ये दो बड़े गैलेक्सी खोल रहे ब्रह्माण्ड का राज़
हमारे ब्रह्माण्ड (Universe) गैलेक्सी (Galaxies) की भरमार है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमारे ब्रह्माण्ड (Universe) गैलेक्सी (Galaxies) की भरमार है. गैलेक्सी से प्रकाशकी किरणें (Light Rays) दूर दूर तक जाती हैं जिससे हमारे खगोलविद उनकी उपस्थिति का पता लगा पाते हैं. लेकिन कम लोगों को यह पता है कि कुछ गैलेक्सी ऐसी होती हैं जो प्रकाश कि किरणों से ज्यादा रेडियो तरंगे (Radio waves) उत्सर्जित करती हैं. हाल ही में वैज्ञानिकों ने ऐसी दो बहुत ही बड़ी गैलेक्सी खोजी हैं जो हमारी गैलेक्सी मिल्की वे (Milky Way) से 62 गुना बड़ी हैं.
किसने खोजी ये गैलेक्सी
खगोलविदों ने इन नई गैलेक्सी को जायंट रेडियो गैलेक्सी (giant radio galaxies) या GRG की श्रेणी में रखा है. इन गैलेक्सी की खोज दक्षिण अफ्रीका के साउथ अफ्रीकन रेडियो एस्ट्रोनॉमी ऑबजर्वेटरी के मीरकैट रेडियो टेलीस्कोप के जरिए हुए. इस खोज की पड़ताल मंथली नोटिसेस ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी में प्रकाशित हुई हैं.
कितनी बड़ी हैं ये गैलेक्सी
केपटाउन यूनिवर्सिटी में फेलो शोधकर्ता डॉ जैसिंटा डेलहेज ने इस खोज के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि हाल ही में खोजी गई ये नई गैलेक्सी बहुत कम देखने मिलती है. ये गैलेक्सी ब्रह्माण्ड में मौजूद विशालतम एकल पिंडों में शामिल हैं. दोनों में से हर गैलेक्सी का आकार हमारी गैलेक्सी मिल्की वे के व्यास से 62 गुना ज्यादा बड़ा है. इस वजह से वे अब तक खोजे सभी विशालकाय पिंडों से 93 प्रतिशत बड़ी हैं.
यह धारणा बनेगी
ये विशाल गैलेक्सी ब्रह्माण्ड की दूसरी गैलेक्सी से बहुत ही बड़ी हैं, लेकिन ब्रह्माण्ड की रेडियो गैलेक्सी की संख्या भी लाखों में हैं, इनमें से इस प्रकार की केवल 800 विशालकाय गैलेक्सी खोजी जा सकी हैं. इन गैलेक्सी की खोज रेडियो टेलीस्कोप की कमी की वजह से नहीं हो पा रही थी. लेकिन मीरकैट इनके धुंधले, बिखरे हुए प्रकाश को पहचान सकता है जो पुराने टेलीस्कोप नहीं कर सकते थे.
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गैलेक्सी के ब्लैकहोल की भूमिका
बहुत सी गैलेक्सी के केंद्र में एक सुपरमासिव ब्लैकहोल होता है. जब इस के आसपास विशाल मात्रा में गैस और धूल चक्कर लगाते हैं तो पदार्थ इस ब्लैक होल में समाने लगता है. इससे ब्लैकहोल की सक्रियता बढ़ जाती है और ब्लैक होल से बड़ी मात्रा में पदार्थ उत्सर्जित होने लगता है. कुछ गैलेक्सी में यह उत्सर्जित पदार्थ एक रेडियो जेट के रूप में निकलता है.
उत्साहजनक है ये खोज
रेडियो गैलेक्सी को रेडियो लिम्युनस गैलेक्सी भी कहा जाता है. इनके उत्सर्जन ऊष्मा पर आधारित नहीं होते हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक यह खोज बहुत ही उत्साह पैदा करने वाली है क्योंकि खगलोविद वास्तव में इतनी विशाल आकार की, लेकिन आसमान में बहुत धुंधली दिखने वाली गैलेक्सी खोज सके. डेलहेजे का मानना है कि इससे इस विचार को बल मिलता है कि जितना समझा जा रहा था इस तरह के गैलेक्सी कहीं ज्यादा हैं और ये गैलेक्सी के जन्म और उनके विकास की जानकारी दे सकती हैं.
तारों के निर्माण पर असर
रेडियो गैलेक्सी के ये रेडियो जेट अपनी गैलेक्सी से भी बहुत बड़े होते हैं और गैलेक्सी के बाहर तक चले जाते हैं. इस तरह की गैलेक्सी शोधकर्ताओं ने आकाश के बहुत ही छोटे से हिस्से में देखी हैं इसलिए वे मानते हैं ऐसी गैलेक्सी की संख्या बहुत ज्यादा होनी चाहिए. उनका यह भी मानना है कि हैरानी की बात यह होनी चाहिए कि ऐसी गैलेक्सी इतनी कम क्यों हैं. इसके अलावा रेडियो जेट्स अपनी गैलेक्सी के तारों के निर्माण को भी प्रभावित करते हैं. इससे तारों का निर्माण रुक सकता है और गैलेक्सी मर भी सकती है.