Update: 2022-01-26 16:34 GMT

आज पृथ्वी (Earth) के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (Moon) की कोई मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field) नहीं हैं. लेकिन क्या यह हमेशा से ही ऐसा था या धीरे धीरे इसकी मैग्नेटिक फील्ड गायब होती गई या फिर यह कभी पृथ्वी से ही अपनी मैग्नेटिक फील्ड साझा करता था. इस तरह के प्रश्न लंबे समय से वैज्ञानिकों को उलझाए रखे हैं. चंद्रमा से आए उसकी चट्टानों और मिट्टी के नमूनों से भी पता चला था कि वे एक शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड में ही बने थे. नए अध्ययन ने इस बात की पुष्टि की है कि चंद्रमा पर हमेशा तो नहीं लेकिन कई बार मजबूत मैग्नेटिक फील्ड था.

चंद्रमा के शुरुआती सालों में
नमूने के अध्ययन बताते हैं कि जब उस मिट्टी और चट्टानों का निर्माण हुआ था, तब मैग्नेटिक फील्ड पृथ्वी की तुलनात्मक ही शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड थी. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि चंद्रमा अपने शुरुआती सालों में कई बार, हमेशा नहीं, शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड का मालिक था.
अपोलो अभियान के नमूने
इस तरह के जानकारी वैज्ञानिकों को नासा के 1968 से 1972 के बीच भेजे गए अपोलो अभियान से लाए गए चट्टानों के नमूनों के अध्ययन मिली है जिससे चंद्रमा के मैग्नेटिक फील्ड के होने की पुष्टि के प्रमाण मिले हैं. नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित इस अध्ययन में यह बताया गया है कि इसका उनका निर्माण कैसे माहौल में हुआ होगा.
लगातार नहीं रुक रुक कर
इस विश्लेषण में पाया गया कि चंद्रमा के मेंटल में डूबती हुई विशाल चट्टानों के निर्माण ने एक तरह का आंतरिक संवहन पैदा कर दिया था जिससे इस तरह के शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड पैदा हुए होंगे. शोधकर्ताओं का कहना है कि चंद्रमा के इतिहास के पहले एक अरब साल के दौरान यह प्रक्रिया निरंतर ना होकर रुक रुक कर शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण करती रहती होगी.
क्या है ऐसा होने की संभावना
इस अध्ययन के सहलेखक और ब्राउन में एन्वायर्नमेंटल एंड प्लैनेटरी साइंस में पृथ्वी के एसिस्टेंट प्रोफेसर एलेक्जेंडर इवान्स ने बताया, "मैग्नेटिक फील्ड ग्रहों के क्रोड़ में कैसे बनती है, इस बारे में अब तक की सारी जानकारी यही कहती है कि चंद्रमा के आकार का पिंड पृथ्वी जितनी शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड पैदा कर नहीं सकती है.
कैसे पैदा होता है चुंबकीय क्षेत्र
जैसे पिंडों में मैग्नेटिक फील्ड एक प्रक्रिया से पैदा होने की एक प्रक्रिया होती है जिसे क्रोड़ गतिकी या कोर डायनामो कहते हैं. जब ग्रह ठंडा हो रहा होता है, तब उसकी ऊष्मा धीरे धीरे निकल रही होती है. इससे ग्रह के क्रोड़ में धातुओं में संवहन की क्रिया शुरू हो जाती है. यह विद्युत रूप से सुचालक पदार्थ लगातार गतिमान हो जाता है जिससे एक चुंबकीय प्रभाव पैदा होता है जिसे चुंबकीय क्षेत्र या मैग्नेटिक फील्ड कहते हैं.
मॉडल ने की व्याख्या
पृथ्वी पर भी इसी तरह से मैग्नेटिक फील्ड बनी थी जिससे वह सूर्य आने वाले खतरनाक विकिरणओं से अपनी सतह की रक्षा करती है. इवान्स ने बताया कि बजाय यह सोचने के अरबों सालों तक एक शक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड को ताकत कैसे मिली होगी, शोधकर्ताओं ने इस पर विचार किया कि हो सकता है कि बीच बीच में एक तीव्र क्षेत्र बनता रहा हो. शोधकर्ताओं का मॉडल दर्शाता है कि यह संभव है और चंद्रमा के आंतरिक भाग से तालमेल भी दर्शाता है.
शुरुआती चंद्रमा का मेंटल खुद भी क्रोड़ की तुलना में ज्यादा ठंडा नहीं रहा होगा. चूंकि क्रोड़ की ऊष्मा को जगह नहीं मिली होगी. क्रोड़ में ज्यादा संवहन पैदा नहीं हो सका होगा. नए अध्ययन ने दर्शाया है कि कैसे डूबती चट्टानों में बीच-बीच में संवहन पैदा कर दिया होगा. इवान्स का कहना है कि यह मॉडल अपोलो नमूनों में तीव्रता और विविधता की भी सही व्याख्या कर रहा है.
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