इस चर्चित वैज्ञानिक ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को दी चेतावनी, ऐस्टरॉइड के कहर को बताया
विज्ञान को लोकप्रिय बनाने वाले अमेरिका के चर्चित वैज्ञानिक बिल नए ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को चेतावनी दी है
विज्ञान को लोकप्रिय बनाने वाले अमेरिका के चर्चित वैज्ञानिक बिल नए ने राष्ट्रपति जो बाइडेन को चेतावनी दी है कि वह ऐस्टरॉइड के खतरे को बेहद गंभीरता से लें। उन्होंने कहा कि धरती को ऐस्टरॉइड के कहर से बचाने के लिए सक्रिय होकर कदम उठाने होंगे, नहीं तो भारी तबाही मच सकती है। नए ने कहा कि ऐस्टरॉइड के धरती से टकराने का खतरा कभी खत्म नहीं होगा।
धरती के इतिहास में पिछले 6.6 करोड़ साल से ही ऐस्टरॉइड धरती की ओर आते रहे हैं, इसलिए वैज्ञानिकों ने उसकी ध्यान देना कम कर दिया है। हालांकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा इन ऐस्टरॉइड पर नजर रखती है। प्लेनटरी सोसायटी के सीईओ बिल नए ने राष्ट्रपति बाइडेन से कहा कि वह और उनका प्रशासन ऐस्टरॉइड के खतरे को गंभीरता से लें।
'नासा के प्लेनटरी डिफेंस प्रोग्राम के बजट को बढ़ाया जाए'
प्लेनटरी सोसायटी ने कहा कि नासा के प्लेनटरी डिफेंस प्रोग्राम के बजट को बढ़ाया जाए ताकि अंतरिक्ष से आने वाले खतरों की अच्छे से पहचान की जा सके। नासा ने अब तक धरती के करीब आने वाले सभी ऑब्जेक्ट की पहचान अच्छे से की है। करीब 90 फीसदी ऐस्टरॉइड पर नजर रखी जा रही है। इस वजह से जहां बड़े ऐस्टरॉइड के टकराने का खतरा कम है लेकिन छोटे ऐस्टरॉइड के टकराने से तबाही मचन संभव है।
नासा के मुताबिक ऐस्टरॉइड के टकराने का खतरा तीन लाख बार में से एक बार है। सोसायटी ने कहा कि अमेरिका चंद्रमा और मंगल ग्रह पर अपने अभियान को जारी रखे। इससे पहले 2013 में रूस के चेल्याबिंस्क में एक उल्का विस्फोट हुआ था। तब एक बड़े से ऐस्टरॉइड ने धरती के सतह पर गड्ढा बना दिया था। 1908 में, साइबेरिया के तुंगुस्का में भी एक ऐस्टरॉइड ने हिट किया था।
अगले 100 सालों तक NASA की नजर
NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है। इस लिस्ट में सबसे पहला और सबसे बड़ा ऐस्टरॉइड 29075 (1950 DA) जो 2880 तक नहीं आने वाला है। इसका आकार अमेरिका की एम्पायर स्टेट बिल्डिंग का भी तीन गुना ज्यादा है और एक समय में माना जाता था कि पृथ्वी से टकराने की इसकी संभावना सबसे ज्यादा है।
क्या होते हैं Asteroids?
ऐस्टरॉइड्स वे चट्टानें होती हैं जो किसी ग्रह की तरह ही सूरज के चक्कर काटती हैं लेकिन ये आकार में ग्रहों से काफी छोटी होती हैं। हमारे सोलर सिस्टम में ज्यादातर ऐस्टरॉइड्स मंगल ग्रह और बृहस्पति यानी मार्स और जूपिटर की कक्षा में ऐस्टरॉइड बेल्ट में पाए जाते हैं। इसके अलावा भी ये दूसरे ग्रहों की कक्षा में घूमते रहते हैं और ग्रह के साथ ही सूरज का चक्कर काटते हैं। करीब 4.5 अरब साल पहले जब हमारा सोलर सिस्टम बना था, तब गैस और धूल के ऐसे बादल जो किसी ग्रह का आकार नहीं ले पाए और पीछे छूट गए, वही इन चट्टानों यानी ऐस्टरॉइड्स में तब्दील हो गए। यही वजह है कि इनका आकार भी ग्रहों की तरह गोल नहीं होता। कोई भी दो ऐस्टरॉइड एक जैसे नहीं होते हैं।