कीटाणुओं को खत्म करने में अल्ट्रावायलेट लाइट यानी पराबैंगनी प्रकाश सबसे ज्यादा प्रभावी होता है। अब कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले में भी इसकी भूमिका सामने आ रही है। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कोरोना के सभी वैरिएंट सहित विभिन्न प्रकार के वायरसों और बैक्टीरिया से बचाव में आमतौर पर रासायनिक पदार्थ इस्तेमाल किए जाते हैं। अल्ट्रावायलेट लाइट के इस्तेमाल से संक्रमणरहित करने वाले इस तरह के उत्पाद न सिर्फ इंसानों बल्कि पर्यावरण के लिए सुरक्षित बनाए जा सकते हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार, इस समय चीजों को संक्रमणरहित करने के लिए 400 से अधिक तरह के उत्पाद इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से बेंजालकोनियम क्लोराइड (बीएके) का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि यह रासायनिक पदार्थ मानव त्वचा और आंखों में जलन का कारण बनता है। यह पर्यावरण और खासतौर पर जलीय जीवन और पक्षियों के लिए विषाक्त होता है। कनाडा की वाटरलू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह खोज की है कि अल्ट्रावायलेट लाइट के इस्तेमाल से रासायनिक पदार्थ के विषाक्त प्रभाव को पूरी तरह बेअसर किया जा सकता है।
अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता डेविड मैक्कन ने कहा, 'हमारे नतीजों से जाहिर होता है कि संक्रमणरहित प्रक्रिया में बीएके के इस्तेमाल के बाद यूवीसी रेडिएशन अपनाए जाने से इस रासायनिक पदार्थ के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है। इस तरीके से संक्रमणरहित करने की प्रक्रिया का प्रभाव भी बढ़ सकता है।' यूवीसी अल्ट्रावायलेट लाइट का एक प्रकार है। शोधकर्ताओं के अनुसार, कोरोना महामारी के दौर में हमारे अध्ययन के नतीजों से अस्पतालों, घरों, खाद्य सामग्री और पर्यावरण को सुरक्षित करने वाले उपायों को बेहतर किया जा सकता है।