वैज्ञानिकों को दिखा बिग-बैंग के ठीक बाद पैदा हो रहीं गैलेक्सी क्लस्टर का रोमांचक नजारा, मिलेगा कई सवालों के जवाब

बिग-बैंग के ठीक बाद ब्रह्मांड कैसा था और इसमें क्या हो रहा था, इससे जुड़ी एक बड़ी जानकारी

Update: 2021-01-26 17:54 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: पेइचिंग | बिग-बैंग के ठीक बाद ब्रह्मांड कैसा था और इसमें क्या हो रहा था, इससे जुड़ी एक बड़ी जानकारी वैज्ञानिकों के हाथ लगी है। करीब 13 अरब लाइट इयर दूर, यानी बिग-बैंग से सिर्फ 77 करोड़ साल बाद के ब्रह्मांड में झांकने का मौका मिला है। इस खोज में कम से कम 21 गैलेक्सीज में तेजी से सितारे बनते और उनका विलय होकर गैलेक्सी क्लस्टर बनते पाया गया है। माना जा रहा है कि यह सबसे पुराना प्रोटोक्लस्टर है।

कई सवालों के जवाब मुमकिन
इसे LAGER-z7OD1 नाम दिया गया है और माना जा रहा है कि आज यह सूरज के द्रव्यमान की तुलना में 3.7क्वॉड्रिलियन गुना तक विशाल गैलेक्सीज के समूहों में विकसित हो चुका होगा। ब्रह्मांड के पैदा होने के ठीक बाद बनने लगे इस क्लस्टर से कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं। इससे यह भी पता चल सकता है कि बिग बैंग के बाद ब्रह्मांड का 'धुआं' साफ होने पर कैसे रोशनी अंतरिक्ष में ट्रैवल करते हुए पहुंची है।
पहेलीनुमा प्रक्रिया को समझना होगा आसान
चीन की यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस ऐंड टेक्नॉलजी के ऐस्ट्रोनॉमर वीडा हू की टीम के मुताबिक LAGER-z7OD1 एक खास गैलेक्सी क्लस्टर है। इसकी वजह यह है कि इसकी मदद से 'रीआयनाइजेशन ऑफ इपॉक' के इतिहास के बारे में समझा जा सकता है। पेपर में लिखा गया है, 'एक क्लस्टर में मौजूद गैलेक्सीज से निकलने वाले ionized bubbles की कुल वॉल्यूम प्रोटोक्लस्टर के समान पाई गई है। इससे संकेत मिले हैं कि दो अलग-अलग बबल के विलय को देखा जा रहा है जबकि प्रोटोक्लस्टर के अंदर गैलेक्सी के बीच मीडियम पूरी तरह से आइनाइज हो चुका है।'
रोशनी आना था मुश्किल
पेपर के मुताबिक इसकी वजह से LAGER-z7OD1 की मदद से रीआइनाइजेशन की प्रक्रिया को समझा जा सकता है। दरअसल, माना जाता है कि बिग बैंग के बाद 37 करोड़ साल तक ब्रह्मांड में ionized गैसें भरी थीं और इससे रोशनी पार नहीं हो सकती थी। ब्रह्मांड के ठंडा होने के बाद इलेक्ट्रॉन-प्रोटॉन रीकंबाइन होकर न्यूट्रल हाइड्रोजन ऐटम बनने लगे। इसके बाद रोशनी स्पेस में ट्रैवल कर सकी। बिग बैंग के 1 अरब साल बाद ब्रह्मांड पूरी तरह रीआयनाइज हो गया जिससे इससे पहले के ब्रह्मांड को समझा जाना मुश्किल हो गया।


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