नए अध्ययन: कोरोना से ठीक हुए एक तिहाई लोगों को हो रही गंभीर शारीरिक समस्या, इन्हें है ज्यादा खतरा
नए अध्ययन
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: कोविड-19 के प्रकोप को एक साल से ज्यादा का समय हो गया है। दुनियाभर में कोविड के 13 करोड़ 38 लाख से ज्यादा मामले अब तक सामने आ चुके हैं। कोविड-19 ने लोगों को न केवल शारीरिक रूप से प्रभावित किया है, साथ ही इसका असर मानसिक सेहत पर भी देखने को मिल रहा है। कोविड-19 से ठीक हो चुके रोगियों को इसके बाद कई प्रकार की गंभीर शारीरिक समस्याओं के साथ कई तरह के मानसिक विकारों का भी सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में विशेषज्ञों ने पाया है कि कोविड-19 से ग्रस्त रह चुके ज्यादातर लोगों में न्यूरोलॉजिकल विकार देखने को मिल रहे हैं।
इस अध्ययन ने लोगों को अजीब प्रकार की चिंता में डाल दिया है। आइए जानते हैं इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने किन विशेष बातों का जिक्र किया है. द लैंसेट साइकियाट्री जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार कोविड-19 संक्रमण से ठीक हो चुके तीन में से एक रोगी में न्यूरोलॉजिकल या मनोरोग विकारों का निदान किया जा रहा है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में छह महीने की अवधि के लिए अमेरिका में 2,36,379 रोगियों के डेटा का विश्लेषण किया गया।
अध्ययन के लिए 20 जनवरी 2020 के बाद कोविड-19 के सकारात्मक परीक्षण वाले 10 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के डेटा को शामिल किया गया। इस डेटा की तुलना इन्फ्लूएंजा से पीड़ित 1,05,579 रोगियों और अन्य श्वसन रोगों से संक्रमित 2,36,038 रोगियों के साथ की गई। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि अध्ययन में शामिल 34% कोरोनोवायरस रोगियों को संक्रमण के छह महीने बाद न्यूरोलॉजिकल या मानसिक स्वास्थ्य विकार के लक्षण दिखाई दिए। शोधकर्ताओं ने पाया कि 17 फीसदी रोगी चिंता विकार, 14 फीसदी में मूड विकारों, 7 फीसदी व्यक्तियों को मादक द्रव्यों के सेवन और 5 फीसदी लोगों को अनिद्रा का शिकार पाया गया। इस अध्ययन के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या कोविड-19 से ठीक हो चुके सभी लोगों को ऐसी दिक्कतें हो सकती हैं?
विशेषज्ञों ने बताया कि कोविड-19 केवल श्वसन संबंधी बीमारी नहीं है, यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकती है। इसका असर छह माह से अधिक समय तक व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थितियों पर भी देखा जा सकता है। कोविड से ठीक हो चुके लोगों ने अक्सर मस्तिष्क में गंभीर सूजन, स्ट्रोक और दौरे पड़ने जैसी दिक्कतों की शिकायत की है।
किन लोगों को खतरा सबसे ज्यादा?
अध्ययन में विशेषज्ञों ने बताया कि जो लोग कोविड-19 के गंभीर संक्रमण के शिकार थे उनमें न्यूरोलॉजिकल या मनोरोग की संभावना ज्यादा पाई गई। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में मनोचिकित्सा विभाग के प्रमुख और अध्ययन से जुड़े प्रोफेसर पॉल हैरिसन के अनुसार अध्ययन में मनोरोग स्थिति वाले मरीजों की संख्या ज्यादा सामान्य देखी गई। इसका असर छह महीने बाद कैसा होता है यह देखना जरूरी होगा।