शोधकर्ताओं ने चंद्रमा की ऊपरी परत के चुंबकीकरण के सिद्धांत को किया खारिज...बताई ये बात

हमारी पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा और कई छोटे पिंड जैसे कि बुध ग्रह की ऊपरी परत मैग्नेटिक होती है.

Update: 2020-10-09 08:58 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमारी पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा (Moon) और उसके जैसे कई छोटे पिंड जैसे कि बुध (Mercury) ग्रह की ऊपरी परत (Crust) मैग्नेटिक (Magnetic) होती है. आमतौर पर किसी ग्रह (Pleanet) या उपग्रह की मैग्नेटिक फील्ड बनने का कारण उस पिंड के क्रोड़ (Core) में पुराने डायनामो (Dynamo) का होना माना जाता है, लेकिन लंबे समय से चंद्रमा के मामले एक और मत प्रचलित था जिसमें उल्कापिंडों (Meteorites) के टकराव के कराण अंतरग्रही मैग्नेटिक फील्ड के बढ़ने के प्रभाव के कारण चंद्रमा की ऊपरी परत भी मैग्नेटिक फील्ड बढ़ा. ताजा अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इसी मत को खारिज किया है.

इस शोध ने किया वह सिद्धांत खारिज

इस नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस बात पर रोशनी डाली है कि चंद्रमा की ऊपरी परत मैग्नेटिक कैसे हो गई. कर्टिन यूनिवर्सटी स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी की ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ता और इस अध्ययन के सहलेखिका डॉ कैतरीना मिल्कोविच के मुताबिक यह अध्ययन चंद्रमा की मैग्नेटिक प्रभाव को बनने में उल्कापिंडों का हाथ होने की थ्योरी को खारिज करता है.

क्या वजह बताई गई मत को खारिज करने की

डॉ मिल्कोविच ने कहा, "हमने पाता कि उल्कापिंड के टकराव से बने प्लाजमा चंद्रमा के साथ बहुत ही कमजोर तरीके से अंतरक्रिया कर सके होंगे. वहीं चंद्रमा के क्रोड़ से ऊपरी परत का मैग्नेटाइजेशन अधिक हुआ होगा. उन्होंने बताया कि इस पड़ताल से यह निष्कर्ष निकल सका कि चंद्रमा के क्रोड़ के डायनामो ही चंद्रमा की उपरी परत में चुंबकीकरण (magnetization) का सबसे स्वीकार्य स्रोत हो सकता है.

Australia, Meteorite life, Earth,पहले माना जाता था कि उल्कापिंडों (Meteorites) के तेज टकराव (Impacts) ने ही चंद्रमा (Moon) की सतह पर ऐसे बदलाव किए. . (प्रतीकात्मक तस्वीर)

यह आंकलन किया शोधकर्ताओं ने

डॉ मिल्कोविच और उनके साथियों ने चंद्रमा पर करीब चार अरब साल पहले उल्कापिंडों के प्रभाव के कारण बने वाष्पों का संख्यात्मक आंकलन दिया. डॉ मिल्कोविच ने बताया कि जब हम चंद्रमा को बिना किसी उपकरण के देखते हैं तो हम वहां पर पुराने उल्कापिंडों द्वारा बनाए गए बड़े क्रेटर देख सकते हैं. अब वे ज्वालामुखी के अवशेषों से भर गए हैं जिससे हमें वहां की सतह काली दिखाई देती है.इन टकरावों के दौरान उल्कापिंड चंद्रमा से बहुत ही तेजी से टकराए थे जिससे चंद्रमा की ऊपरी परत में वाष्पीकरण, विस्थापन और पिघलाव जैसे गतिविधियां हुईं.

यह गणना की

साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित इस शोध ने इस इन टकरावों के दौरान उत्सर्जित वाष्प का भार और उष्मा उर्जा की गणना की. और उसे दूसरी गणनाओं चंद्रमा के आसपास की मैग्नेटिक फील्ड के अन्वेषण के लिए उपयोग किया.

Moon, Meteorites, Computer simulation, कम्प्यूटर सिम्यूलेशन (Computer simulation) के जरिए ही 4 अरब साल पुराने उल्कापिंड (Meteroites) के टकरावों का आंकलन हो सका.

कम्प्यूटर सिम्यूलेशन से किया परीक्षण

इस शोध के प्रमुख लेखक डॉ रोना ओरान ने बताया कि टकराव के सिम्यूलेशन और प्लाज्मा के सिम्यूलेशन ने मिलकर वैज्ञानिक कोड्स में नए बदलाव किए हैं. कम्प्यूटर पॉवर के जरिए टीम इस लंबे और जटिल प्रक्रियाओं का परीक्षण कर सकी.


डॉ ओरान ने बताया कि चंद्रमा के अलावा बुध, कुछ उल्कापिंडों और अन्य खगोलीय पिंडों को ऊपरी सतह भी मैग्नेटिक होती है. वैज्ञानिकों का विश्वास है कि चंद्रमा पर काम करने वाली डायनामो प्रक्रिया इसके पीछे की वजह हो सकती है.

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