अध्ययन में बड़ा खुलासा- शुतुरमुर्ग दे सकते हैं जानवरों में गर्मी
जानवरों (Animals) में कितना ज्यादा अंतर का तापमान (Temperature Range)सहने की क्षमता हो सकती है इस पर हुए अध्ययन के लिए शुतुरमुर्ग (Ostrich) बहुत उपयोगी जानवर हैं.
जानवरों (Animals) में कितना ज्यादा अंतर का तापमान (Temperature Range)सहने की क्षमता हो सकती है इस पर हुए अध्ययन के लिए शुतुरमुर्ग (Ostrich) बहुत उपयोगी जानवर हैं. इस अध्ययन में यह जानने का प्रयास किया गया है कि शतुरमुर्ग रेगिस्तान, सवाना, झाड़ीदार जमीन जैसे पारिस्थितिकी तंत्रों में चरम तापमा न झेल सकते हैं. वे 5 डिग्री से 45 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा के तापमान में खुद को जीवित रख सकता है.
विभिन्न प्राणियों की क्षमताओं का अध्ययन वैज्ञानिकों के एक प्रमुख और प्रिय विषयों में से एक है. बदलते समय के साथ जलवायु (Climate) और विभिन्न परिस्थितियों में मानव क्षमता बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक कई जीवों का अध्ययन कर रहे हैं जो विपरीत परिस्थितियों में अपने अद्वितीय क्षमताएं दिखाते हैं. कई जीव बहुत लंबे समय तक ठंड सहन कर सकते हैं तो कई समुद्र की गहराइयों में भारी दबाव सहन करने में सक्षम हैं. इसी तरह से तापमान (Temperature) के प्रति संवेदना भी एक विषय है जिसके लिए वैज्ञानिकों ने शतुरमुर्ग (Ostrich) का अध्ययन किया है जो भारी ठंड से लेकर भीषण गर्मी के तापमान में खुद को जिंदा रख लेते हैं.
स्ट्रयूथियो कैमलस प्रजाति के शतुरमुर्ग (Ostrich) अफ्रीका में पाए जाते हैं. वे रेगिस्तान, सवाना, झाड़ियों वाली जमीनों जैसे कई तरह के बायोम में रहते हैं इसके बाद भी वे उन आवासों में सफलतापूर्वक जीवित बचे रह सकते हैं, जहां तापमान 5 डिग्री सेल्सियस से लेकर 45 डिग्री सेल्सियस से भी ज्यादा का तापमान होता है. इस बड़े तापीय उतार चढ़ाव (Temperature Range) में जीवित रह पाने की क्षमता के कारण उन्हें ऐसी प्रजाति (Species) में शामिल किया गया है जो गर्मी सर्दी दोनों को सहन कर सकती हैं जिनका अनुवांशकीय तौर पर अध्ययन किया जाएगा.
डेनमार्क के आरहूस यूनिवर्सिटी ने हाल ही में यूरोपीय रिसर्च फाउंडेशन की ओर से पोस्टडॉक्टोरल छात्र माड्स फ्रिस्ट्रप स्कोउ को 15 लाख यूरो का पुरस्कार दिया है. उन्हें यह पुरस्कार जीवविज्ञान विभाग में एक शोध के लिए दिया गया है जिसमें उन्होंने इस बात का अध्ययन किया कि तापीय उतार चढ़ावों (Temperature range) के दौरान शतुरमुर्ग (Ostrich) खुद को कैसे जीवित रख पाते हैं. स्कोउ फिलहाल स्वीडन की लुंड यूनिवर्सिटी में हैं और उन्होंने पिछला शोध दक्षिण अफ्रीका के फार्म में बदलते तापमान के प्रति शतुरमुर्ग की प्रजनन (Fertility) क्षमता की प्रतिक्रिया पर किया था.
गर्मी और सर्दी की सहनशीलता (Heat Tolerance) के मामले में जानवरों (Animals) के विकास के मामले में शतुरमुर्ग (Ostrich) शोध के बहुत अच्छे विषय होते हैं. क्योंकि इनमें वयस्क इतने बड़े होते हैं जबकि उनके बच्चे बहुत छोटे आकार से जीवन की शुरुआत करते हैं. तापमान की चरमता (Extreme Temperature) के प्रभाव को समझने के लिए शरीर का आकार बहुत बड़ा कारक है. छोटे आकार वाले शरीर सतही क्षेत्रफल और शारीरिक आयतन का अनुपात ज्याद होता है जिसका मतलब यही होता है कि वे ऊष्मा ज्यादा तेजी से गंवाते हैं. वहीं वयस्क शतुरमुर्ग ठंड कम सहन कर सकते हैं.
एक नवजात शतुरमुर्ग (Ostrich) का भार व्यस्क शतुरमुर्ग की भार का एक प्रतिशत से भी कम होता है. वहीं इंसान का नवजात शिशु का भार व्यस्क की तुलना में औसतन 3-5 प्रतिशत होता है. चरम तापमान (Extreme Temperature) को झेलने के मामले में दोनों व्यस्क शतुरमुर्ग और उनके बच्चों इन दोनों ही हालात में जीवित रहना होता है, नहीं तो उनकी जनसंख्या (Population) ही संकट में आ जाएगी. स्कोउ ने यह पता लगाने का प्रयास किया के वे ऐसा कैसे कर पाते हैं.
स्काउ ने बताया कि उनका प्रोजेक्ट बड़े जानवरों (Animals) के तापमान में बदलावों के मुताबिक खुद को ढालने की क्षमता को समझने में मदद करेगा. इसके साथ ही वे जीवन की अलग-अलग चरणों के बारे में भी जानने का मौका मिलता है. अभी तक हम नहीं जानते हैं कि क्या गर्मी और सर्दी सहनशीलता (tolerance) का जीन्स से कोई संबंध है भी या नहीं. नकारात्मक सहसंबंध का मतलब होगा कि युवाओं में ठंड सहन करने वाली जीनन्स व्यस्कों में गर्मी की सहनशीलता (Heat Tolerance) कम कर देती हैं. यदि ऐसा है तो अलग अलग जीवन अवस्था में ठंड और गर्मी सहन करने की क्षमता बदल जाती हैं.
ऐसे में ज्यादा उतार चढ़ाव होने पर प्रजातियों किसी जीवन अवस्था की क्षमता को कायम रखना चाहिए यह एक सवाल होगा. जैसे जैसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) भविष्य की स्थतियों का अनुमान लगाने की क्षमता को कम कर रहा है, यह बहुत जरूरी है कि हम समझें जानवर तापमान में उतार चढ़ाव से कैसे निपटते हैं. तापीय सहनशीलता (Heat Tolerance) बढ़ने से शायद बहुत से जानवरों (Animals) की प्रजातियां भविष्य में खुद को जीवित रख पाएंगी. इस लिहाज से शतुरमुर्ग पर हो रहा यह अध्ययन कई ऐसे सवालों के जवाब दे सकता है जो पहले कभी जरूरी भी नहीं समझे जाते थे.