शुक्र से आ रही भयंकर आवाज नासा के Parker Solar Probe ने पहली बार किया रिकॉर्ड, वैज्ञानिक ने शुरू की जांच

नासा के Parker Solar Probe

Update: 2021-05-04 16:53 GMT

वॉशिंगटन: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने शुक्र ग्रह से आ रही भयंकर आवाज और रेडियो सिग्नल को रिकॉर्ड किया है। बताया जा रहा है कि यह आवाज शुक्र के ऊपरी वातावरण से आ रही थी। नासा ने इस प्रोब को सूरज का अध्ययन करने के लिए 2018 में लॉन्च किया था। सूरज की परिक्रमा करते हुए जब यह प्रोब शुक्र के ऊपर से गुजरा तो उसने इस भयंकर आवाज को सुना। नासा ने बताया है कि शुक्र से आ रहे प्राकृतिक रेडियो सिग्नल से मिली आवाज की जांच से हमें धरती की जुड़वा बहन कहे जाने वाले इस ग्रह के वातावरण के बारे में और अधिक जानकारी मिल सकती है।

शुक्र के नजदीक से उड़ने के दौरान किया रिकॉर्ड
पार्कर सोलर प्रोब ने इस आवाज को शुक्र के करीब से तीसरी बार उड़ने के दौरान 11 जुलाई 2020 को रिकॉर्ड किया था। उस समय पार्कर प्रोब और शुक्र के बीच की दूरी मात्र 832 किलोमीटर ही थी। इससे पहले भी पार्कर प्रोब ने शुक्र के करीब से दो बार उड़ान भरी है, लेकिन इतनी नजदीकी से कभी भी नहीं गुजरा था। इस प्रोब को नासा का गोडार्ड स्पेस सेंटर ऑपरेट कर रहा है।

सूरज का अध्ययन करने गया है यह अंतरिक्षयान
पार्कर सोलर प्रोब ने शुक्र से आ रहे आवाज और रेडियो सिग्नल को सूरज का अध्ययन करने के दौरान रिकॉर्ड किया है। यह प्रोब हर चक्कर के दौरान सूरज के नजदीक जाने की कोशिश कर रहा है। नासा ने बताया कि साल 2025 तक इस प्रोब को सूरज के 4.3 मिलियन मील की दूरी तक पहुंचाने का प्लान है। अगर इस प्रोब ने सूरज की गर्मी को बर्दाश्त कर लिया तो इसे और नजदीक तक पहुंचाया जाएगा।

पिछले 30 साल में पहली बार मिला शुक्र का डेटा
इस डेटा को पिछले 30 साल में शुक्र के मौसम का पहला प्रत्यक्ष माप बताया जा रहा है। नए अध्ययन में पाया गया कि शुक्र का ऊपरी वायुमंडल एक सौर चक्र पर बदलाव से गुजरता है। शुक्र को सौर मंडल का सबसे गर्म ग्रह माना जाता है क्योंकि सूरज से अधिक नजदीक होने के कारण बुध का वायुमंडल नष्ट हो चुका है। जिस कारण वह उष्मा को अवशोषित नहीं कर पाता है।
तावरण की गर्मी के कारण शुक्र पर कम ही जाते हैं स्पेसक्राफ्ट
नासा के अनुसार, पृथ्वी और शुक्र दोनों जुड़वा दुनिया हैं। ये दोनों ग्रह पहाड़ी, समान आकार और संरचना के हैं। लेकिन, दोनों का रास्ता शुरू से ही अलग है। शुक्र में एक चुंबकीय क्षेत्र की कमी होती है। इसकी सतह का तापमान इतना ज्यादा होता है कि सीसा भी पिघल जाए। इस ग्रह का अध्ययन करने के लिए भेजा गया स्पेसक्राफ्ट भी गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाता है।
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