वैज्ञानिकों को दिखा सितारे की मौत, 60 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर हुआ 'सुपरनोवा'
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हबल स्पेस टेलीस्कॉप और अंतरिक्ष से जुड़े अन्य उपकरणों की मदद से वैज्ञानिकों ने पहली बार 60 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर किसी मरते हुए सितारे को देखा है
Star Death From Earth: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के हबल स्पेस टेलीस्कॉप और अंतरिक्ष से जुड़े अन्य उपकरणों की मदद से वैज्ञानिकों ने पहली बार 60 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर किसी मरते हुए सितारे को देखा है. उन्होंने रियल टाइम में सुपरनोवा देखा. सुपरनोवा किसी सितारे के जीवन चक्र के अंत में होने वाले बड़े विस्फोट को कहा जाता है (How Star Dies). इससे दूसरे सितारों को मिलने वाले वॉर्निंग सिस्टम के तौर पर देखा जा रहा है. सुपरनोवा को SN 2020fqv नाम दिया गया है.
यह बटरफ्लाई गैलेक्सी के साथ परस्पर क्रिया कर रहा था. करीब 60 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर मौजूद एनजीसी 4567 और एनजीसी 4568 को बटरफ्लाई गैलेक्सी (Butterfly Galaxies) या गुड़वां गैलेक्सी के नाम से जाना जाता है. वैज्ञानिकों ने विस्फोट होने से पहले और बाद की तस्वीरें ली हैं, जिससे वह घटना के बारे में अहम जानकारी प्राप्त कर सके. इसे शुरुआत में अप्रैल 2020 में कैलिफोर्निया के सैन डिएगो में पालोमर ऑब्जरवेटरी से खोजा गया था.
पहले क्यों होती थी दिक्कत?
अमेरिका के सांताक्रूज में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के असिस्टेंट प्रोफेसर रयान फॉले ने एक बयान में कहा, 'पहले हम सुपरनोवा के बारे में ऐसे बात करते थे, जैसे हम किसी क्राइम सीन की जांच करने वाले जांचकर्ता हों (Supernova Explosion News). तब हम तथ्यों का अध्ययन करते थे, ये पता लगाने के लिए कि उस सितारे के साथ आखिर क्या हुआ था.' रयान फॉले ने कहा, 'यह एक अलग स्थिति है, क्योंकि हम वास्तव में जानते हैं कि क्या हो रहा है और हम रियल टाइम में सितारे की मौत देख सकते हैं.' सितारे की मौत लाखों साल पहले हो गई होती है, लेकिन उसकी रोशनी अब दिखाई देना शुरू होती है. इससे पता चलता है कि अंतरिक्ष कितना गहरा है.
क्यों जांच करना है मुश्किल?
नासा की ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (टीईएसएस) का इस्तेमाल इसी तरह के अध्ययन और खोज करने के लिए किया जाता है. इसी से सुपरनोवा का भी अवलोकन किया गया है. जिससे वैज्ञानिकों को विस्फोट से जुड़ी जानकारी मिल सकी (Star Death From Death). अध्ययन के लेखक सामापोरा तिन्यानोंत ने कहा, 'हम शायद ही कभी इस बहुत नजदीकी चीज की जांच कर सकते हैं क्योंकि यह बहुत ही कम समय के लिए दिखाई देता है और हम आमतौर पर विस्फोट के कम से कम कुछ दिनों बाद तक सुपरनोवा का निरीक्षण शुरू नहीं करते.'