वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला एलियन वाला नया ग्रह, पढ़े पूरी डिटेल्स

Update: 2021-09-04 09:12 GMT

अंतरिक्ष विज्ञानियों ने ब्रह्मांड में कुछ ऐसे ग्रह खोजे हैं जिनपर हाइड्रोजन का सागर है. उन्हें उम्मीद है कि इन ग्रहों पर एलियन (Alien) रहते होंगे. जैसे हमारी धरती पर सागर को ओशन (Ocean) कहते हैं, वैसे ही हाइड्रोजन के सागर को हाइसियन (Hycean) कहा जा रहा है. ये हाइड्रोजन और ओशन शब्द को मिलाकर बनाया गया है. इन ग्रहों पर गर्म पानी की दुनिया है. साथ ही इसके वायुमंडल में हाइड्रोजन की मात्रा बहुत ज्यादा है. 

प्राचीन ग्रीस में मान्यता थी कि ओशिएनस (Oceanus) एक बहुत विशालकाय नदी थी, जो पूरी धरती पर फैली थी. जिसे यूरेनस और गाइया का बेटा कहा जाता था. ग्रीक भाषा में हाइड्रोजन का अर्थ होता है पानी पैदा करने वाला. वैसे भी हाइड्रोजन जब ऑक्सीजन से मिलता है तो वह पानी बनाता है. यानी जीवन की शुरुआत यहीं से होती है. लेकिन हमें हाइड्रोजन का असली रूप कहां से मिलता है. ये जीवाश्म ईंधन के जलने से निकलता है. 

