187 देशों के डेटा पर हुई रिसर्च, दुनिया में अब तक 1.82 करोड़ लोगों ने कोरोना से गंवाई जान
187 देशों के डेटा पर हुई रिसर्च
कोरोना की चौथी लहर की खबरों के बीच एक चौंकाने वाली रिसर्च सामने आई है। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित इस रिसर्च के अनुसार, महामारी के दौरान हुई असली मौतें ऑफिशियल तौर पर बताई गई मौतों से तीन गुना ज्यादा हो सकती हैं।
रिकॉर्ड्स की मानें तो दुनिया में साल 2021 के अंत तक कोरोना से 60 लाख लोगों की मौत हुई। पर स्टडी में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि 2020 की शुरुआत से 2021 के आखिर तक कम से कम 1 करोड़ 82 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
187 देशों के डेटा पर हुई रिसर्च
इस रिसर्च को अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के वैज्ञानिकों ने किया है। टीम लीड हाइडोंग वांग के अनुसार, दर्ज न की गईं मौतें संसाधनों की कमी के कारण छूट गई थीं। साथ ही, इनमें से कई मौतों को महामारी के अप्रत्यक्ष कारणों, जैसे हेल्थ केयर की कमी, खराब अर्थव्यवस्था और लॉकडाउन, में गिना गया था।
इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 187 देशों की 2020 और 2021 की कोरोना डेथ रिपोर्ट्स को इकट्ठा किया। इनके साप्ताहिक और मासिक डेटा को निकालकर ऐसे मॉडल बनाए, जिससे बाकी मौतों का पता चल सके। जांच में पता चला कि दुनिया के हर एक हजार लोगों पर कोरोना से एक अधिक मौत हुई। यह मौत ऑफिशियल आंकड़ों में दर्ज नहीं की गई।
दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा अनऑफिशियल मौतें
रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ें दुनिया के हर कोने में समान नहीं हैं। दक्षिण एशिया में 53 लाख मौतें दर्ज नहीं हुईं, वहीं उत्तरी अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में ये आंकड़ा 17 लाख रहा। पूर्वी यूरोप में 14 लाख अनऑफिशियल मौतें हुईं।
ऑफिशियल आंकड़ें महामारी की आधी छवि
रिसर्च के अंत में वैज्ञानिकों ने कहा है कि सभी देशों में दर्ज कोरोना मौतों के आंकड़ें महामारी की आधी छवि पेश करते हैं, उनके मुताबिक, कोरोना ने दुनिया में जिस स्तर पर तबाही मचाई, आंकड़ों के हिसाब से देखा जाए तो वह कुछ नहीं है।
स्टडी में आगे कहा गया है कि भविष्य में आने वाली महामारियों को ठीक से मॉनिटर करने के लिए हमें डेथ रजिस्ट्रेशन सिस्टम को मजबूत करना होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कोरोना से जुड़ी मौतों को नजरअंदाज न करने पर जोर दिया है। फरवरी 2021 में WHO ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग के साथ मिलकर एक एडवाइजरी ग्रुप भी बनाया था, ताकि इस विषय को बड़े स्तर पर समझा जा सके।