वैज्ञानिक बेहद उत्साहित: चांद पर बहुत पानी... बसेंगी मानव बस्तियां

Update: 2020-10-27 06:52 GMT

वाशिंगटन (ए/नेट डेस्क)। चांद पर पानी की मौजूदगी को लेकर नई जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद की सतह पर पहले के अनुमानों के मुकाबले कहीं ज्यादा पानी हो सकता है। इसके ठंडे कोनों और चट्टानों में जमा हुआ पानी होने के प्रमाण मिले हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद पर प्रचुर मात्रा में पानी होना भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

पीने के लिए किया जा सकता है इस्तेमाल : वैज्ञानिकों की मानें तो इस पानी का इस्तेमाल पीने के लिए किया जा सकता है। साथ ही ईधन के तौर पर भी इसका प्रयोग संभव है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर की टीम ने चांद की सतह पर अणु के रूप में पानी का पता लगाया है। पहले के अध्ययनों में पानी और हाइड्रोक्सिल के अणुओं को लेकर संशय था। नए अध्ययनों में इस संशय को दूर कर लिया गया है।

अणु के रूप में है मौजूद : टीम की अगुआई कर रहे केसी होनिबल ने कहा कि हमने जिस पानी का पता लगाया है, वह बर्फ के रूप में नहीं है, बल्कि पानी के अणु हैं। ये अणु एक-दूसरे से इतनी दूर हैं कि बर्फ या द्रव अवस्था में नहीं आ पाते हैं। विज्ञान पत्रिका नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में चांद के ठंडे हिस्से को केंद्र में रखा गया है। इस हिस्से पर तापमान शून्य से 163 डिग्री सेल्सियस तक नीचे रहता है।

पहले के अनुमान से 20 फीसद ज्यादा : वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तापमान पर पानी अरबों साल तक जमा रह सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरैडो के पॉल हेन ने कहा कि चांद पर 40 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में बर्फ के रूप में पानी होने की संभावना है। यह पहले के अनुमान से 20 फीसद ज्यादा है। चांद पर पानी का स्रोत अब भी रहस्य बना हुआ है। हेन ने कहा, चांद पर पानी कहां से आया, यह बड़ा प्रश्न है।

सोफिया ने लगाया पता : पॉल हेन ने बताया कि हम विभिन्न शोध के जरिये इसका हल खोजने की कोशिश कर रहे हैं। इसका हल मिलने से धरती पर पानी की प्रचुरता से जुड़े सवाल भी हल हो सकेंगे। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, इस पानी की खोज नासा की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है। सोफिया नासा और जर्मन एयरोस्पेस सेंटर की साझा परियोजना है।

मंगल ग्रह के लिए हर दिन उड़ेंगी 2 फ्लाइट्स!

अमेरिकी कंपनी स्पेसएक्स ने मंगल ग्रह पर इंसान को बसाने की योजना के बारे में नई जानकारी शेयर की है। स्पेसएक्स कंपनी की सीओओ गिनी शॉटवेल ने टाइम मैगजीन को बताया है कि मंगल ग्रह पर इंसानों को बसाने में स्टारलिंक सैटेलाइट की प्रमुख भूमिका होगी। स्टारलिंक सैटेलाइट के जरिए कंपनी धरती के साथ-साथ मंगल पर इंटरनेट एक्सेस प्रोवाइड कराना चाहती है। स्पेसएक्स का कहना है कि यह सैटेलाइट दोनों ग्रह के लोगों को जोडऩे का काम करेगा। सीओओ गिनी शॉटवेल ने कहा कि एक बार जब लोग मंगल पर पहुंच जाएंगे तो उन्हें धरती के लोगों से बातचीत करने की जरूरत होगी। इस काम में स्टारलिंक सैटेलाइट की अहम भूमिका होगी।

वहीं, स्पेसएक्स कंपनी की योजना रही है कि 2050 तक मार्स पर 10 लाख इंसान पहुंच जाएं। कंपनी की योजना के मुताबिक, मंगल ग्रह के लिए हर दिन तीन फ्लाइट उड़ेंगी। यानी साल में करीब 1 हजार फ्लाइट्स। हर फ्लाइट्स में करीब 100 लोग एक साथ नए ग्रह पर जाने के लिए यात्रा करेंगे।

इससे पहले 2017 में एलन मस्क ने कहा था कि वे 2022 तक मंगल पर दो कार्गो विमान भेजना चाहते हैं और 2024 तक चार अन्य फ्लाइट्स। इन चार फ्लाइट्स में से 2 में इंसान भी यात्रा करेंगे।

स्पेसएक्स स्टारशिप रॉकेट के जरिए इंसान को मंगल पर भेजना चाहती है। पिछले महीने एलन मस्क ने कहा था कि रॉकेट तैयार करने का काम आगे बढ़ रहा है। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि मंगल पर शहर बसाना काफी मुश्किल भरा होगा और इस दौरान कई खतरे भी रहेंगे।

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