जीवाश्म ईंधन के जलने से कार्बन-डाईऑक्साइड निकलता है. लेकिन इसी प्रक्रिया में एक चीज और निकलती है, जिसे ब्लू हाइड्रोजन (Blue Hydrogen) कहते हैं. हालांकि, हाइड्रोजन रंगहीन होता है. ब्लू हाइड्रोजन कार्बन-डाईऑक्साइड को कुछ मात्रा में पकड़ता है लेकिन ग्रीन हाइड्रोजन (Green Hydrogen) रीन्यूएबल ऊर्जा से बनता है. वैज्ञानिकों को डर है कि एक-दो सदी में धरती पर भी समुद्र का जलस्तर इतना बढ़ जाएगा कि इसे भी हाइसियन कहा जा सकेगा. फिर एलियंस यहां पर अध्ययन करने आएंगे. 
यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज के वैज्ञानिकों ने हाइसियन (Hycean) ग्रहों की नई श्रेणी बनाई है. जिसपर एलियंस के रहने की पूरी संभावना जताई जा रही है. इसके बारे में रिसर्च रिपोर्ट हाल ही में द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है. कैंब्रिज इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉमी के शोधकर्ता निक्कू मधुसूदन ने कहा कि हाइसियन (Hycean) ग्रह जीवन की खोज के बिल्कुल नए आयाम हैं. हमें इन पर और रिसर्च करने की जरूरत है.
निक्कू मधुसूदन ने बताया कि अब तक जितने भी हाइसियन (Hycean) ग्रह खोजे गए हैं, वो धरती से कई गुना बड़े और गर्म हैं. इन पर काफी बड़े हाइड्रोजन के महासागर हो सकते हैं. जिनमें माइक्रोबियल जीवन यानी सूक्ष्मजीवों की दुनिया होने की संभावना है. हम लगातार इन ग्रहों पर सूक्ष्मजीवों की खोज में लगे हैं. हम ऐसे हाइसियन (Hycean) ग्रहों की खोज में लगे हैं जो धरती से मिलते-जुलते हों. हमें इन ग्रहों पर नए तरीके के बायोसिग्नेचर यानी जीवों के होने के संकेत मिल सकते हैं. 
इस स्टडी की सह-लेखिका अंजली पीटे ने कहा कि हम इस बात से हैरान हैं कि धरती से एकदम अलग तरह के हाइसियन (Hycean) ग्रहों पर एलियन जीवन (Alien Life) होने की संभावना हो सकती है. हमारे सौर मंडल में इस आकार और व्यवहार के ग्रह हैं ही नहीं. ये ग्रह धरती से लेकर नेपच्यून तक के आकार के हो सकते हैं. कुछ तो बृहस्पति ग्रह से भी बड़े हो सकते हैं. इन पर बर्फीले पत्थर, बड़े महासागर और हाइड्रोजन का वायुमंडल प्रचुर मात्रा में हो सकता है. कम से कम स्टडी के दौरान खोजे गए ग्रहों के अध्ययन से तो यही प्रतीत होता है. 
कई हाइसियन (Hycean) ग्रह धरती से 1.6 से 2.6 गुना ज्यादा बड़े हैं. इनपर धरती की तरह ही पथरीली जमीन और अंदर की परतें हैं. इनके हाइड्रोजन से भरे वायुमंडल और सतह के बीच स्थितियां ऐसी हैं कि यहां पर एलियन जीवन संभव हो सकता है. निक्कू और अंजली ने ऐसे ही एक हाइसियन (Hycean) ग्रह K2-18b का अध्ययन किया है. नासा के मुताबिक इस ग्रह की खोज 2015 में की गई थी. इसका वजन धरती की तुलना में 8.92 गुना ज्यादा है. यह ग्रह सुपर-अर्थ और मिनी-नेप्च्यून की श्रेणी वाला ग्रह है. यानी धरती से बड़ा लेकिन नेपच्यून से छोटा. 
हाइसियन (Hycean) ग्रहों का तापमान 200 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. यह निर्भर करता है उनके तारे पर. जैसे हमारी धरती का तारा सूरज है. जहां से उसे ऊर्जा और गर्मी मिलती है. लेकिन निक्कू और अंजली ने कहा कि हम इस बात का पता नहीं कर पाए हैं कि क्या धरती के समुद्री सूक्ष्मजीवन की तरह हाइसियन ग्रहों के समुद्रों और सागरों में सूक्ष्मजीवन मौजूद है. 
निक्कू और अंजली ने बताया कि हो सकता है कि हाइसियन (Hycean) ग्रहों के एक तरफ पूरा अंधेरा हो, क्योंकि हम दूसरी साइड का हिस्सा देख ही नहीं पा रहे हैं. ये ठीक हमारे चंद्रमा के डार्क साइड की तरह हो. यानी अगर इन ग्रहों पर एलियन जीवन होगा भी तो वह एक तरफ ही संभव है. क्योंकि दूसरी साइड का तापमान इतना कम होगा कि वहां पर जीवन संभव ही न हो. या फिर ऐसे सूक्ष्मजीव हों जो इतने कम तापमान खुद को बचा सकते हों. 
नासा के मुताबिक शुरुआत में इसे पथरीला ग्रह कहा गया था. लेकिन साल 2019 में दो स्टडीज हुई जिसमें इसे हाइसियन (Hycean) ग्रह की श्रेणी में डालने की सिफारिश की गई. इसकी स्टडी में केपलर स्पेस टेलिस्कोप और हबल स्पेस टेलिस्कोप की मदद ली गई थी. अब रिटायर हो चुके स्पिट्जर स्पेस टेलिस्कोप ने इसके हाइसियन (Hycean) ग्रह होने की पुष्टि करवाई थी. 
इन स्टडीज में यह बात पुख्ता हो गई कि K2-18b एक हाइसियन (Hycean) ग्रह है. यहां पर गर्म पानी का बहुत बड़ा स्रोत है. इससे निकलने वाली भाप की वजह से इसका वायुमंडल हाइड्रोजन से भरा पड़ा है. निक्कू की स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है कि ऐसे कई मिनी-नेपच्यून ग्रह हैं, जो हाइसियन (Hycean) की श्रेणी में आते हैं. क्योंकि या तो ये बेहद बड़े हैं या फिर बेहद गर्म. 
कैंब्रिज के अंतरिक्ष विज्ञानियों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अगर वहां पर सूक्ष्मजीवन के सबूत मिलते हैं तो हम ये दावा कर सकते हैं कि धरती के अलावा कई ऐसे हाइसियन (Hycean) ग्रह हैं जहां पर जीवन संभव है. ये जरूरी नहीं कि हम उसे एलियन ग्रह कह कर डरें. क्योंकि एलियन का मतलब डरावनी शक्ल वाले अंतरिक्ष से आने वाले जीव नहीं होते. वो हमारी कल्पना मात्र हैं. दूसरे ग्रहों पर मौजूद किसी भी प्रकार का जीवन एलियन जीवन कहलाता है. 


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