मंगल: नासा के रोवर ने लाल ग्रह पर रिकॉर्ड की ऐसी आवाज, दंग हुए वैज्ञानिक

रोवर ने लाल ग्रह पर रिकॉर्ड की आवाज

Update: 2022-04-02 11:30 GMT
पेरिसः मंगल (Mars) ग्रह और पृथ्वी (Earth) में कुछ समानताएं हैं तो कई मामलों में यह बिल्कुल अलग है. अब वैज्ञानिकों को मंगल ग्रह के बारे में ऐसी बात पता चली है, जिसने उन्हें हैरान कर दिया है. मंगल ग्रह पर जानकारी जुटाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) की तरफ से जो पर्सिवियरेंस मिशन (Perseverance Rover) भेजा गया था, उसे वहां पहली बार आवाज रिकॉर्ड करने में कामयाबी मिली है. यही नहीं, पर्सिवियरेंस के माइक्रोफोन ने वहां के वातावरण में दो फ्रीक्वेंसी की आवाजें (2 speed of sound) दर्ज की हैं. आसान शब्दों में बताएं तो मंगल ग्रह पर आवाज की रफ्तार दो तरह की पाई गई है. साइंस जर्नल नेचर में शुक्रवार को प्रकाशित स्टडी में वैज्ञानिकों ने इसकी जानकारी देते हुए ये भी बताया कि इस दो तरह की आवाज के क्या-क्या असर हो सकते हैं.
पृथ्वी पर आवाज की रफ्तार एक, मंगल पर दो
ये हम जानते हैं कि हमारी पृथ्वी पर आवाज एक ही स्पीड में ट्रैवल करती है, वो है- 340 मीटर प्रति सेकंड. आप चाहे कहीं भी हों, आवाज एक ही रफ्तार में आपके पास तक आती है. लेकिन मंगल ग्रह पर ऐसा नहीं है. नासा के पर्सिवियरेंस रोवर में लगे ट्रांसमीटर ने मंगल ग्रह पर 240 मीटर प्रति सेकंड की स्पीड से आवाज रिकॉर्ड की. लेकिन वैज्ञानिक उस समय चौंक गए, जब उन्होंने वहां पर 250 मीटर प्रति सेकंड की आवाज भी सुनी. दरअसल पृथ्वी के मुकाबले मंगल ग्रह का वातावरण काफी अलग है, इसलिए दोनों जगहों पर साउंड की स्पीड में फर्क रहता है. पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा महज 0.04 प्रतिशत है, जबकि मंगल ग्रह पर यह 95 फीसदी है. इससे वहां आवाज 20 डेसिबल कम हो जाती है. इस बात का अंदाजा वैज्ञानिकों को पहले से था. लेकिन वैज्ञानिकों को जो बात सबसे ज्यादा हैरान कर रही है, वो है मंगल पर साउंड की अलग-अलग स्पीड.
नासा ने रिकॉर्ड की है 5 घंटे की आवाज
नासा का पर्सिवियरेंस रोवर पिछले साल फरवरी में मंगल पर उतरा था. वह अपने साथ नन्हा सा Ingenuity हेलिकॉप्टर भी लेकर गया है. पर्सिवियरेंस में जूते के डिब्बे के साइज का माइक्रोफोन भी लगा है, जो वहां की आवाज रिकॉर्ड करता रहता है. इसने करीब 5 घंटे की आवाज रिकॉर्ड की है. वैज्ञानिकों ने इसके गहन अध्ययन से पाया कि जब हेलिकॉप्टर उड़ता है तो टक-टक जैसी आवाज आती है. रोवर से हेलिकॉप्टकर की दूरी और उससे आ रही आवाज के आधार पर वैज्ञानिकों ने उसकी रफ्तार का आकलन किया तो पता चला कि ये 240 मीटर प्रति सेकंड की स्पीड है. वहीं जब रोवर ने मंगल की सतह की खुदाई के लिए लेजर छोड़ी तो इस लेजर से निकली आवाज की रफ्तार 250 मीटर प्रति सेकंड मापी गई.
मंगल पर बातचीत करने में आएगी दिक्कत
नेचर मैगजीन में वैज्ञानिकों ने बताया कि आवाज की इस अलग-अलग रफ्तार के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने उदाहरण देते हुए समझाया कि मान लीजिए पृथ्वी पर आप किसी कॉन्सर्ट में म्यूजिक सुनते हैं तो आप चाहें कहीं भी हों, आवाज आप तक एक जैसी स्पीड में पहुंचती है. इससे आपको आवाज में उतार-चढ़ाव महसूस नहीं होता. लेकिन मंगल ग्रह पर ऐसा नहीं होगा. वहां आप स्टेज से जितना दूर होंगे, आवाज आप तक उतनी ही देर में पहुंचेगी. इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई दो लोग वहां 5 मीटर की दूरी से बातचीत करेंगे, तब भी उन्हें एकदूसरे की बात सुनने और समझने में मुश्किल आ सकती है

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