शोध में दावा- B.1.617 वैरियंट पर 66 फीसदी प्रभावी है एस्ट्राजेनेका/कोविशील्ड वैक्सीन

भारत कोरोना की दूसरी लहर से संघर्ष कर रहा है

Update: 2021-05-24 10:49 GMT

भारत कोरोना की दूसरी लहर से संघर्ष कर रहा है. कोविड के खिलाफ इस जंग में वैक्सीन को सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है. ऐसे में ब्रिटेन में किए गए एक शोध के मुताबिक कोविड के B.1.617 वैरियंट पर फ़ाइज़र, बायोएनटेक और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन काफी प्रभावी हैं. ये शोध भारत को भी तसल्ली देने वाला है क्योंकि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन भारत में कोविशील्ड के नाम से ज्यादा से ज्यादा लोगों को लगाई जा रही है. भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है. शोध के मुताबिक वैक्सीन के दो शॉट भारत और यूके में पहली बार देखे गए वैरियंट के खिलाफ बेहद प्रभावी पाए गए.

रिसर्च के नतीजों से उत्साहित ब्रिटिश स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टीके जरूर लगवाएं
Pfizer-BioNTech की वैक्सीन के दो डोज इन वैरियंट्स के खिलाफ 88 प्रतिशत तक प्रभावी पाए गए. B.1.617 महाराष्ट्र में पाया गया वह वैरियंट है जो पूरी दुनिया में चर्चा में रहा है. ब्रिटेन में किए गए शोध के अनुसार एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की एक खुराक केवल 33 फीसदी ही प्रभावी पाई गई. जबकि दो खुराकों के बाद नतीजे काफी बेहतर रहे. इस शोध के नतीजों से उत्साहित ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कह- 'रिसर्च के नतीजे काफी अहम हैं और यह साबित करते हैं कि लोगों का बचाव करने में कोविड-19 टीकाकरण अभियान कितना महत्वपूर्ण है. यह साफ है कि कोविड-19 और इसके स्वरूपों से प्रभावी संरक्षण के लिए टीके की दूसरी खुराक कितनी महत्वपूर्ण है. मैं लोगों से अपील करता हूं कि टीका जरूर लगवाएं.
ब्रिटेन ने दो टीकों के बीच अंतराल 12 से घटाकर 8 सप्ताह किया
ब्रिटेन अपने टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के लिए प्रयास कर रहा है. इसी कड़ी में वहां पर टीके के पहले पहले और दूसरे डोज के बीच के अंतराल को 12 से घटाकर 8 सप्ताह कर दिया गया है, जबकि भारत ने इसके उलट दो टीकों के मध्य अंतर 8 से बढ़ाकर 12 से 16 सप्ताह का कर दिया है.
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