प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए नए एंजाइम से जगी उम्मीद, पूरी तरह से खत्म करने की ओर वैज्ञानिक

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए नए एंजाइम से जगी उम्मीद

Update: 2022-03-31 15:58 GMT
नई दिल्ली. एंजाइम का इस्तेमाल करके धरती से प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने की प्रक्रिया खोजने वाले वैज्ञानिक ने अब वैश्विक स्तर पर गहराते प्लास्टिक प्रदूषण के संकट से निपटने के लिए एक बार फिर से प्रकृति आधारित समाधान विकसित करने में सफलता हासिल की है. उन्होंने एक ऐसे एंजाइम के बारे में पता लगाया है, जिसमें टेरीप्थेलेट (TPA) को तोड़ने की उल्लेखनीय क्षमता होती है. TPA में एक रासायनिक बिल्डिंग ब्लॉक होता है जो पॉलीइथालीन टेरीप्थेलेट प्लास्टिक के निर्माण में इस्तेमाल होता है. इसका उपयोग एक बार इस्तेमाल होने वाली पानी की बोतल, कपड़े और प्लास्टिक की चादरें बनाने में किया जाता है.
मोंटाना स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जेन ड्यूबोइस और इंग्लैंड के पोर्टमाउथ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉन मेक्गीहन ने इस खोज में सफलता हासिल की है. इससे पहले 2018 में मेक्गीहन ने उस अंतर्राष्ट्रीय दल का नेतृत्व किया था, जिसने PET प्लास्टिक को प्राकृतिक तौर पर तोड़ने में मददगार एंजाइम को तैयार किया था. PETase and MHETase नाम के इन एंजाइम की मदद से PET पॉलीमर में मौजूद रसायनिक बिल्डिंग ब्लॉक्स, इथाइलीन ग्लाइकोल और टीपीए को तोड़ा जा सकता था.
यह नई शोध प्रोसीडिंग ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में प्रकाशित हुई है. जो TPA प्रदूषण से निपटने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाती है. TPA का PET के अलावा और कहीं भी इस्तेमाल नहीं होता है और न ही कोई बेक्टरिया इसे पचा सकता है. ऐसे में PET को पचाने वाले बैक्टिरिया की पहचान ने प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है. इस तरह से आगे चलकर अगर यह प्रयोग पूरी तरह से सफल होकर चलन में आता है तो बैक्टीरिया के जरिए इसका इस्तेमाल लंबे समय तक बने रहने वाले रसायनिक पदार्थों और प्लास्टिक के कूड़े से जरूरी और महत्व की चीजों को बनाने में किया जा सकेगा.
गौरतलब है कि हर साल दुनिया भर में 40 करोड़ टन प्लास्टिक का कूड़ा पैदा होता है. जिसका खत्म नहीं होना, दुनिया के लिए बहुत बड़ी चिंता बनता जा रहा है. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि इस खोज के जरिए बैक्टीरियल एंजाइम के लिए और रास्ते खुलेंगे. इस तरह से ऐसा जैविक तंत्र स्थापित करने में मदद मिलेगी, जिसकी बदौलत प्लास्टिक से बढ़ते प्रदूषण को रोकने और प्लास्टिक के कूड़े को जरूरी उत्पाद में बदला जा सकता है.
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