Mission Mars -2020: 23 कैमरों की निगरानी में होगा लाल ग्रह, अब रोवर ढूंढेगा मंगल पर जीवन

नासा का रोवर

Update: 2021-02-19 14:39 GMT

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का यान (पर्सवियरन्स) शुक्रवार तड़के (भारतीय समयानुसार दो बजकर 25 मिनट) 203 दिनों की यात्रा के बाद लाल ग्रह की सतह पर उतर गया। अब तक के सबसे जोखिम भरे और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण इस अभियान का उद्देश्य यह पता लगाना है कि मंगल ग्रह पर क्या कभी जीवन था। अभियान के तहत ग्रह से चट्टानों के टुकड़े भी लाने का प्रयास होगा, जो इस सवाल का जवाब खोजने में अहम साबित हो सकते हैं। मिशन को पिछले वर्ष 30 जुलाई को अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित केप केनवरल स्पेस फोर्स स्टेशन से लांच किया गया था। लगभग सात महीनों की यात्रा के बाद शुक्रवार को यह मंगल ग्रह पर पहुंचा। बता दें कि पर्सवियरन्स नासा द्वारा भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा रोवर है। 1970 के दशक के बाद से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यह नौवां मंगल अभियान है।

अत्यंत दुर्गम इलाका है जेजेरो क्रेटर
45 किलोमीटर चौड़ा जेजेरो क्रेटर मंगल ग्रह का अत्यंत दुर्गम इलाका है। यहां गहरी घाटियां, नुकीले पहाड़ और रेत के टीले हैं। ऐसे में नासा रोवर की लैंडिंग पर दुनियाभर के विज्ञानियों की निगाहें टिकी थीं। ऐसा माना जाता है कि जेजेरो क्रेटर पर पहले नदी बहती थी। जो कि एक झील में जाकर मिलती थी। इसके बाद वहां पर पंखे के आकार का डेल्टा बन गया।

परमाणु ऊर्जा से चलेगा

रोवर रोवर एक हजार किलोग्राम वजनी है, जबकि इंजीन्यूटी हेलीकॉप्टर दो किलोग्राम वजन का है। रोवर परमाणु ऊर्जा से चलेगा। यह पहली बार है कि किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। यह रोवर मंगल ग्रह पर दस वर्षो तक काम करेगा। इसमें सात फुट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है।

पहले से मौजूद हैं चीन और यूएई के मिशन

पिछले एक सप्ताह के दौरान नासा का पर्सवियरन्स तीसरा ऐसा यान है, जो मंगल ग्रह की सतह पर उतरा है। इससे पहले चीन ने अपने मंगल अभियान के तहत तियानवेन-1 को पिछले वर्ष 23 जुलाई को लाल ग्रह के लिए रवाना किया था। यह 10 फरवरी को मंगल की कक्षा में पहुंचा। इसके लैंडर के यूटोपिया प्लैंटिया क्षेत्र में मई 2021 मंे उतरने की संभावना है। यूएई का मंगल मिशन होप भी इस महीने मंगल की कक्षा में प्रवेश कर गया है।
तीन से चार अरब वर्ष पहले जीवन की उम्मीद

वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा, जब ग्रह पर पानी बहता था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि रोवर से दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े एक मुख्य सवाल का जवाब मिल सकता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने ट्वीट करके नासा को बधाई दी

वहीं व्हाइट हाउस से लैंडिंग को देख रहे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ट्वीट करके नासा को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इससे एक बार फिर साबित हो गया कि अमेरिकी विज्ञान के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। नासा के मुताबिक पृथ्वी से 472 मिलियन किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद रोवर ने मंगल ग्रह के वायुमंडल में प्रवेश किया और वहां मौजूद विशाल जेजेरो क्रेटर (गड्ढा) के अंदर सुरक्षित तरीके से उतर गया। कैलिफोíनया के पासाडेना में अंतरिक्ष एजेंसी की जेट प्रोपल्सन लेबोरेटरी में ग्राउंड कंट्रोलर अधिकारियों ने रोवर 'पर्सवियरन्स' के मंगल ग्रह की सतह पर उतरने की पुष्टि करने के बाद इस ऐतिहासिक घटना पर खुशी जताई और राहत की सांस ली। सफल लैंडिंग के बारे में धरती तक सिग्नल पहुंचने में साढ़े ग्यारह मिनट का समय लगा और यह समाचार मिलते ही तनाव का माहौल खत्म हो गया।


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