जानिए ब्रह्मोस का नाम सुनकर क्यों कांपते हैं दुश्म

ब्रह्मोस का नाम सुनकर कांपते हैं दुश्म

Update: 2022-03-24 05:28 GMT
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 23 मार्च 2022 यानी बुधवार को अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Brahmos Supersonic Cruise Missile) का सफल परीक्षण किया. मिसाइल ने तय टारगेट पर लक्षित समय पर सटीकता से निशाना लगाया. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि क्रूज, सुपरसोनिक और बैलिस्टिक मिसाइलों में अंतर क्या है? 
क्रूज मिसाइल (Cruise Missile) जेट इंजन से उड़ान के लिए ऊर्जा हासिल करती हैं. यह सबसोनिक गति से ही अपनी उड़ान भरती है. वहीं, बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) रॉकेट इंजन से पावर हासिल करती हैं. लेकिन सिर्फ शुरुआती उड़ान के समय ही. बैलिस्टिक मिसाइल को लॉन्च के बाद कुछ समय के लिए ही प्रोपेल किया जाता है. जबकि क्रूज मिसाइल सेल्फ प्रोपेल्ड होती है. वह टारगेट को हिट करने तक प्रोपेल होती रहती हैं.
बैलिस्टिक मिसाइल वायुमंडल (Atmosphere) के बाहर जाकर वापस अंदर आती है और टारगेट पर गिरती हैं. जबकि, क्रूज मिसाइलें वायुमंडल के अंदर ही तैरते हुए टारगेट पर हमला करती हैं. ये कभी भी वायुमंडल के बाहर नहीं जातीं. बैलिस्टिक मिसाइल की सटीकता उसकी ट्रैजेक्टरी, गुरुत्वाकर्षण शक्ति, एयर रेजिसटेंस और कोरियोलिस फोर्स पर निर्भर करता है. जबकि, क्रूज मिसाइल की सटीकता उसे लगातार मिलने वाले प्रोपल्शन से तय होती है. 
बैलिस्टिक मिसाइल (Ballistic Missile) ज्यादा वजन के पेलोड यानी वॉरहेड ले जाने में सक्षम होते हैं. इनपर भारी परमाणु हथियार या कई वॉरहेड्स लगाए जा सकते हैं. लेकिन क्रूज मिसाइल (Cruise Missile) में इकलौता वॉरहेड जाता है. यह पारंपरिक हथियार होता है, जिससे सटीकता के साथ सीधा निशाना लगाया जाता है.
भारत में बैलिस्टिक मिसाइलों की काफी बड़ी रेंज है. जैसे- पृथ्वी-1, पृथ्वी-2, अग्नि-1, अग्नि-2, धनुष आदि. क्रूज मिसाइल के नाम पर सिर्फ ब्रह्मोस है. लेकिन ब्रह्मोस मिसाइल दुनिया की सबसे ताकतवर, घातक और तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. भविष्य में ब्रह्मोस-2 मिसाइल लाने की योजना है. यह हाइपरसोनिक मिसाइल होगी. इसमें स्क्रैमजेट इंजन लगाया जाएगा. इसकी रेंज अधिकतम 600 किलोमीटर होगी. लेकिन इसकी गति मैक-7 यानी 8,575 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी. इसे जहाज, पनडुब्बी, विमान या जमीन पर लगाए गए लॉन्चपैड से दागा जा सकेगा.
क्रूज मिसाइलें तीन प्रकार की होती हैं. पहली सबसोनिक (Subsonic) यानी 0.8 मैक की गति से चलने वाली. यानी ये 987 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से उड़ती है. दूसरी सुपरसोनिक (Supersonic) यानी मैक 2 से मैक 3 तक. ये 2469 किलोमीटर प्रतिघंटा से 3704 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. तीसरी होती हैं- हाइपरसोनिक (Hypersonic) यानी मैक 5 या उससे ऊपर. इनकी गति 6100 किलोमीटर प्रतिघंटा या उससे ज्यादा हो सकती हैं.
बैलिस्टिक मिसाइलों को चार प्रकार होते हैं. पहले शॉर्ट रेंज (टैक्टिकल) बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) इनकी रेंज 300 से 1000 किलोमीटर होती है. दूसरी मीडियम रेंज (थियेटर) बैलिस्टिक मिसाइल (MRBM), इनकी रेंज 1000 से 3500 किलोमीटर होती है. तीसरी इंटरमीडियट रेंज (लॉन्ग रेंज) बैलिस्टिक मिसाइल (IRBM or LRBM), इनकी रेंज 3500 से 5500 किलोमीटर होती है. चौथी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM), इनकी रेंज 5500 किलोमीटर से ज्यादा होती है.
पिछले साल 8 दिसंबर 2021 वायुसेना के लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमके-1 में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण किया गया. मिसाइल ने तय मानकों को पूरा करते हुए दुश्मन के ठिकाने को ध्वस्त कर दिया. सुखोई-30 एमके-1 (Sukhoi-30 MK-1) फाइटर जेट में लगाए गए ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (BrahMos Supersonic Cruise Missile) को पूरी तरह से देश में ही विकसित किया गया है. इसमें रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) तकनीक का उपयोग किया गया है. ताकि इसकी गति और सटीकता और ज्यादा घातक हो जाए. इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल के एयर वर्जन का सफल परीक्षण जुलाई 2021 में किया गया था.
समुद्र से दागने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल के चार वैरिएंट्स हैं. पहला- युद्धपोत से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट, दूसरा युद्धपोत से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. ये दोनों ही वैरिएंट भारतीय नौसेना में पहले से ऑपरेशनल हैं. तीसरा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला एंटी-शिप वैरिएंट. सफल परीक्षण हो चुका है. चौथा- पनडुब्बी से दागा जाने वाला लैंड-अटैक वैरिएंट. 
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