हमारे हिन्दू धर्म में इतने प्रकार के संस्कार मनाये जाते है संस्कार की संख्या जानकर हैरान हो जाओगे

Update: 2024-06-25 12:22 GMT

हिन्दू धर्म में संस्कार के प्रकार:- Types of rites in Hinduism

भारत को पुनः एक महान राष्ट्र बनना है India has to become a great nation again, विश्व गुरु का स्थान प्राप्त करना है, उसके लिए जिन श्रेष्ठ व्यक्तियों की आवश्यकता बड़ी संख्या में पड़ती है, उनके विकसित करने के लिए यह संस्कार प्रक्रिया अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।। प्रत्येक विचारशील एवं भावनाशील को इससे जुड़ना चाहिए।
शांतिकुंज, गायत्री तपोभूमि मथुरा सहित तमाम गायत्री शक्तिपीठों, गायत्री चेतना केन्द्रों, प्रज्ञापीठों, प्रज्ञा केन्द्रों में इसकी व्यवस्था बनाई गई है। हर वर्ग में युग पुरोहित विकसित किए जा रहे हैं। आशा की जाती है कि विज्ञजन, श्रद्धालुजन इसका लाभ उठाने एवं जन-जन तक पहुँचाने में पूरी तत्परता बरतेंगे।
युग निर्माण के अन्तर्गत उनके सफल प्रयोग बड़े पैमाने पर किए गए। इसके लिए उन्होंने प्रचलित संस्कारों में से वर्तमान समय के For this he selected the present-day rituals from the prevalent ones. अनुकूल केवल बारह संस्कार (पुंसवन, नामकरण, चूड़ाकर्म (मुण्डन, शिखास्थापन)- अन्नप्राशन, विद्यारम्भ, यज्ञोपवीत (दीक्षा), विवाह, वानप्रस्थ, अन्येष्टि, मरणोत्तर (श्राद्ध संस्कार), जन्मदिवस एंव विवाह दिवस) पर्याप्त माने हैं। इन संस्कारों को उपयुक्त समय पर उपयुक्त वातावरण में सम्पन्न करने-कराने के असाधारण लाभ लोगों ने पाए हैं। उनके विवरण निम्नानुसार हैं
पुंसवन संस्कार :संस्कार परम्परा के अंतर्गत भावी माता-पिता को यह तथ्य समझाए जाते हैं कि शारीरिक, मानसिक दृष्टि से परिपक्व हो जाने के बाद, समाज को श्रेष्ठ, तेजस्वी नई पीढ़ी देने के संकल्प के स...
नामकरण संस्कार: बालक का नाम उसकी पहचान के लिए नहीं रखा जाता। मनोविज्ञान एवं अक्षर-विज्ञान के जानकारों का मत है कि नाम का प्रभाव व्यक्ति के स्थूल-सूक्ष्म व्यक्तित्व पर गहराई से पड़ता रहता .
चूड़ाकर्म संस्कार (मुण्डन, शिखा स्थापना):स्थूल दृष्टि से प्रसव के साथ सिर पर आए वालों को हटाकर खोपड़ी की सफाई करना आवश्यक होता है, सूक्ष्म दृष्टि से शिशु के व्यवस्थित बौद्धिक विकास, कुविचारों के उच्छेदन, 
अन्नप्राशसन संस्कार:जब शिशु के दाँत उगने लगे, मानना चाहिए कि प्रकृति ने उसे ठोस आहार, अन्नाहार करने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। स्थूल (अन्नमयकोष) के विकास के लिए तो अन्न के विज्ञान सम्मत उपयोग क...
विद्यारंभ संस्कार:जब बालक/ बालिका की आयु शिक्षा ग्रहण करने योग्य हो जाय, तब उसका विद्यारंभ संस्कार कराया जाता है। इसमें समारोह के माध्यम से जहाँ एक ओर बालक में अध्ययन का उत्साह पैदा किया जाता...
यज्ञोपवीत संस्कार:जब बालक/ बालिका 
Yagyopaveet Sanskar: When a boy/girl 
का शारीरिक-मानसिक विकास इस योग्य हो जाए कि वह अपने विकास के लिए आत्मनिर्भर होकर संकल्प एवं प्रयास करने लगे, तब उसे श्रेष्ठ आध्यात्मिक एवं सामाजिक अनुशासनों ...
विवाह संस्कार:सद्गृहस्थ की, परिवार निर्माण की जिम्मेदारी उठाने के योग्य शारीरिक, मानसिक परिपक्वता आ जाने पर युवक-युवतियों का विवाह संस्कार कराया जाता है। भारतीय संस्कृति के अनुसार विव...
वानप्रस्थ संस्कार:गृहस्थ की जिम्मेदारियाँ यथा शीघ्र करके, उत्तराधिकारियों को अपने कार्य सौंपकर अपने व्यक्तित्व को धीरे-धीरे सामाजिक, उत्तरदायित्व, पारमार्थिक कार्यों में पूरी तरह लगा देन...
अन्त्येष्टि संस्कार
अन्त्येष्टि संस्कार Funeral rites:'मृत्यु' जीवन का एक अटल सत्य है। इसे जरा-जीर्ण को नवीन-स्फूर्तिवान जीवन में रूपान्तरित करने वाला महान देवता भी कह सकते हैं। जीव चेतना एक यज्ञीय प्रक्रिया के अंतर्गत ...
मरणोत्तर (श्राद्ध संस्कार): मरणोत्तर (श्राद्ध संस्कार) जीवन का एक अबाध प्रवाह है। काया की समाप्ति के बाद भी जीव यात्रा रुकती नहीं है। आगे का क्रम भी भलीप्रकार सही दिशा में चलता रहे, इस हेतु मरणो...
जन्मदिवस संस्कार: मनुष्य को अन्यान्य प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। जन्मदिन वह पावन पर्व है, जिस दिन स्रष्टा ने हमें श्रेष्ठतम जीवन में पदोन्तन किया। श्रेष्ठ जीवन प्रदान करने के से..
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