अध्ययन में चला पता: अंतरिक्ष पर लंबे समय तक रहना से दिल के लिए हो सकता है नुकसान

दुनिया भर की स्पेस एजेंसियां मंगल पर जीवन बसाने को लेकर तैयारियां कर रही हैं

Update: 2021-04-01 06:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दुनिया भर की स्पेस एजेंसियां मंगल पर जीवन बसाने को लेकर तैयारियां कर रही हैं। कई स्पेस एजेंसियों ने तो मानव अभियान भेजने की भी तैयारियां कर ली हैं। अंतरिक्ष पर मानव के रहने के दौरान आने वाली कठिनाई पर भी शोध जारी है। इसी बीच एक शोध में खुलासा हुआ है कि अंतरिक्ष पर लंबे समय तक रहना दिल के लिए घातक हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, इंसानों का दिल सिकुड़ सकता है।

जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से इंसान के दिल की संरचना में बदलाव आ सकता है। इससे दिल की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए तैरने और लंबी अंतरिक्ष यात्राओं में दिल पर पड़ने वाले प्रभावों की तुलना की। उन्होंने यह जानने का प्रयास किया कि क्या कम तीव्रता और लंबे समय तक कसरत बार-बार होने वाली भारहीनता के असर को कम कर सकते हैं या नहीं।
एस्ट्रोनॉट स्कॉट कैली के डेटा का विश्लेषण किया: लंबे समय तक अंतरिक्ष में प्रवास के प्रभावों का आकलन करने के लिए शोधकर्ताओं ने एस्ट्रोनॉट स्कॉट कैली के एक साल तक अंतरिक्ष में रहने और एथलीट बेनॉइट लीकोम्टे के लंबी तैराकी के प्रभावों की तुलना की। डलास यूनिवर्सिटी के साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर में इंटरनल मेडिसिन के प्रोफेसर डॉक्टर बेनजमिन नेवाइन ने कहा कि कैली ने एक साल अंतरिक्ष में गुजारा। जांच में पता चला कि उनका दिल सिकुड़ गया था, जबकि उन्होंने हफ्ते में छह दिन काम भी किया।
गुरुत्वाकर्षण का पड़ता है व्यापक प्रभाव : डलास यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर में इंटरनल मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. बेनजमिन नेवाइन ने जानकारी देते हुए बताया कि दरअसल, पृथ्वी पर गुरुत्वाकर्षण से दिल को उसके आकार में बने रहने और उसकी क्रियात्मकता कायम रखने में मदद मिलती है, क्योंकि इससे वह लगातार नसों के जरिए खून पंप करता है। वहीं मंगल पर गुरुत्व जब भारहीनता से बदल दिया जाता है, तब प्रतिक्रिया स्वरूप दिल सिकुड़ जाता है। उन्होंने कहा कि शोध के परिणामों से साफ है कि अंतरिक्ष में लंबा प्रवास दिल की सेहत के लिए ठीक नहीं है।



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