NASA का बड़ा बयान- 2031 में पृथ्वी पर क्रैश होकर प्रशांत महासागर में हो जाएंगे समा
अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) बहुत मायने रखता है
अंतरिक्ष में जाने वाले यात्रियों के लिए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) बहुत मायने रखता है। इसे अंतरिक्ष में वैज्ञानिकों का दूसरा घर भी कहा जा सकता है। पर बहुत जल्द इसकी जिंदगी खत्म होने वाली है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA इसे पृथ्वी से क्रैश करवाने की तैयारी कर रही है। साल 2030 के अंत में रिटायर होने के बाद जनवरी 2031 में इसे प्रशांत महासागर में गिरा दिया जाएगा।
क्या है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन?
ISS एक फुटबॉल फील्ड जितनी बड़ी स्पेस लैब है, जो 420 किमी की ऊंचाई पर धरती का चक्कर लगाती रहती है। इसका वजन 450 टन है। इसे नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था। इस प्रोजेक्ट में अमेरिका, रूस, जापान, कनाडा, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, स्वीडन, स्पेन, नॉर्वे, नीदरलैंड्स, इटली, जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क और बेल्जियम शामिल हैं। ब्राजील 2007 में इस प्रोग्राम से अलग हो गया था।
ISS में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं। यहां 6 से 8 लोग 6 महीने तक रह सकते हैं। इस पर पृथ्वी से उड़ान भरने वाले बड़े-बड़े अंतरिक्ष यान उतारे जाते हैं। अब तक 19 देशों के 200 से ज्यादा अंतरिक्ष यात्रियों ने ISS का दौरा किया है।
क्यों हो रहा ISS का रिटायरमेंट?
पिछले साल सितंबर में वैज्ञानिकों ने ISS में छोटी-छोटी दरारें देखी थीं। इसके बाद कहा गया था कि यह लैब अब केवल कुछ ही सालों की महमान है। इसमें कुछ ऐसे नुकसान हो रहे हैं, जिन्हें सुधारना बहुत मुश्किल है।
ISS को वैसे भी 15 साल काम करने के लिए ही बनाया गया था। पर NASA की जांच-पड़ताल में ये पता चला कि लैब अभी कुछ समय और काम कर सकती है। NASA का कहना है कि ISS को क्रैश करवाने से पहले उसका सारा सामान धरती या स्पेस में मौजूद बाकी लैब्स में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इस काम में 1.3 बिलियन डॉलर का खर्चा आएगा।
ISS को कहां क्रैश किया जाएगा?
NASA के अनुसार, ISS को दक्षिण प्रशांत महासागर के क्षेत्र में क्रैश किया जाएगा। इस जगह का नाम पॉइंट नीमो है। यह जमीन से करीब 2,700 किलोमीटर की दूरी पर है। यह जगह वैश्विक स्तर पर खास अंतरिक्ष के पुराने स्पेस स्टेशन, सैटेलाइट और दूसरे कचरे को डिस्पोज करने के लिए चुनी गई है।
पॉइंट नीमो के आस पास किसी भी जहाज के जाने पर बैन है। यहां इंसानों के रहने के लिए कोई जगह नहीं है। साल 1971 से लेकर अब तक तकरीबन 300 तरह के अंतरिक्षीय कचरे को यहां गिराया गया है। इसमें अधिकतर अमेरिकी और रूसी कचरा शामिल है। ऐसा करके इंसान यहां प्रदूषण की समस्या बढ़ाते जा रहे हैं।
NASA प्राइवेट सेक्टर के साथ शेयर करेगा अनुभव
NASA हेडक्वार्टर में कमर्शियल स्पेस के निदेशक फिल मैकलिस्टर का कहना है कि इतने सालों में एजेंसी ने ISS से जो कुछ भी सीखा, उसे प्राइवेट सेक्टर की स्पेस कंपनियों के साथ साझा किया जाएगा। प्राइवेट सेक्टर को सुरक्षित, भरोसेमंद और सस्ते स्पेस स्टेशन बनाने के लिए सपोर्ट किया जाएगा।