धरती पर मिला हिमालय से तीन गुना बड़े पहाड़
ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने धरती पर हिमालय से भी 3 गुना बड़े पहाड़ों की खोज की है
मेलबर्न: ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने धरती पर हिमालय से भी 3 गुना बड़े पहाड़ों की खोज की है। ऑस्ट्रेलिया के नैशनल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जियी झू और उनके साथियों ने धरती के पूरे इतिहास में प्राचीन सुपरमाउंटेन के निर्माण की जांच की है। उन्होंने इसके लिए कम ल्यूटेशियम वाले खनिज पदार्थ जिरकोन के अवशेषों का इस्तेमाल किया। यह खनिज मिनरल और रेअर अर्थ से मिलकर बना होता है और विशाल पहाड़ों की जड़ों में वहां पाए जाते हैं जहां पर बहुत ज्यादा दबाव होता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि सबसे पहले सुपरमाउंटेन 2 से 1.8 अरब साल पहले उस समय बने थे जब नूना महाद्वीप का जमाव हो रहा था। वहीं दूसरी बार 65 करोड़ से 50 करोड़ साल पहले गोंडवाना महाद्वीप के निर्माण के समय सुपरमाउंटेन बना था। झू ने कहा, 'दोनों बार सुपरमाउंटेन बनने और धरती के विकास में दो सबसे अहम काल के बीच संबंध है। आज के समय में ऐसे कोई सुपरमाउंटेन नहीं हैं। यह केवल उनकी ऊंचाई नहीं है बल्कि अगर आप कल्पना करें तो 2400 किमी लंबे हिमालय को 3 या 4 गुना बार दोहराया जाए तब उसके आकार का आपको अंदाजा लगेगा।'
'धरती पर वातावरण के अंदर नहीं था कोई ऑक्सीजन'
झू ने कहा, 'हम नूना सुपरमाउंटेन को पहला उदाहरण बुलाते हैं।' उन्होंने कहा कि दोनों ही सुपरमाउंटेन महाद्वीपों के निर्माण के दौरान ऊपर उठे। उन्होंने कहा कि इन विशालकाय पहाड़ों का क्षरण पहले माइक्रोस्कोपिक जीवधारियों के उदय, रेडिएशन, क्लोरोफाइट एल्गी के विस्तार और पशुओं के जैसे विशाल जीवधारियों के उदय से जुड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि दूसरा सुपर माउंटेन ट्रांसगोंडवाना था जो 57 करोड़ 50 लाख साल पहले पहली बार विशाल पशुओं के पैदा होने से जुड़ा हुआ है।
एक अन्य शोधकर्ता प्रफेसर जोचेन ब्रोक्स ने कहा कि जो चौकाने वाला है कि अब पहाड़ों के विकास के समय का पूरा रेकॉर्ड बहुत स्पष्ट हो गया है। उन्होंने कहा यह दो बार हुआ। इसमें से एक पशुओं के पैदा होने और दूसरा जटिल विशाल बड़ी कोशिकाओं से जुड़ा हुआ है। वैज्ञानिकों ने कहा कि जब पहाड़ों का क्षरण हुआ तब इससे महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे फॉस्फोरस और लोहा समुद्र में मिल गया। यही नहीं सुपरमाउंटेन ने वातावरण में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने का काम किया जो सांस के लिए जरूरी था। झू ने कहा कि शुरुआती धरती पर वातावरण के अंदर कोई ऑक्सीजन नहीं था।