शोध: वायु प्रदूषण के कारण बढ़ जाती है कोरोना से होने वाली मौतें
वायु प्रदूषण के कारण बढ़ जाती है कोरोना से होने वाली मौतें
जनता से रिश्ता वेबडेस्क : साल 2021 आने के बाद लोगों को लग रहा था कि कोरोना वायरस धीरे-धीरे करके उनका पीछा छोड़ देगा, लेकिन इसके उलट कोविड-19 काफी तेजी से फैल रहा है। हर दिन संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यही नहीं, काफी संख्या में लोगों की जान भी ये वायरस ले रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वायु प्रदूषण के कारण कोरोना से होने वाली मौत के मामले बढ़ सकते हैं? शायद नहीं, तो आपको बता दें कि पिछले दिनों अमेरिका की तीन हजार से अधिक काउंटी पर किए गए एक शोध में ये बता पता चलती है।
दरअसल, पिछले दिनों 'साइंस एडवांसेज' नाम की शोध पत्रिका में प्रकाशित हुए इस अध्ययन में कोरोना वायरस से होने वाली मौतों और पीएम 2.5 कणों के संपर्क में अधिक समय तक रहने के प्रभावों की जांच की गई। इसमें सामने आया कि जो लोग प्रदूषण कारक सूक्ष्म कणों के संपर्क में ज्यादा समय तक रहते हैं, उनकी कोरोना वायरस से मौत होने की आशंका बढ़ जाती है। अमेरिका की 3089 काउंटी में रहने वाली आबादी के 98 फीसदी लोगों पर ये अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि प्रदूषण कारक कणों के संपर्क में अधिक समय तक रहने पर कोरोना वायरस से होने वाली मौत की दर में वृद्धि हुई।
यही नहीं वैज्ञानिक मानते हैं कि जो लोग वायु प्रदूषण के संपर्क में ज्यादा समय तक रहते हैं, उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर भी विपरीत असर पड़ता है। वहीं, इस अध्ययन से पीएम 2.5 कणों और कोरोना के मरीजों की मृत्यु दर के बीच की कार्यप्रणाली स्पष्ट नहीं होती। लेकिन अनुसंधान में शामिल हार्वर्ड विश्वविद्यालय समेत अन्य संस्थानों के वैज्ञानिकों का मानना है कि इन कणों के संपर्क में अधिक समय तक रहने से फेफड़ों में 'एसीई-2 रिसेप्टर' अधिक उत्पन्न हो सकते हैं और इससे कोरोना वायरस को शरीर की कोशिकाओं में घुसने में सहायता मिलती है। इस बात से बिल्कुल इंकार नहीं किया जा सकता कि वायु प्रदूषण के कारण भी काफी संख्या में लोगों को नुकसान पहुंचता है और लोगों की जान भी चली जाती है। वहीं, कोरोना वायरस ने इस समस्या को दोगुना बढ़ा दिया है। ऐसे में सरकारों से लेकर कई संस्थाएं वायु प्रदूषण को रोकने के तमाम काम कर रही हैं।