अमेरिकी सेना चांद का सफर आसान के लिए बनाने जा रही 'स्‍पेस सुपरहाइवे'

अमेरिकी सेना चांद का सफर आसान बनाने के लिए एक 'स्‍पेस सुपरहाइवे' बनाने जा रही है

Update: 2021-10-25 08:26 GMT

अमेरिकी सेना चांद का सफर आसान बनाने के लिए एक 'स्‍पेस सुपरहाइवे' बनाने जा रही है। इसी सुपरहाइवे का इस्‍तेमाल करके भविष्‍य में लोग चांद तक की यात्रा करेंगे। अमेरिकी सिस्‍टम में व्‍यवसायिक भागीदार और सहयोगी होंगे जो भविष्‍य में इस हाइवे का इस्‍तेमाल करके अक्‍सर चांद और अंतरिक्ष में उसके आगे की यात्रा करते रहेंगे। इस हाइवे पर ईंधन भरने की सुविधा होगी, अंतरिक्ष यान की मरम्‍मत की जा सकेगी और कूड़ा-करकट भी फेंका जा सकेगा।

अमेरिकी सेना की कोशिश है कि विस्तारवादी चीन अंतरिक्ष में विशालकाय 'मेगास्ट्रक्चर' बनाए, उससे पहले अमेरिका का सुपरहाइवे बनकर तैयार हो जाए। एक सेमिनार में स्‍पेस फोर्स के ब्रिगेडियर जनरल जॉन ओल्‍सन ने कहा, 'हमने विभिन्‍न देशों की नीतियों खासतौर पर चीन की नीति को देखा है। हम अपने सहयोगियों की मदद से इसे सबसे पहले पूरा करना चाहते हैं क्‍योंकि इस तरह से हमने मानक तय किए हैं और सिद्धांत बनाए हैं जिसपर हम भरोसा करते हैं'
चीन और अमेरिका में चांद को लेकर छिड़ी 'जंग'
जनरल जॉन ने चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि अंग्रेजी दुनिया में अंतरराष्‍ट्रीय नागरिक उड़ानों के संगठन की भाषा है और अंतरिक्ष यात्रा में भी मेरा मानना है कि यही होना चाहिए न कि मंदारिन। बता दें कि अमेरिका और चीन पहले चांद पर दोबारा पहुंचने की दौड़ में लगे हुए हैं। दोनों उस स्‍थान की तलाश में लगे हुए हैं कि चांद के किस हिस्‍से पर भविष्‍य में अड्डा बनाया जाए।
चीनी ड्रैगन पृथ्वी की कक्षा में कई किलोमीटर बड़ा विशालकाय 'मेगास्ट्रक्चर' बनाने की तैयारी कर रहा है। इसमें सोलर पावर प्लांट, टूरिस्ट कॉम्प्लेक्स, गैस स्टेशन से लेकर एस्टेरॉइड खनन की भी सुविधा उपलब्ध होगी। चीन के नैचुरल साइंस फाउंडेशन ने पांच साल के प्लान की घोषणा करते हुए शोधकर्ताओं को टेक्नोलॉजी और टेक्निक विकसित करने का निर्देश दिया है।
2035 तक स्पेस से बिजली लेगा चीन
इस स्ट्रक्चर के निर्माण में हल्के वजन वाली चीजों का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि इन्हें मौजूदा रॉकेट से कक्षा में पहुंचाया जा सके। वैज्ञानिकों को कक्षा के भीतर चीजों को स्थापित और कंट्रोल करने के लिए भी तकनीक की जरूरत होगी। चीन की सरकार ने कहा है कि स्पेस में मेगाप्रोजेक्ट्स की तत्काल जरूरत है जिसके लिए विशालकाय अंतरिक्ष की आवश्यकता होगी ताकि वे कक्षा में स्थापित किए जा सकें। यह अपने आप में इस तरह की पहली परियोजना है जिस पर लगभग एक मील चौड़ा सौर ऊर्जा स्टेशन होगा जो 2035 तक चीन के ग्रिड में बिजली सप्लाई कर सकेगा।
बौना हो जाएगा आईएसएस
दूसरे प्रोजेक्ट्स में ऐसे कई बड़े ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म शामिल होंगे जो कई मील स्पेस को कवर कर सकेंगे। इनके सामने अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन बौना दिखेगा, जो सिर्फ करीब 350 फीट तक चौड़ा है। इस मेगास्ट्रक्चर में कई स्पेस स्टेशन शामिल होंगे जो कक्षा में अलग-अलग जगह मौजूद होंगे। चीन पहले ही अंतरिक्ष में अपना खुद का स्पेस स्टेशन Tiangong स्थापित कर चुका है। इसकी योजना अंतरिक्ष में नए रिसर्च मॉड्यूल और टेलीस्कोप भेजकर अपने आकार को बढ़ाने की है।
नासा को चुनौती देना चाहता है चीन
मेगास्ट्रक्चर को लेकर NSFC ने कोई खास जानकारी नहीं दी है। नई जानकारी सिर्फ रिसर्च के लिए दिए गए निर्देशों को लेकर है। चीन अपने स्पेस स्टेशन के जरिए अमेरिका के नासा को चुनौती देना चाहता है। दरअसल, नासा कई अन्य यूरोपीय देशों के साथ मिलकर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को ऑपरेट कर रहा है। फिलहाल इस स्पेस स्टेशन पर सात अंतरिक्ष यात्री मौजूद हैं।
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