नई दिल्ली: मंगल ग्रह पर दुनियाभर की कई स्पेस एजेंसियों ने ऑर्बिटर, लैंडर, रोवर भेजे हैं. यहां तक की नासा ने तो हेलिकॉप्टर भी भेजा और मंगल पर उसकी 30 सफल उड़ानें भी पूरी हो चुकी हैं. लेकिन अब मंगल ग्रह पर प्लेन उड़ाने की योजना बनाई जा रही है. इसके प्रोटोटाइप की सफल उड़ान एरिजोना में की गई. इसका मकसद मंगल ग्रह के भूगोल और वायुमंडल की स्टडी करना है.
मंगल ग्रह पर सेलप्लेन (Sailplane) उड़ाने की तैयारी चल रही है. जिस प्रोटोटाइप की उड़ान हुई है उसे एक गुब्बारे के जरिए उड़ाया गया है. ताकि उसकी लैंडिंग सुरक्षित कराई जा सके. एरिजोना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस सेलप्लेन को बनाया है. यह प्रोटोटाइप प्लेन मोटरलेस हैं. यानी इसमें इंजन नहीं है. इसलिए इसे गुब्बारे के जरिए उड़ाया जाएगा.
ड्रोन हेलिकॉप्टर की उड़ान मंगल ग्रह पर सफल हो चुकी है. जिसे नासा ने इंजीन्यूटी (Ingenuity) नाम दिया था. यह पिछले साल फरवरी में पर्सिवरेंस रोवर के साथ मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर में उतरा था. इंजीन्यूटी को लेकर नासा की योजना थी कि ये एक महीने से ज्यादा काम नहीं कर पाएगा. अधिकतम 5 उड़ानें पूरी करेगा. लेकिन इसने अब तक 30 उड़ान भरी है.
इंजीन्यूटी के साथ दिक्कत ये है कि ये तीन मिनट से ज्यादा समय तक उड़ान भर नहीं सकता. अधिकतम 39 फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. एरिजोना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक बयान देकर कहा कि सेलप्लेन (Sailplane) ज्यादा समय, ज्यादा ऊंचाई और ज्यादा तेजी से ज्यादा दूरी कवर कर सकता है.
वैज्ञानिकों ने कहा कि फिलहाल ये सेलप्लेन (Sailplane) का बेहद शुरुआती स्टेज है. अभी इसकी उड़ान बहुत ऊंची नहीं थी. लेकिन भविष्य में इसे 15 हजार फीट की ऊंचाई पर टेस्ट किया जाएगा. जहां पर धरती का वायुमंडल बेहद हल्का हो जाता है. ताकि उसे मंगल ग्रह के वायुमंडल में उड़ने की दिक्कत न आए.
सेलप्लेन (Sailplane) मंगल ग्रह पर इंजीन्यूटी से ज्यादा ऊंचाई पर उड़ सकेगा. इसमें हाई-रेजोल्यूशन कैमरे लगाए जाएंगे. वजन 5 किलोग्राम होगा. इसके अलावा इसमें फ्लाइट, तापमान और गैस सेंसर्स भी होंगे जो वायुमंडल की जानकारी जमा करेंगे. इसके अलावा इसमें लगे कैमरे घाटियों और ज्वालामुखियों की तस्वीरें लेंगे.