तूफानी रफ्तार से हो रही मिसाइलें टेस्ट...भारत का फास्ट-ट्रैक तकनीक पर भरोसा...जानें वजह
देश के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन लगाताार मिसाइलों का परीक्षण कर रहा है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इसी सोमवार को 35 दिनों के भीतर 10वीं मिसाइल का टेस्ट हुआ. मिसाइलों के परीक्षण की इतनी हड़बड़ूी देश में पहले कभी नहीं दिखी थी. जानिए, आखिर क्या वजह है जो भारत सैन्य रूप से खुद को ज्यादा से ज्यादा मजबूती देने की कोशिश कर रहा है. क्या इसके पीछे लद्दाख में सीमा पार तैनात चीनी दस्ता है? या कुछ और बात है? जानिए.
असल में चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प के बाद से DRDO के मिसाइल परीक्षण की गति तूफानी हो गई. बता दें कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने सबसे पहले भारतीय सेना के साथ लद्दाख के पैंगोंग त्सो झील के पास झड़प की थी. इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव गहराता ही जा रहा है. इसी बीच चीन का सरकारी मीडिया लगातार ऊटपटांग बयानबाजियां भी कर रहा है.
ये भी माना जा रहा है कि चीन भारत के पड़ोसियों को अपने वश में करके एशिया में भारत की स्थिति कमजोर करने की फिराक में है. इसी साल नेपाल ने उत्तराखंड के तीन इलाकों को अपना बताया. विशेषज्ञों का मानना है कि नेपाल की मौजूदा सरकार चीन की सरकार के कर्ज तले दबी है और इसलिए वो भी भारत पर आक्रामक हो रही है. पाकिस्तान की स्थिति पहले से ही ऐसी रही है.
चीन के कारण लगभग चारों तरफ से घिरते हुए देश ने सैन्य और हथियारों के मोर्चे को और मजबूत करने का फैसला लिया. इसके तहत सबसे पहले हाइड्रोसोनिक टेक्नोलॉजी डेमान्सट्रेटर वीकल (HSTDV) का टेस्ट लॉन्च हुआ. इससे माना जा रहा है कि देश की हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइल के बनाने में तेजी आएगी. यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट में सरकारी हवाले से कहा गया है कि ये तकनीक फिलहाल अमेरिका, रूस और चीन के पास ही है.
इसके तुरंत बाद 22 सितंबर को एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) का सफल टेस्ट हुआ. ये लेजर से चलने वाली मिसाइल है, जो 4 किलोमीटर तक वार करती है. इसके अगले ही रोज पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल की जांच हुई. इसकी वार करने की क्षमता काफी ज्यादा, लगभग 350 किलोमीटर है. ये परमाणु हथियारों को लॉन्च करने के भी काम आ सकती है
इसके बाद बारी आती है ब्रह्मोस की जो अमेरिका की टॉमहॉक (Tomahawk) क्रूज मिसाइल से भी ज्यादा घातक है. इस मिसाइल की सबसे बड़ी खूबी ये है कि इसे जमीन, हवा, पनडुब्बी या युद्दपोत से भी दागा जा सकता है. यानी किसी देश से लड़ाई के हालात बनने पर ये सभी सेनाओं के काम आ सकती है. हवा में ही ये अपना रास्ता बदलकर वार कर सकती है. अपनी इसी खासियत के साथ ये मिसाइल लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की सीमाओं पर तैनात भी की जा चुकी है
अक्टूबर के पहले ही हफ्ते में बालासोर से शौर्य मिसाइल ने नए वर्जन का सफल परीक्षण हुआ. जमीन से जमीन पर मार करने वाला यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु क्षमता से लैस है, जो लगभग 800 किलोमीटर दूर तक वार कर सकता है. साथ ही टारगेट की ओर बढ़ते हुए आखिरी चरण में यह हाइपरसोनिक स्पीड हासिल कर लेता है, जिससे टारगेट का तबाह होना तय है.
इसके बाद 9 अक्टूबर को एंटी-रेडिएशन मिसाइल का परीक्षण किया गया. ये मिसाइल रडार्स को चुटकियों में तबाह कर सकती है. मालूम हो कि ये परीक्षण ऐसे समय पर किया है जब एलएसी पर चीन के साथ तनाव चरम पर है. हालांकि चीन बीच-बीच में शांति की बात करता है लेकिन उसके साथ तनाव के पिछले इतिहास को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि वो चुपचाप नहीं रहेगा. यही वजह है कि भारत सरकार फास्ट ट्रैक परीक्षण कर रही है.