लगातार बढ़ रहा तापमान, मार्च महीने से ही बनने लगे लू के हालत, जानें वैज्ञानिकों ने क्या कहा?

देशभर में ज्यादातर राज्यों में लगातार तापमान बढ़ रहा है

Update: 2022-03-31 07:47 GMT
देशभर में ज्यादातर राज्यों में लगातार तापमान बढ़ रहा है। उत्तर भारत में यूपी, बिहार हो या फिर राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्य, मार्च महीने में ही गर्मी कहर बरपाने लगी है। मौसम विभाग (आईएमडी) ने कई राज्यों में 'लू' यानी 'हीट वेव' की स्थिति रहने की आशंका जताई है।
मौसम विभाग के अनुसार, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में हीट वेव वाले हालात रहने वाले हैं। सवाल ये उठता है कि 'लू' जैसे हालात अब मार्च के महीने में ही क्यों बनने लगे हैं। साथ ही लू का असर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी देखने को मिल रहा है, जहां मार्च के महीने में मौसम अमूमन खुशनुमा होता है।
मई-जून के महीनों में चलती है 'लू'
अगर भारत की बात करें तो यहां अप्रैल से गर्मी पड़नी शुरू होती है और मई- जून में भीषण गर्मी होती है। इन्हीं महीनों में 'लू' यानी 'हीट वेव' भी चलती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह क्रम बदला है।
इस बार तो मार्च से ही लू चलने लगी है। यहां तक की धरती के ध्रुव भी इस असर से अछूते नहीं हैं। ध्रुवों पर भी मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। आर्कटिक और अंटार्कटिक दोनों जगह गर्मी बढ़ रही है। एक्सपर्ट का मानना है कि पृथ्वी के दोनों ध्रुवों पर एक साथ गर्मी बढ़ी है।
इस बार 'लू' बनने की प्रक्रिया जल्दी शुरू हुई
'हीट वेव' की शुरुआत तब होती है, जब वायुमंडल में उच्च दबाव बनता है और यह गर्म हवा को भूमि की ओर ले जाता है। यह प्रभाव समुद्र से उठने वाली ऊष्मा के कारण होता है, जिससे एक 'प्रवर्द्धन लूप' बनता है। सतह से नीचे की ओर पड़ने वाली उच्च दाब प्रणाली लंबवत रूप से फैलती है, जिससे अन्य मौसम प्रणालियों की गतिविधियों में भी तेजी से बदलाव होता है।
यह हवा और बादलों के आवरण को भी कम करता है, जिससे हवा अधिक कठोर हो जाती है। यही कारण है कि एक 'हीट वेव' यानी 'लू' कई दिनों तक या काफी अधिक समय तक एक क्षेत्र में प्रवाहित होती है। इस बार यह प्रक्रिया जल्दी होने लगी है। इसलिए मार्च में ही लू का असर देखने को मिल रहा है।
ध्रुवों पर भी बढ़ रही गर्मी
ऑस्ट्रेलिया के 'नेशनल स्नो एंड आइस डाटा सेंटर' के वैज्ञानिक वॉल्ट मेयर का कहना है कि यह स्थिति अप्रत्याशित है। रिपोर्ट के मुताबिक, अंटार्कटिक पठार स्थित कॉनकॉर्डिया स्टेशन पर अमूमन मार्च महीने में तापमान माइनस 50 डिग्री होता है, लेकिन हाल के दिनों में वहां माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। अंटार्कटिका के कुछ हिस्से औसत से 70 डिग्री (40 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा गर्म हैं।
आर्कटिक के क्षेत्र के कुछ हिस्से औसत से 50 डिग्री (38 डिग्री सेल्सियस) ज्यादा गर्म है। बर्कले अर्थ के बड़े साइंटिस्ट डॉ. राबर्ट रोहडे ने इस बारे में ट्वीट किया कि 'डोम सी' के रिमोर्ट रिसर्च स्टेशन ने सामान्य से लगभग 40 डिग्री सेल्सियस ज्यादा तापमान रिकॉर्ड किया है। पिछले साल यह आंकड़ा 20 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा था।
इसलिए तेजी से बदल रहा मौसम
'लू' यानी 'हीट वेव' का असर जल्दी दिखने पर वैज्ञानिक डॉ. रोहडे का कहना है कि अंटार्कटिका पर मौजूद स्थितियां किसी वायुमंडलीय नदी या आकाश में जलवाष्प का व्यापक स्तर पर इकट्ठा होने के कारण है। तापमान में आई वृद्धि की यह बड़ी वजह हो सकती है। उनका मानना है यह हमारी उम्मीदों से बिलकुल अलग एक अजीब घटना है।
एटमॉस्फियर रिवर (वायुमंडलीय नदी) के कारण ही ध्रुवों पर भी गर्मी बढ़ी है। इसे चेतावनी की स्थिति समझा जा सकता है। न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर एलेक्स सेन गुप्ता का कहना है कि तेज गर्म हवाओं के कारण अंटार्कटिका का तापमान बढ़ा है।
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