डायनासोर के बचे हुए जीवों से विकसित हुए थी सांप

पृथ्वी (Earth) पर जीवों के विकास क्रम में महाविनाश की क्रियाओं ने हमेशा ही बाधा डाली है

Update: 2021-09-15 16:27 GMT

पृथ्वी (Earth) पर जीवों के विकास क्रम में महाविनाश की क्रियाओं ने हमेशा ही बाधा डाली है. आज से छह करोड़ साल पहले जब महाविनाश की घटना हुए थी उसमें डायनासोर (Dinosaurs) सहित पृथ्वी की दो तिहाई प्रजातियां नष्ट हो गई थीं. क्रिटेशियस काल के अंत में हुए इस महाविनाश की शुरुआत एक क्षुद्रग्रह के पृथ्वी से टकराने पर हुई थी. ताजा अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पता लगाया है और आज के सभी जीव सर्पों की प्रजातियां उस महाविनाश में बचे जीवों से विकसित हुई हैं. कि वह महाविनाश एक रचनात्मक विनाश था जिससे सांपों (Snakes) की प्रजाति में नई विविधता आ सकी जिन्होंने अपने पूर्ववर्ती प्रतिद्वंदियों की जगह ले ली.

नेचर कम्यूनिकेशन्स में प्रकाशित इस शोध में दर्शाया गया है कि आज जीवित करीब 4000 प्रजातियों सहित सांपों (Snakes) की सभी प्रजातियां उस महाविनाश (Mass Extinction) के बाद से ही विकसित होना शुरू हो गई थीं. यह शोध बाध यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की अगुआई में हुआ है जिसमे ब्रिस्टल, कैम्ब्रिज, और जर्मनी के सहयोगी भी शामिल हैं. शोधकर्ताओं ने सांपों के विकासक्रम को समझने के लिए जीवाश्मों (Fossils) का उपयोग कर आधुनिक सांपों और उनके अनुवांशकीय अंतरों का विश्लेषण किया. इस विश्लेषण से वे यह पता लगाने में सफल रहे कि यह विकासक्रम इतिहास में किस समय शुरू हुआ था.
इस अध्ययन के नतीजों से पता चला है कि सभी जीवित सांपों (Snakes) की शुरुआत केवल कुछ ही प्रजातियों से विकसित हुई थीं जो 6.6 करोड़ साल पहले क्षुद्रग्रह के टकराव के बाद आए महाविनाश (Mass Extinction) में बच गए थे, जिसमें सभी डायनासोर (Dinosaurs) विलुप्त हो गए थे. शोधकर्ताओं का कहना है कि सांपों में जमीन के अंदर लंबे समय तक रह पाने और लंबे समय तक बिना भोजन के रह पाने की क्षमता ही उनके उस महाविनाश से बचने में मददगार साबित हुई. इस घटना में प्रतिद्वंदी क्रिटेशियस सांप और डायनासोर के विनाश से ही सांप नए इलाकों, नए आवास यहां तक कि नए महाद्वीपों में जा सके थे. 
इसके बाद सांपों (Snakes) में विविधता की शुरुआत हुई जिससे वाइपर, कोबरा, गार्टर स्नेक, पायथन, बोआस जैसी प्रजाति फली फूलीं जिन्होंने नए आवासों की खोज के साथ नए शिकार भी तलाशे. आधुनिक सर्प विविधता, जिसमें पेड़ों पर रहने वाले सांप, जहरीले वाइपर,और कोबरा से लेकर बोआस और पाइथन जैसे जकड़ कर शिकार करने वाले सांप शामिल हैं, सभी केवल डायनासोर (Dinosaurs) के विलुप्त होने के बाद ही विकसित हुए. जीवाश्मों से यह भी पता चला कि कशेरुकी सर्पका आकार भी इस महाविनाश (Mass Extinction) के बाद बदला था, जो क्रिटेशियस वंश के सांप खत्म होने के बाद विकसित हुए थे.नए समूह के सांप 10 मीटर तक लंबे हुआ करते थे. 
जर्मनी के फ्रेडिरिच –एलेक्जेंडर- यूनिवर्सिटेट एनलार्जन न्यूर्नबर्ग (FAU) में काम करने वाली बाथ से हाल ही में बनीं स्नातक और इस अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ कैथरीन क्लेइन का कहना है कि यह बहुत अहम है क्योंकि सर्प (Snakes) ना केवल अधिकांश प्रजातियों को विलुप्त करने वाले महाविनाश (Mass Extinction) से खुद को बचा सके, बल्कि कुछ ही लाखों सालो में वे नए आवासों में रहने के नए तरीके भी ईजाद करते रहे. अध्ययन में बताया गया है कि इस दौरान सांप पूरी दुनिया में फैल भी गए. इनके पूर्वज कहीं दक्षिणी गोलार्द्ध में रहा करते थे, लेकिन पता चलता है कि ये महाविनाश के बाद पहले एशिया में फैले. 
इस अध्ययन के पत्र व्यवहारी लेखक और बाथ यूनिवर्सिटी में मिल्नेर सेंटर फॉर इवोल्यूशन के डॉ निक लॉन्गरिच ने बताया कि उनका शोध सुझाता है कि महाविनाश (Mass Extinction) ने एक तरहसे रचनात्मक विनाश (Creative destruction) का काम किया जिसमें पुरानी प्रजातियां (Species) साफ हो गईं और उससे बची प्रजातियों को पारिस्थितिकी तंत्र में आई कमी का उपयोग करने का मौका मिल गया जिससे वे नई जीवनचर्चा और नए आवासों के प्रयोग कर सके. यह उद्भव का सामान्य हिस्सा लगता है. बड़े विनाश के फौरन बाद के समय में बहुत जंगली प्रयोगात्मक और नया उद्भव देखने को मिला.
लॉन्गरिच का कहना है कि जैवविविधता का विनाश नई चीजों के उबरने और नए भूभाग में बस्तियां बसाने की गुंजाइश पैदा करता है. जिससे अंततः जीवन पहले के मुकाबले और ज्यादा विविध हो जाता है. शोध में यह भी पाया गया कि पृथ्वी (Earth) पर बड़ी विविधता वाली घटनाएं उस समय होती देखी गईं जब दुनिया गर्म ग्रीनहाउस पृथ्वी से ठंडे आइस हाउस जलवायु में बदल रही थी, जिससे हिम युग की शुरुआत हुई. सांपों (Snakes) के विकास के पैटर्न से पता चलता है कि प्रचंड, तेज और वैश्विक पर्यावरणीय विनाशों में उद्भव बदलाव प्रमुख भूमिका क्या होती है.


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