वैज्ञानिकों को नेप्च्यून के काले तूफान ने चौंकाया, जानें क्यों
पहली बार दिखे तूफान
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस समय नेप्च्यून ग्रह (Neptune) के ध्रुवीय इलाके (Polar Region) में आए एक तूफान (Storm) ने खगोलविदों ने ध्यान खींचा है. इस ग्रह पर तूफान कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार जिस तूफान की ओर वैज्ञानिकों का ध्यान गया है, वह पहले ध्रुवीय इलाके से भूमध्यरेखा (Equator) की ओर गया था और उसके बाद फिर से वापस ध्रुवीय इलाके में आता दिख रहा है. वैज्ञानिकों के ऐसा पहली बार होते देखा है.
क्या है इस बदलाव से उम्मीद
खगोलविद अभी इस बात को लेकर निश्चित नहीं हैं कि तूफान ने अपने दिशा क्यों या कैसे बदली. लेकिन यह जानकारी उन्हें नेप्च्यून के वायुमंडलीय मौसम के बारे में काफी कुछ बता सकती है. वास्तव में हमारे सौरमंडल में नेप्चयून को दूसरे ग्रहों की तुलना में देख पाना बहुत मुश्किल है. वह सूर्य से बहुत दूर स्थित है. सौरमंडल का आखिरी ग्रह सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी तीस गुना ज्यादा दूरी पर स्थित है.
पहली बार कब दिखे तूफान
1989 में वॉएजर-2 जब इस ग्रह के पास से गुजरा तो उसने यहां दो तूफानों की खोज की. इसके बाद से केवल हबल टेलीस्कोप ही ऐसा उपकरण है जो इन तूफानों का अवलोकन करने में सक्षम है. उसने ऐसे चार और तूफानों का अवलोकन किया जिन्हें डार्क स्पॉट (Dark Spot) नाम दिया गया क्योंकि ये अपने आसपास के वायुमंडल की तुलना में काले दिखते हैं.
क्या था इनका सामान्य बर्ताव
सामान्य तौर पर इन तूफानों का बर्ताव एक ही सा होता है. वे नेप्च्यून के मध्य अक्षांश में दिखाई देते हैं और वहां की भूम्ध्यय रेखा की ओर जाते हुए करीब दो साल तक रहते हैं फिर गायब हो जाते हैं. इसके बाद चार से छह साल बाद वे फिर से दिखाई देते हैं. लेकिन इस बार की बात कुछ और थी.
क्या हुआ इस बार
इस बार का तूफान हबल का देखा गया चौथा तूफान था. जिसे NDS-2018 कहा गया. यह एक अपवाद की तरह दिखाई दिया. बर्केले की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के ग्रहवैज्ञानिक माइकल वॉन्ग ने बताया, "यह देखना काफी दिलचस्प था कि यह उम्मीद के मुताबिक दिखाई दे रहा था फिर अचानक वह रुक कर वापस चला गया. यह काफी हैरान करने वाला रहा."
यह रुख होता है तूफान का
NDS-2018 पहली बार साल 2018 में देखा गया था. उस समय यह कई सालों से विकसित हो रहा था. यह करीब 11 हजार किलोमीटर विशाल था. जब जनवरी 2020 में इसे देखा गया था तब यह उम्मीद के मुताबिक ही उत्तरी मध्य अक्षांश से दक्षिण की ओर भूमध्यरेखा की ओर जा रहा था. इस दौरान कोरियोलिस प्रभाव, जो इस तूफान को मध्य अक्षांश में स्थिर रखने की कोशिश कर रहा था, कमजोर पड़ने की उम्मीद थी और उसके तूफान के भूमध्य रेखा तक पहुंचने तक धीरे-धीरे गायब होने की उम्मीद थी. सिम्यूलेशन गणनाओं के अनुसार NDS-2018 गायब हो जाना चाहिए था.
लेकिन इस साल कुछ और भी हो गया
लेकिन जनवरी के अवलोकनों ने एक बात और देखी. जद NDS-2018 करीब 7400 किलोमीटर बड़ा था. तब उसी समय उसके पास एक 6275 किलोमीटर बड़ा एक छोटा तूफान दिखाई दिया जिसे वैज्ञानिकों ने डार्क स्पॉट जूनियर नाम दिया. इस साल अगस्त में हबल ने देखा किया कि डार्क स्पॉट जूनियर गायब था और NDS-2018 उत्तर की ओर बढ़ने लगा था.
खास बात यह रही कि
शोधकर्ता इस अवलोकन से उत्साहित हुए क्योंकि छोटे काले तूफान बड़े तूफान के गायब होने की प्रक्रिया का हिस्सा था. कम से कम कम्प्यूटर सिम्यूलेशन में तो इसका पूर्वानुमान दिखाई ही देता था, पर इसे कभी अवलोकित कभी नहीं किया गया. इससे पहले कुछ काले धब्बे जरूर देखे गए, और वे खुद ब खुद गायब हो गए थे, लेकिन उन्होंने बड़े तूफान में कभी दखल नहीं दिया.
बाह्यग्रहों से आने वाले रेडियो उत्सर्जन ने जगाई खगोलविदों में यह उम्मीद
वैसे तो यह जानना फिलहाल नामुमकिन है कि वास्तव में हुआ क्या था. लेकिन यह सब कुछ NDS-2018 के पास हुआ जब वह भूमध्य रेखा के पास था. कम्प्यूटर सिम्यूलेशन भी यही कहते हैं कि अगर कुछ इस तूफान में दखल देगा तो यहीं देगा. अब जब अगली बार हबल टेलीस्कोप नेप्च्यून पर निगाह डालेगा तब इस बारे में कुछ और जानकारी मिलने की उम्मीद है.